मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से छह के सीमांकन के लिए 29 मार्च 2022 को एक समझौते पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मेघालय हाईकोर्ट के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें सीमा विवाद के निपटारे के लिए असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों द्वारा किए गए समझौते को स्थगित कर दिया गया था.
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और असम तथा मेघालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की दलीलों पर गौर किया और मेघालय हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि एकल न्यायाधीश (मेघालय हाईकोर्ट की पीठ) ने समझौता स्थगित करने का कोई कारण नहीं बताया. समझौते पर संसद द्वारा आगे विचार करने की आवश्यकता है या नहीं, यह एक अलग मुद्दा था. अंतरिम रोक की आवश्यकता नहीं थी. प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाएगा. इस बीच एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक रहेगी.’
पीठ ने इन दलीलों पर संज्ञान लिया कि समझौते (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग – एमओयू) के तहत आने वाले कुछ क्षेत्रों को पुराने सीमा विवाद के कारण विकासात्मक योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और इसके अलावा समझौते की वजह से दोनों राज्यों के बीच सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
इसने उन चार लोगों को भी नोटिस जारी किया, जो मूल रूप से विभिन्न आधारों पर एमओयू के क्रियान्वयन के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे. इन लोगों ने एक आधार यह भी दिया था कि समझौते से संविधान के अनुच्छेद-3 का उल्लंघन हुआ है.
अनुच्छेद-3 संसद को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन से संबंधित कानून बनाने का अधिकार देता है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लंबे समय से चले आ रहे अंतरराज्यीय सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता राजनीतिक दलदल में फंस गया.
मूल रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए वकील प्रज्ञान प्रदीप शर्मा ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते को अनुच्छेद-3 के तहत संसद की अनिवार्य सहमति नहीं मिली थी.
उन्होंने कहा, ‘आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी भूमि में परिवर्तित किया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों द्वारा नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं, क्योंकि सीमांकन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.’
असम के वकील ने तर्क दिया कि समझौते के तहत सीमा का पुनर्निर्धारण नहीं किया गया है और इसमें दोनों राज्यों के बीच बनी सहमति के बारे में बताया गया है.
प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाते हुए मामले को बाद के चरण में शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की. अदालत ने याचिका को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए निर्धारित किया.
मेघालय हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने 9 दिसंबर 2022 को अंतरराज्यीय सीमा समझौते के बाद जमीन पर भौतिक सीमांकन या सीमा चौकियों के निर्माण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था.
बाद में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में अपील की.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से कम से कम छह के सीमांकन के लिए 29 मार्च 2022 को एक समझौते पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे.
असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद करीब 50 साल पुराना है. हालांकि हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी लाई गई है. दोनों राज्यों की सीमा करीब 884.9 किमी लंबी है.
मालूम हो कि मेघालय को असम से अलग करके 1972 में गठन किया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी थी, जिसने मिकिर हिल्स या वर्तमान कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के ब्लॉक एक और दो को असम को दे दिया. जिसके बाद 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद शुरू हुआ.
मेघालय का तर्क है कि ये दोनों ब्लॉक तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिले का हिस्सा थे, जब इसे 1835 में अधिसूचित किया गया था. वर्तमान में 733 किलोमीटर असम-मेघालय सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं.
मार्च 2022 में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार, पहले चरण में निपटारे के वास्ते लिए गए 36.79 वर्ग किमी विवादित क्षेत्र में से असम को 18.46 वर्ग किमी और मेघालय को 18.33 वर्ग किमी का पूर्ण नियंत्रण मिलेगा.
मेघालय मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने विधानसभा में बताया था कि मेघालय-असम सीमा पर 36 विवादित गांवों में से 30 गांवों को दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने मेघालय में रहने देने की सिफारिश की थी.
19 जनवरी 2022 को असम और मेघालय मंत्रिमंडलों ने दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच पांच दशक पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए ‘गिव-एंड-टेक’ फॉर्मूले को मंजूरी दी थी. दोनों पक्षों ने 12 विवादित क्षेत्रों में विवाद को चरणबद्ध तरीके से सुलझाने का संकल्प लिया था.
पिछले कुछ वर्षों में दोनों पड़ोसी राज्यों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच कई झड़पें देखी हैं.
नवंबर 2022 में सीमा में असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा पर हुई हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गए थे. असम ने मेघालय के यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था.
22 नवंबर 2022 को कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद असम-मेघालय सीमा पर मुकरोह गांव में भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. इनमें मेघालय के पांच नागरिक और असम वन सुरक्षा बल के कर्मचारी बिद्यासिंह लख्ते शामिल थे.
इससे पहले अगस्त 2021 में असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले और मेघालय के री-भोई जिले के बीच का क्षेत्र तनावपूर्ण हो गया था.
25 अगस्त, 2021 को स्थिति तब गंभीर हो गई थी, जब मेघालय के कुछ लोगों ने स्थानीय पुलिस के साथ पश्चिम कार्बी आंगलोंग के उमलाफेर इलाके के पास कथित रूप से असम सीमा के अंदर घुसने की कोशिश की थी. उसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने आ गई थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)