छत्तीसगढ़: चर्च में तोड़फोड़ मामला, भाजपा नेताओं समेत कई लोग गिरफ़्तार

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर शहर में बीते दो जनवरी को कथित धर्मांतरण के विरोध में लोगों के एक समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान एक चर्च में तोड़फोड़ की गई थी. पुलिस ने बताया कि कथित धर्मांतरण को लेकर अलग-अलग हिंसक घटनाओं के सिलसिले में भाजपा के वर्तमान और पूर्व ज़िलाध्यक्षों सहित कम से कम 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर शहर में बीते दो जनवरी को कथित धर्मांतरण के विरोध में लोगों के एक समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान एक चर्च में तोड़फोड़ की गई थी. पुलिस ने बताया कि कथित धर्मांतरण को लेकर अलग-अलग हिंसक घटनाओं के सिलसिले में भाजपा के वर्तमान और पूर्व ज़िलाध्यक्षों सहित कम से कम 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नारायणपुर/नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस सप्ताह के शुरू में नारायणपुर में कथित धर्मांतरण को लेकर अलग-अलग हिंसक घटनाओं के सिलसिले में भाजपा के वर्तमान और पूर्व जिला अध्यक्षों सहित कम से कम 11 लोगों को गिरफ्तार किया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार लोगों में से भाजपा नेता रूपसाय सलाम (55 वर्ष) और नारायण मरकाम (50 वर्ष) को सोमवार (दो जनवरी) की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सदानंद कुमार घायल हो गए थे और एक स्कूल के अंदर स्थित एक चर्च में तोड़फोड़ की गई थी.

सूत्रों ने कहा कि सलाम ने अक्टूबर में भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और तब से दोनों ने नारायणपुर के गांवों में ईसाई मिशनरियों के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया है. इस अवधि में छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के संवेदनशील मुद्दे पर कई हिंसक घटनाओं के साथ आई है.

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पी. सुंदरराज ने कहा कि दोनों नेताओं और चार अन्य को गिरफ्तार किया गया है, क्योंकि उन्होंने बैठक बुलाई थी, जिसमें 2,000 लोग शामिल हुए थे. ये बाद में छोटे-छोटे समूह में बंट गए थे. इनमें से एक समूह ने चर्च पर हमला किया था.

ताजा घटना को ईसाइयों पर हमले या अन्य झड़पों की पिछली घटनाओं से जोड़कर देखे जाने पर सुंदरराज ने कहा कि वर्तमान में दो घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था. एक- गोर्रा गांव में, जहां दो समूह रविवार एक जनवरी को भिड़ गए थे और दूसरा- चर्च में हमला, जिसमें एक दिन बाद एसपी कुमार घायल हो गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, नारायणपुर के एक अन्य पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष बृजमोहन देवांगन ने कहा कि रूपसाय सलाम 1985 से भाजपा के साथ हैं, जबकि मरकाम 2002 में पार्टी में शामिल हुए थे.

उन्होंने कहा कि सलाम ने आखिरी बार 2012 में पद संभाला था. सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक होने के अलावा पार्टी में अन्य जिम्मेदारियों को भी संभाला था.

सर्व आदिवासी समाज एक समूह है, जो बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है, लेकिन कई गुटों में बंटा हुआ है. सोमवार को चर्च पर हुए हमले के बाद एक धड़े ने खुद को समूह से अलग कर लिया था.

आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि सोमवार (2 जनवरी) को नारायणपुर में एक समुदाय के लोगों के विरोध प्रदर्शन के दौरान चर्च में तोड़फोड़ की घटनाओं के मामले में रूपसाय सलाम के अलावा पवन कुमार नाग (24 वर्ष), अतुल नेताम (24 वर्ष), अंकित नंदी (31 वर्ष) और डोमेंद्र यादव (21 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया है.

वहीं, घटना का जायजा लेने के लिए नारायणपुर शहर में प्रवेश करने के दौरान दो सांसदों और एक विधायक सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने पहले ही रोक लिया. पार्टी के एक नेता ने यह दावा किया.

सुंदरराज ने बताया कि घटनाओं के संबंध में चार अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि नारायणपुर जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. शहर में स्थिति शांतिपूर्ण और सामान्य है.

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बताया कि रूपसाय सलाम वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं तथा पार्टी के नारायणपुर जिलाध्यक्ष हैं. हालांकि सोमवार को विरोध प्रदर्शन पार्टी के बैनर तले नहीं किया गया था.

भाजपा के ​वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर ने कहा है कि सांसद संतोष पांडे और मोहन मंडावी तथा विधायक शिवरतन शर्मा समेत पार्टी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल घटना का जायजा लेने के लिए नारायणपुर जा रहा था, तब उन्हें बेनूर पुलिस थाने में रोक कर रखा गया.

चंद्राकर ने कहा, ‘हमारे नेताओं को नारायणपुर जाने से रोका गया, इससे प्रमाणित हो गया है कि कांग्रेस सरकार धर्मांतरण करने वाले लोगों के कदमों में गिर गई है. आदिवासियों का उत्पीड़न चरम सीमा को लांघ चुका है. छत्तीसगढ़ में अब आपातकाल जैसे हालात हैं.’

द हिंदू के मुताबिक, कथित धर्मांतरण को लेकर हाल की घटनाओं ने छत्तीसगढ़ में हलचल मचा दी है. भाजपा अब धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साध रही है. वर्तमान में जारी शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे को लेकर पार्टी ने राज्य विधानसभा में हंगामा किया है.

यहां तक ​​कि सूत्रों ने दावा किया कि इस साल के अंत में होने वाले चुनावों में धर्मांतरण भाजपा के लिए एक प्रमुख मुद्दा होगा.

अजय चंद्राकर ने पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी के संदर्भ में कहा, ‘यह सरकार मिशनरियों के लिए रेड कार्पेट बिछाती है और आदिवासी संस्कृति की रक्षा करने की कोशिश करने वालों पर गैर-जमानती धाराएं लगाती है.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन महीने में नारायणपुर में 60 से अधिक शिकायतें (कथित धर्मांतरण या हिंसा के संबंध में) दर्ज की गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बघेल सरकार को ईसाई मिशनरियों से चंदा मिल रहा है और उसका विरोध करने वालों पर हमला किया जा रहा है. यह हमला भाजपा पर नहीं, बल्कि आदिवासियों की सभ्यता और संस्कृति पर है.’

इस बीच पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा बुधवार को सभी पक्षों से संयम बरतने को कहते हुए शांति बैठक बुलाने के बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम ने बुधवार को आरोप लगाया कि ‘ईसाई मुक्त राज्य’ बनाने के लिए आदिवासी गांवों में एक अभियान चलाया जा रहा है.

फोरम ने एक बयान में कहा, ‘नगाड़ों और डंडों की मदद से गांवों को ईसाइयों से साफ किया जा रहा है. इधर मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, और गांव बंदापाल नारायणपुर में एक चर्च को तोड़ा जा रहा है, 10 ईसाई परिवारों को लूट लिया गया है और उनके घरों को तोड़ दिया गया है. अनुच्छेद 25 लोगों को किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है, सरकार लोगों को संविधान का पालन करने से रोक रही है.’

मालूम हो कि कथित धर्म परिवर्तन के विरोध में सोमवार (दो जनवरी) को नारायणपुर में लगभग दो हजार लोगों ने सभा की थी. जिनमें ज्यादातर आदिवासी थे.

आदिवासियों के एक समूह ने सोमवार को नारायणपुर में कथित धर्मांतरण पर चर्चा की, जिसके बाद वे कथित रूप से विश्व दीप्ति क्रिश्चियन स्कूल परिसर में घुस गए और एक चर्च में तोड़फोड़ की थी.

पुलिस के मुताबिक बैठक के बाद भीड़ समूहों में बंट गई थी और लाठी-डंडों से लैस होकर स्कूल परिसर में स्थित एक चर्च में घुस गए और उसमें तोड़फोड़ की.

इससे पहले एक जनवरी को नारायणपुर के गोर्रा गांव में ईसाई परिवारों पर हुए कथित हमले में एक पुलिस अधिकारी समेत कई लोग घायल हो गए थे. कुछ घायल व्यक्तियों ने पत्रकारों को बताया था कि लगभग एक दर्जन ईसाइयों पर करीब 400 से 500 लोगों की भीड़ द्वारा हमला किया गया था, जिसमें गोर्रा गांव के लोग और बाहरी लोग शामिल थे.

आईजी ने बताया था कि पुलिस ने एक जनवरी को जिले के एडका थाना क्षेत्र के गोर्रा गांव में दो समूहों के बीच हुई झड़प के संबंध में भी एफआईआर दर्ज की है.

उन्होंने बताया था कि गोर्रा गांव में झड़प को शांत करने गए पुलिस दल पर कथित तौर पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

उन्होंने बताया था कि इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में नारायणपुर और कोंडागांव जिले की सीमा से लगे गांवों में शांति भंग करने के आरोप में 17 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पिछले महीने ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने ऊपर हुए कथित अत्याचार के खिलाफ नारायणपुर जिले के कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया था. आदिवासी बहुल जिले के कम से कम 14 गांवों के प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि ईसाई धर्म का पालन करने के कारण उन पर कथित रूप से हमला किया गया और उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया. उन्होंने इस मामले में प्रशासन द्वारा कार्रवाई की मांग की थी.

अल्पसंख्यक आयोग ने चर्च में तोड़फोड़ की घटना का लिया संज्ञान, रिपोर्ट मांगी

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक चर्च में तोड़फोड़ की खबरों का स्वत: संज्ञान लिया और राज्य सरकार से एक रिपोर्ट सौंपने को कहा.

अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि उसने कथित तोड़फोड़ की खबरों का स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है.

आयोग ने कहा, ‘इस तरह की घटनाओं से ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है. आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि वह इस मामले पर 13 जनवरी, 2023 तक एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपे.’

विहिप ने छत्तीसगढ़ सरकार से जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून लाने को कहा

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बुधवार को मांग की कि छत्तीसगढ़ सरकार को राज्य में ‘अवैध धर्मांतरण’ के खिलाफ कड़ा कानून बनाना चाहिए और इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए संवैधानिक रूपरेखा के दायरे में सभी प्रयास होने चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विहिप के विहिप महासचिव मिलिंद परांडे ने एक बयान में कहा कि इस घटनाक्रम ने राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया है. उन्होंने मांग की कि छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले में गंभीर और त्वरित कदम उठाए.

उन्होंने आरोप लगाया कि यदि राज्य सरकार ने धर्मांतरण रोकने के लिए समय पर कदम उठाए होते तो आदिवासियों को प्रदर्शन के लिए सड़कों पर नहीं आना होता.

परांडे ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ की जनता ने इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए दृढ़-संकल्प के साथ काम किया है और विश्व हिंदू परिषद उनके साथ खड़ा है.’

उन्होंने कहा, ‘हम यह भी मानते हैं कि अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए संविधान तथा कानून के दायरे में समस्त प्रयास किए जाने चाहिए.’

विहिप नेता ने छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन से राज्य के आदिवासी समाज के साथ दृढ़ता से खड़े होने को कहा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)