नगालैंड: नगा संगठनों ने कहा- हम चुनाव नहीं समाधान चाहते हैं

नगा राजनीतिक मुद्दों पर भारत सरकार से बात कर रहे राष्ट्रीय नगा राजनीतिक समूह का आरोप है कि नगालैंड भाजपा अध्यक्ष के समाधान-विरोधी रुख़ ने नगा राजनीतिक वार्ता की प्रगति को बाधित किया है. वहीं, इससे पहले ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने भी घोषणा की थी कि वे किसी भी चुनाव में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि उनकी अलग फ्रंटियर नगालैंड राज्य बनाने की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता.

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(प्रतीकात्मक फोटो: ट्विटर/@nirendev1)

नगा राजनीतिक मुद्दों पर भारत सरकार से बात कर रहे राष्ट्रीय नगा राजनीतिक समूह का आरोप है कि नगालैंड भाजपा अध्यक्ष के समाधान-विरोधी रुख़ ने नगा राजनीतिक वार्ता की प्रगति को बाधित किया है. वहीं, इससे पहले ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने भी घोषणा की थी कि वे किसी भी चुनाव में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि उनकी अलग फ्रंटियर नगालैंड राज्य बनाने की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता.

(प्रतीकात्मक फोटो: ट्विटर/@nirendev1)

दीमापुर/नई दिल्ली: इस साल के विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय नगा राजनीतिक समूह (एनएनपीजी) की कार्य समिति ने कहा कि नगा लोग ‘चुनाव नहीं समाधान’ चाहते हैं.

एनएनपीजी कई समूहों का एक संगठन है, जो नगा राजनीतिक मुद्दों पर भारत सरकार से बात कर रहे हैं.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनएनपीजी ने एक बयान में कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार नगा राजनीतिक समूहों के साथ राजनीतिक समाधान के जरिये नगालैंड में स्थायी शांति पाने की पूरी कोशिश कर रही है. दूसरी ओर नगालैंड राज्य भाजपा नेतृत्व आग से खेल रहा है. राज्य भाजपा अध्यक्ष तेमजेन इम्ना अलोंग और उनके साथियों के समाधान-विरोधी रुख ने नगा राजनीतिक वार्ता की प्रगति और परिणाम को बहुत बाधित किया है.

संगठन ने कहा कि 9 नवंबर 2022 को एनएनपीजी के कार्यकारी समिति ने महत्वपूर्ण मामलों पर बैठक के लिए राज्य भाजपा अध्यक्ष को संबोधित एक आधिकारिक पत्र लिखा था. इसका आज तक कोई जवाब नहीं आया है और वह अभी भी फरार हैं.

बयान के अनुसार, उन्होंने नगाओं और उनकी अपनी पार्टी को विफल कर दिया है. सिद्धांत से रहित, अवसरवादी और नैतिक रूप से दिवालिया यह व्यक्ति नगा लोगों को गुमराह करने और नई दिल्ली में भाजपा नेतृत्व को धोखा देने के लिए जिम्मेदार है. कार्यकारी समिति ऐसे व्यक्ति को कोहिमा या दिल्ली में नगाओं का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं देंगी.

संगठन ने कहा, ‘1998 में कांग्रेस पार्टी ने समाधान के बजाय नगा लोगों की इच्छाओं के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ा. उन्होंने निर्विरोध सत्ता संभाली. हालांकि वे लोगों की मांग का सम्मान करने में विफल रहे और बल्कि यह मानते थे कि उन्होंने नागालैंड में अन्य सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का सफाया कर दिया है.’

आगे कहा गया, ‘नगा लोगों ने तुरंत उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर अपनी प्रतिक्रिया दी. दुख की बात है कि अब कांग्रेस पार्टी लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है. वहीं, प्रदेश भाजपा नेतृत्व की विश्वासघाती आदत ने नगा लोगों के विश्वास को गहरा आघात पहुंचाया है.’

एनएनपीजी ने कहा कि 2018 के ‘समाधान के लिए चुनाव’ की राजनीति विफल हो गई है. भारत-नगा राजनीतिक समाधान वही है, जिसकी नगा जनजातियां और नागरिक समाज आशा करते हैं. अगर नगालैंड में लोगों की सम्मानजनक और स्वीकार्य राजनीतिक समाधान की मांग के खिलाफ चुनाव लागू किया जाता है, तो तेमजेन इम्ना जैसे लोग अपनी तुच्छ गतिविधियों के अनुसार निश्चित रूप से नगालैंड से भाजपा का सफाया सुनिश्चित करेंगे.

बयान के मुताबिक, ‘हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. नगा लोगों की इच्छा और आकांक्षा के अनुसार चलें, चुनाव नहीं समाधान चाहिए.’

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में भाजपा और उसके सहयोगियों ने ‘समाधान के लिए चुनाव’ के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, जबकि कई समूहों ने ‘समाधान नहीं चुनाव नहीं’ के आधार पर चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया था.

पूर्वी नगालैंड का शीर्ष आदिवासी संगठन ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने बीते गुरुवार को गुवाहाटी में एके मिश्रा के नेतृत्व में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की.

ईएनपीओ ने मांग पूरी नहीं होने पर आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी है.

मालूम हो कि अगस्त 2022 में अपनी अलग राज्य की मांग की शुरुआत करते हुए ईएनपीओ ने राज्य के विभाजन की उसकी मांग पूरी न होने पर आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी थी.

ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने घोषणा की थी कि वे किसी भी चुनाव में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि उनकी अलग ‘फ्रंटियर नगालैंड’ राज्य बनाने की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता.

ईएनपीओ एक संयुक्त मंच है, जिसमें चांग खुलेई सेतशांग (सीकेएस), खियामनीउंगन ट्राइबल काउंसिल (केटीसी), कोन्यक यूनियन (केयू), फोम पीपुल्स काउंसिल (पीपीसी), यूनाइटेड संगतम लिखुम पुमजी (यूएसएलपी), तिखिर ट्राइबल काउंसिल (टीटीसी) और यिमखिउंग जनजातीय परिषद (वाईटीसी) जैसे संगठन शामिल हैं.

नगालैंड में 60 सदस्यीय सदन के लिए विधानसभा चुनाव इस अगले साल फरवरी में होना है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जनवरी तक सभी शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया है, क्योंकि ये चुनाव 12 साल से अधिक समय से लंबित हैं.

नगालैंड में 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 20 प्रस्तावित अलग राज्य के छह जिलों- मोन, त्वेनसांग, किफिर, लोंगलेंग, नोकलाक और शमटोर में हैं. इन जिलों में सात जनजातियों- जो चांग, ​​खियामनिउंगन, कोन्याक, फोम, संगतम, तिखिर और यिमखिउंग के लोग बसे हुए हैं.

सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के पास इन 20 सीटों में से 15, सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के पास चार सीटें हैं, जबकि एक निर्दलीय विधायक है. वहीं, विधानसभा में एनडीपीपी के 42, भाजपा के 12 और नगा पीपुल्स फ्रंट के चार जबकि दो निर्दलीय विधायक हैं.

अक्टूबर 2022 में नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा था कि राज्य के पूर्वी हिस्से के लोगों द्वारा अलग राज्य की मांग करना ‘गलत नहीं’ है.

रियो ने कहा था, ‘नगा समुदाय, हम अपने मन की बात कहने में यकीन रखते हैं और उनका (पूर्वी नगालैंड के लोगों का) अपनी सोच और इच्छाएं जाहिर करना गलत नहीं है. लेकिन, इन सभी मुद्दों का समाधान निकाल लिया जाएगा.’

कांग्रेस की नगालैंड इकाई ने सभी 60 विधायकों को इस्तीफ़ा देने को कहा

राष्ट्रीय नागा राजनीतिक समूहों के अलावा कांग्रेस की नगालैंड इकाई ने बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायकों से अपना इस्तीफा सौंपने और नगा राजनीतिक समाधान को लागू करने की मांग करने को कहा.

नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एनपीसीसी) के अध्यक्ष के. थेरी ने दीमापुर में संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही.

थेरी ने कहा, ‘यदि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस (यूडीए) सरकार में कोई ईमानदारी बची है, तो उन्हें अपना इस्तीफा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंप देना चाहिए और उनसे राजनीतिक समाधान लागू करने के लिए कहना चाहिए.’

मालूम हो कि राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

उन्होंने भारत सरकार से नगा लोगों को संशय में नहीं रखने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा, ‘अब बहुत हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर वे ईमानदार हैं तो यही समय है जब उन्हें राष्ट्रपति शासन की मांग करनी चाहिए और चुनाव टाल देना चाहिए. राजनीतिक समाधान लागू करना चाहिए. यह भाजपा और राज्य सरकार का रुख होना चाहिए.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्य कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘नगालैंड के नगाओं के लिए नगा राष्ट्रीय राजनीतिक दलों (एनएनपीजी) ने नवंबर 2017 में सहमत स्थिति पर हस्ताक्षर किए हैं और चूंकि न तो संप्रभुता होगी और न ही एकीकरण, हमें अन्य बातचीत के इंतजार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि नगालैंड पर दो समाधान लागू नहीं किए जा सकते हैं.’

उन्होंने मांग की कि इसलिए केंद्र और एनएनपीजी के बीच सहमत स्थिति के माध्यम से किए गए समझौते को लागू किया जाना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)