इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड के लिए कर्नाटक राज्य की झांकी को केंद्र द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है. 13 सालों में पहली बार राज्य की झांकी परेड का हिस्सा नहीं होगी. विपक्षी कांग्रेस ने इसके लिए बसवराज बोम्मई सरकार की निंदा की है, वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि इस पर विवाद पैदा करना सही नहीं है.
नई दिल्ली: इस साल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान कर्नाटक को अपनी झांकी दिखाने के अवसर से वंचित करने के केंद्र सरकार के फैसले ने राज्य में विवाद खड़ा कर दिया है. इसको लेकर विपक्षी कांग्रेस ने बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की है.
इसके परिणामस्वरूप, 13 वर्षों में पहली बार परेड में कर्नाटक की कोई झांकी नहीं होगी. सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड की झांकी के माध्यम से राज्य में बाजरे की विविधता को प्रदर्शित करने का प्रस्ताव दिया था. पिछले साल, राज्य की झांकी ‘पारंपरिक हस्तशिल्प का उद्गम स्थल’ को दूसरी सर्वश्रेष्ठ झांकी घोषित किया गया था.
विपक्ष द्वारा बसवराज बोम्मई की आलोचना करने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने कहा है कि यह अस्वीकृति नहीं है, बल्कि निर्णय चयन प्रक्रिया पर आधारित था और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं था.
एनडीटीवी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘परेड में भाग लेने की चाहत रखने वाले सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से लगभग 12 का चयन होता है. 13 सालों से कर्नाटक को मौका मिला. अगर सभी प्रदेशों को हर साल मौका दिया जाता है तो हमें 36 झांकियां निकालनी होंगी. तब परेड 4-5 घंटे चलेगी. इस चयन प्रक्रिया में कोई राजनीतिक या नौकरशाही का हस्तक्षेप नहीं है और यह विशेषज्ञों द्वारा की गई है, इसलिए इस पर विवाद पैदा करना सही नहीं है.’
गणतंत्र दिवस झांकी के कर्नाटक के नोडल अधिकारी सीआर नवीन ने एक बयान में कहा, ‘इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में राज्यों की झांकी के हिस्सा लेने के संबंध में भारत सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें उन राज्यों को अवसर प्रदान करने की बात है, जिन्होंने पिछले 8 वर्षों के दौरान इसमें भाग नहीं लिया है या सबसे कम बार भाग लिया है. इसलिए, कर्नाटक राज्य को गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने का मौका नहीं मिला है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा यदि पिछले वर्ष भाग लेने वाले राज्यों की सूची और इस वर्ष चयनित राज्यों की तुलना की जाती है, तो यह स्पष्ट है कि 2022 में पुरस्कार जीतने वाले सभी तीन राज्यों का चयन इस वर्ष नहीं किया गया है. साथ ही तीन राज्यों को छोड़कर पिछले साल भाग लेने वाले शेष राज्यों का चयन नहीं किया गया है.’
वहीं, कांग्रेस नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने बोम्मई सरकार की आलोचना की है.
उन्होंने कई ट्वीट करते हुए कहा, ‘यह जानना दुर्भाग्यपूर्ण है कि कर्नाटक इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में भाग नहीं लेगा. कर्नाटक की झांकी की अस्वीकृति दर्शाती है कि कर्नाटक भाजपा हमारे राज्य के गौरव को बनाए रखने के लिए कितनी गंभीर है.’
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कर्नाटक की झांकी की ‘अस्वीकृति’, ‘अक्षम और कमजोर’ बोम्मई सरकार के कारण है.
उन्होंने कहा, ‘अक्षम और कमजोर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और उनके कैबिनेट मंत्री 40 प्रतिशत कमीशन के माध्यम से सरकारी संसाधनों को लूटने के बारे में चिंतित हैं. अगर उन्होंने विषय को तैयार करने में थोड़ा और विचार किया होता, तो कर्नाटक गणतंत्र दिवस पर अपनी झांकी प्रस्तुत कर सकता था.’
It is unfortunate to know that Karnataka will not be participating in the #RepublicDay parade this year.
Rejection of Karnataka’s tableaux reflects how serious @BJP4Karnataka is about upholding the pride of our state.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) January 7, 2023
Incapable & weak @BSBommai and his cabinet ministers are worried about looting government resources through 40% commission.
Had they put in a little more thought in designing the theme, Karnataka could have presented its tableaux on the Republic Day.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) January 7, 2023
सिद्धारमैया ने कहा, ‘राज्य भाजपा सरकार ने अपने आलाकमान के हितों को समायोजित करने के लिए हमारे गौरव को छोड़ दिया है. क्या भाजपा के किसी भी सांसद ने हमारी झांकी को अस्वीकृत किए जाने पर आपत्ति जताई है?’
कांग्रेस के एक अन्य नेता और राज्यसभा सांसद एल. हनुमंथैया ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा जाहिर किया है.
एनडीटीवी के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘यह विभिन्न सरकारों के बीच शक्ति-साझाकरण में विश्वास नहीं करती है. यह वास्तव में निंदनीय है. प्रत्येक भाजपा और गैर-भाजपा शासित राज्य को गणतंत्र दिवस परेड में अपनी झांकी का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है.’
एक सरकारी अधिकारी ने डेक्कन हेराल्ड को बताया कि कर्नाटक ‘शायद देश का एकमात्र राज्य’ है, जो लगातार 13 वर्षों तक झांकी के माध्यम से राज्य की संस्कृति को प्रदर्शित कर पाया.
अधिकारी ने कहा, ‘इन वर्षों में (झांकी ने) अपनी थीम के लिए पुरस्कार जीते. राज्य ने 2005 में श्रवणबेलगोला गोम्मतेश्वर प्रतिमा की झांकी के लिए प्रथम पुरस्कार जीता था, इसे चार बार दूसरा पुरस्कार और तीन बार तीसरा पुरस्कार मिला था.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)