कॉलेज प्रिंसिपल की ज़मानत का विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को लगाई फटकार

मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि विश्वविद्यालय का है. दिसंबर 2022 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया था कि क़ानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही एक किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल, किताब की लेखक और प्रकाशक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि विश्वविद्यालय का है. दिसंबर 2022 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया था कि क़ानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही एक किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल, किताब की लेखक और प्रकाशक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एक कॉलेज के प्रिंसिपल को उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में मिली जमानत को चुनौती देने में राज्य सरकार द्वारा दिलचस्पी दिखाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है.

बता दें कि कॉलेज प्रिंसिपल पर इसलिए मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि इसकी लाइब्रेरी में कथित तौर पर एक ‘हिंदूफोबिक’ किताब मिली थी.

लाइव लॉ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से पूछा कि क्या वह उस समय ‘गंभीर’ थी, जब उसने पीठ से यह दर्ज करने के लिए कहा कि वह डॉ. इनामुर्रहमान को अग्रिम जमानत देने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देना चाहती है.

रहमान, जो इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय (Government New Law College) के प्रिंसिपल थे, ने बीते दिसंबर माह कहा था कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की युवा शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों द्वारा कॉलेज की लाइब्रेरी में पाई गई एक किताब के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था.

एबीवीपी ने दावा किया था कि शीतल कंवल और फरहत खान द्वारा लिखित किताब, ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ (कलेक्टिव वायलेंस एंड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम), ‘हिंदूफोबिक’ है.

एबीवीपी ने किताब में इस तरह के बयानों पर आपत्ति दर्ज कराई थी, जैसे कि ‘हिंदू सांप्रदायिकता एक विनाशकारी विचारधारा के रूप में उभर रही है. विहिप समेत हिंदू संगठन हिंदू-बहुल राज्य की स्थापना करना चाहते हैं और अन्य समुदायों को गुलाम बनाना चाहते हैं.’

इसमें शिवसेना का भी जिक्र है और जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने पर चिंता व्यक्त की गई है.

मामले में फरहत खान और प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन को भी आरोपी बनाया गया है.

रहमान ने तब कहा था, ‘एलएलएम का एक विषय है, जिसका नाम है ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’. यह देखते हुए कि इसके लिए कोई पाठ्यक्रम निर्धारित नहीं है छात्र उन विषयों पर कोई भी पुस्तक चुन सकते हैं. मुझे 2019 में प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था और यह पुस्तक 2014 से लाइब्रेरी में है.’

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुरू में मामले में रहमान को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. 16 दिसंबर, 2022 को शीर्ष अदालत ने खुद रहमान को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था, जिसके बाद 22 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने रहमान को जमानत दे दी थी.

जब रहमान के वकील एडवोकेट अल्जो के. जोसेफ ने पीठ को इस बारे में सूचित किया तो पीठ ने रहमान द्वारा मामले में सुरक्षा की मांग वाली याचिका का निस्तारण कर दिया.

तब राज्य सरकार ने यह दर्ज करने का अनुरोध किया कि वह जमानत को चुनौती देने की इच्छुक है.

लाइव लॉ के मुताबिक, सीजेआई ने पूछा, ‘राज्य को कुछ और गंभीर चीजें करनी चाहिए. वह कॉलेज के प्रिंसिपल हैं. आप उन्हें क्यों गिरफ्तार कर रहे हैं? लाइब्रेरी में एक किताब मिली है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें कुछ सांप्रदायिक बातें हैं. इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है? किताब 2014 में खरीदी गई थी और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है? क्या आप वाकई इस बारे में गंभीर हैं?’

यह वही कॉलेज है, जिसमें एक दिसंबर 2022 को एबीवीपी ने अपनी शिकायत में यह आरोप भी लगाया था कि हर शुक्रवार को प्रिंसिपल, मुस्लिम शिक्षक और इस समुदाय के छात्र-छात्रा मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं और इस वक्त कक्षाएं नहीं लगती हैं. महाविद्यालय परिसर में लव जिहाद को बढ़ावा दिए जाने और मांस खाए जाने का भी आरोप है.

हंगामे के बाद महाविद्यालय के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. इनामुर्रहमान ने कहा था कि उन्होंने छह प्रोफेसरों को शैक्षणिक कार्य से पांच दिन के लिए हटा दिया है और जिला न्यायालय के किसी अवकाशप्राप्त न्यायाधीश से इन आरोपों की जांच का निर्णय किया है.

इसके बाद लाइब्रेरी में कथित हिंदूफोबिक किताब मिलने का मामला सामने आया था, जिसके बाद शहर के भंवरकुआं थाने में ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ के शीर्षक इस किताब की लेखक डॉ. फरहत खान, प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन, प्रिंसिपल डॉ. इनामुर्रहमान और संस्थान के प्रोफेसर मिर्जा मोजिज बेग के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.