‘वारियर मॉम्स’ की वित्त मंत्री से अपील- वंचित तबकों के लिए सस्ती की जाए घरेलू गैस

बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली माताओं के एक समूह ‘वारियर मॉम्स’ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि अभी औसतन 1,000 रुपये से ऊपर चल रहे सिलेंडर को ख़रीदने में असमर्थ वंचित परिवार ईंधन के लिए लकड़ी या कंडे जलाने पर निर्भर हैं, जिससे गर्भ में ही बच्चे की मौत होने, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं आ रही हैं.

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(फोटो: पीटीआई)

बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली माताओं के एक समूह ‘वारियर मॉम्स’ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि अभी औसतन 1,000 रुपये से ऊपर चल रहे सिलेंडर को ख़रीदने में असमर्थ वंचित परिवार ईंधन के लिए लकड़ी या कंडे जलाने पर निर्भर हैं, जिससे गर्भ में ही बच्चे की मौत होने, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं आ रही हैं.

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नई दिल्ली: साफ हवा में सांस लेने के बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली भारत भर की माताओं के एक समूह ‘वारियर मॉम्स’ ने बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर आगामी बजट में गरीब परिवारों के लिए घरेलू गैस को सस्ता करने का प्रावधान लाने की मांग की है.

संगठन ने दावा किया कि पत्र को कांग्रेस सांसद शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस सासंद सौगत रॉय, द्रविण मुनेत्र कणगम (द्रमुक) सांसद डी. रविकुमार, नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद फारूक अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सांसद वंदना चह्वाण और जस्टिस (सेवानिवृत्त) अंजना प्रकाश समेत लगभग 20 प्रमुख हस्तियों ने अपना समर्थन दिया है.

पत्र में लिखा है, ‘साल 2016 में आई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत लगभग आठ करोड़ परिवारों को सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों का उपभोक्ता बनाया गया था. हालांकि, सब्सिडी की कमी के साथ-साथ समय पर भरे सिलेंडर मिलने में परेशानी के कारण लाखों परिवार एलपीजी अपनाने से कतराते हैं.’

संगठन ने पत्र में आगे कहा कि वंचित परिवार अभी भी लकड़ी और कंडे जैसे ईंधनों पर निर्भर हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं.

पत्र में कहा गया, ‘अभी औसतन 1,000 रुपये से ऊपर चल रहे सिलेंडर को खरीदने में असमर्थ वंचित परिवार ईंधन के लिए लकड़ी या कंडे जलाने पर निर्भर हैं, जिससे गर्भ में ही बच्चे की मौत होने, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, शारीरिक विकास में बाधा, जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ-साथ भ्रूण मौत दरों में बढ़ोतरी जैसी समस्याएं आ रही हैं. सभी वंचितों को घरेलू सिलेंडर और उन्हें भराने की सुविधा रियायती दरों पर उपलब्ध कराना अनिवार्य है.’

संगठन ने केंद्र सरकार से देशभर में एलपीजी सिलेंडर आवंटन को और सरल बनाने के साथ-साथ सब्सिडी बढ़ाने का आग्रह किया है.

वारियर मॉम्स ने पत्र में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा किए गए एक अध्ययन में शामिल 80 प्रतिशत लोगों ने झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में एलपीजी कनेक्शन नहीं होने के प्राथमिक कारण के रूप में एलपीजी वहन करने में असमर्थता (या तो कनेक्शन की लागत या ईंधन पर आवर्ती खर्च के कारण) का हवाला दिया है.

वित्त मंत्री सीतारमण को लिखे पत्र में आगे कहा गया है, ‘पूरे भारत में घरेलू गैस सिलेंडर दोबारा भराने की अत्यधिक कीमत के कारण शहरी-गरीब और ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को जिन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उसे देखकर परेशान हैं. ऐसे ईंधनों के निरंतर उपयोग से उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर भी विनाशकारी परिणाम होते हैं. हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इसे ध्यान में रखकर पूरे देश में एलपीजी के वितरण को आसान बनाने के साथ-साथ सब्सिडी राशि भी बढ़ाए.’

समूह ने कहा कि घरेलू वायु प्रदूषण भारत में व्यापक वायु गुणवत्ता का 30-50 प्रतिशत योगदान देता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के व्यापक कवरेज के बावजूद देश के 40 प्रतिशत से अधिक घरों की पहुंच अभी भी खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन तक नहीं है.

इसमें आगे कहा गया, ‘यह जहरीला जोखिम उनके छोटे घरों में उचित वेंटिलेशन की कमी से बिगड़ गया है, जिससे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को धुएं और घरेलू वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है.’

2019 में किए गए ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, यह बताया गया है कि भारत में कुल बीमारी में घरेलू वायु प्रदूषण का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसकी वजह से लगभग 6 लाख मौतें हुई हैं.

पत्र में यह भी कहा गया है कि भारत में समय से पहले होने वाली 30 प्रतिशत से अधिक मौतें उच्च वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों से होती हैं और हर बड़े शहर में तीन में से एक बच्चे के फेफड़े खराब होते हैं. स्वच्छ ईंधन पर खाना पकाने से समग्र वायु प्रदूषण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा और विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी.

पत्र में मांग की गई है कि निर्मला सीतारमण आगामी 2022-23 के बजट में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से छूटे परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए प्रावधान करें. योजना के सभी लाभार्थियों के लिए रियायती दर पर एलपीजी रिफिल को वहनीय बनाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी वितरण नेटवर्क को मजबूत करें.

इसके अनुसार, ‘सभी वंचित तबकों को भारी सब्सिडी वाले खाना पकाने के सिलेंडर और रिफिल (घरेलू आय के आधार पर लक्षित सब्सिडी) प्रदान करना अत्यावश्यक है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)