छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में सोमवार को भीड़ ने कथित तौर पर धर्मांतरण के आरोप में एक चर्च पर हमला कर दिया और मामले को शांत कराने आई एक पुलिस टीम के साथ भी हिंसा की, जिसमें ज़िला पुलिस अधीक्षक के सिर में चोट आई है और अन्य कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.
नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सोमवार को आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान एक चर्च में कथित रूप से तोड़फोड़ की गई. इस घटना में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी समेत लगभग छह पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सदानंद कुमार विरोध प्रदर्शन के दौरान सिर में चोट लगने से घायल हो गए हैं. उन्होंने बताया कि विरोध के हिंसक हो जाने के बाद नारायणपुर शहर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी. ने बताया कि नारायणपुर में एक सामाजिक बैठक रखी गई थी, जिसमें रूपसाय सलाम, नारायण मरकाम और अन्य लोगों के नेतृत्व में लगभग दो हजार की संख्या में लोग एकत्रित होकर सामाजिक विषयों पर चर्चा कर रहे थे.
सुंदरराज ने बताया कि बैठक के बाद भीड़ अलग-अलग समूहों में बंट गई और लाठी-डंडा लेकर समूह स्कूल परिसर में स्थित चर्च को क्षति पहुंचाने के लिए शहर की ओर बढ़ने लगे.
पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन के दल ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन भीड़ में से कुछ उपद्रवी तत्वों ने तोड़फोड़ और पथराव कर दिया, साथ ही ड्यूटी में तैनात सुरक्षा बल के ऊपर भी हमला कर दिया.
आईजी ने बताया कि इस घटना में नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक और पांच-छह पुलिस जवानों को चोटें लगीं. उनके अनुसार, प्राथमिक इलाज के बाद घायल पुलिस अधिकारी और जवानों की स्थिति सामान्य है तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल लगाया गया है.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.
नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार ने अस्पताल में संवाददाताओं को बताया कि जब प्रदर्शनकारी सोमवार दोपहर विश्व दीप्ति क्रिश्चियन स्कूल के करीब पहुंचे, तब वह स्कूल परिसर में स्थित एक चर्च की ओर बढ़ने की कोशिश करने लगे.
कुमार ने बताया, ‘जब मुझे इसकी जानकारी मिली तब मैं अन्य अधिकारियों के साथ वहां पहुंचा और आंदोलनकारियों को शांत करने की कोशिश की. वे शांत भी हो गए थे और वापस लौटने वाले थे, लेकिन अचानक किसी ने पीछे से मेरे सिर पर डंडा मारा, जिससे मैं घायल हो गया.’
इंडियन के एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस को स्थिति पर काबू पाने में करीब एक घंटे का समय लग गया.
पुलिस ने बताया कि अवैध धर्मांतरण और चर्चों के निर्माण का आरोप लगाते हुए लोगों के एक समूह द्वारा चर्च के खिलाफ प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही थी.
सदानंद कुमार ने कहा, ‘हमने प्रदर्शनकारियों को मिलने के लिए बुलाया. कलेक्टर और मैंने उनसे कलेक्टर कार्यालय में बात की. हमने उनसे विरोध शांतिपूर्ण रखने की अपील की. लेकिन उनमें से कुछ ने हिंसा को चुना और चर्च पर हमला करने चले गए.‘
जिला कलेक्टर अजीत वसंत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘प्रदर्शनकारियों ने हमसे वादा किया कि बैठक शांतिपूर्ण होगी और वे किसी भी तरह की हिंसा का सहारा नहीं लेंगे, लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसा किया.’
बैठक के पीछे कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपने का विचार था. वसंत ने कहा, ‘सर्व आदिवासी समाज द्वारा हमें ज्ञापन दिया गया था. उन्होंने पूर्व में भी इस तरह की शिकायत दी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अवैध धर्मांतरण और चर्चों का अवैध निर्माण हो रहा है.’
उन्होंने कहा कि हमला एक आदिवासी समाज द्वारा प्रायोजित था. हालांकि पुलिस एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में है और तब तक आरोपी आदिवासी समूह का नाम स्पष्ट नहीं हो पाएगा.
वसंत ने स्वीकार किया कि हाल के दिनों में ईसाइयों पर छोटे हमले हुए हैं, लेकिन इतना बड़ा हमला नहीं हुआ.
गौरतलब है कि इससे पहले एक जनवरी को नारायणपुर के गोर्रा गांव में ईसाई परिवारों पर हुए कथित हमले में एक पुलिस अधिकारी समेत कई लोग घायल हो गए थे. कुछ घायल व्यक्तियों ने पत्रकारों को बताया था कि लगभग एक दर्जन ईसाइयों पर करीब 400 से 500 लोगों की भीड़ द्वारा हमला किया गया था, जिसमें गोर्रा गांव के लोग और बाहरी लोग शामिल थे.
पिछले महीने ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने ऊपर हुए कथित अत्याचार के खिलाफ नारायणपुर जिले के कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया था. आदिवासी बहुल जिले के कम से कम 14 गांवों के प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि ईसाई धर्म का पालन करने के कारण उन पर कथित रूप से हमला किया गया और उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया. उन्होंने इस मामले में प्रशासन द्वारा कार्रवाई की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)