कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक पर कमीशन मांगने समेत भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसकी जांच यूपी सरकार की सिफ़ारिश के बाद सीबीआई को दी गई है. हालांकि एफआईआर दर्ज करवाने वाले व्यवसायी ने सीबीआई जांच का विरोध किया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर विनय पाठक समेत कई अन्य के खिलाफ जबरन वसूली और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह एफआईआर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी विनय पाठक और अन्य के खिलाफ अक्टूबर में दर्ज भ्रष्टाचार और उगाही के मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए दिसंबर में केंद्र को पत्र भेजने के बाद हुई है.
The Central Bureau of Investigation (CBI) has registered an FIR against Kanpur’s Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University (CSJMU) Vice-Chancellor Prof Vinay Pathak and others over allegations of extortion, forgery, intentional insult and cheating: CBI
— ANI (@ANI) January 9, 2023
मामले की जांच कर रही यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें पाठक के कथित सहयोगी एक्सलिक्ट कंपनी के मालिक अजय मिश्रा शामिल हैं. अधिकारी ने कहा कि अन्य दो आरोपियों की पहचान मिश्रा के कथित सहयोगियों अजय जैन और संतोष कुमार सिंह के रूप में हुई है.
आज तक की खबर के अनुसार, बीते 29 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) डेविड मारियो डेनिस ने लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में प्रोफेसर विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्रा पर ठेके में कमीशन वसूलने सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया था.
उनका आरोप था कि साल 2019-20 और 2020-21 में डेनिस की कंपनी ने आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के परीक्षा प्रिंटिंग के काम को देख रही रही और इसके बिल भुगतान को लेकर लेकर विनय पाठक उनसे कमीशन मांग रहे थे. उनकी शिकायत के अनुसार, डेविड के बिलों को मंजूरी देने के एवज में पाठक ने तीन बार में अजय मिश्रा के जरिये लगभग डेढ़ करोड़ रुपये वसूल किए.
शिकायत में आगे कहा गया है कि जब आगे डेविड ने किसी तरह का कमीशन देने से इनकार कर दिया तब आगरा विश्वविद्यालय के प्रिंटिंग के काम का ठेका अजय मिश्रा की कंपनी एक्सलिक्ट को दे दिया गया.
इस शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार किया था. इसके बाद मिश्रा से हुई पूछताछ के बाद दिल्ली के एक व्यापारी अजय जैन और संतोष सिंह की गिरफ्तारी हुई.
इस बीच, पिछले दो महीनों में यूपी एसटीएफ ने विनय पाठक को कई नोटिस भेजते हुए जांच में शामिल होने के लिए बुलाया लेकिन वे कभी नहीं पहुंचे और न ही उनके किसी प्रतिनिधि ने एसटीएफ के समक्ष इस अनुपस्थिति की वजह ही बताई.
दैनिक जागरण के मुताबिक, एसटीएफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही थी, लेकिन इसी बीच मामले की सीबीआई जांच करवाने का निर्णय ले लिया गया.
आज तक के अनुसार, डेविड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष एक याचिका दायर करते हुए सीबीआई जांच का विरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना वादी की मंजूरी के सीबीआई जांच की सिफारिश की है. मामले की जांच हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में यूपी पुलिस द्वारा ही की जानी चाहिए।