पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) लाने की बात कही थी, ताकि प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. इस संबंध में सोमवार को आयोग 8 राष्ट्रीय और 57 क्षेत्रीय दलों को इसका तकनीकी प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था. इनमें से अधिकांश दलों का कहना था कि आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है.
नई दिल्ली: विपक्षी दलों द्वारा मुद्दे पर चर्चा के लिए और समय की मांग के बाद चुनाव आयोग ने सोमवार बीते को प्रवासी मतदाताओं के लिए लाई जा रही रिमोट ईवीएम या रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) कार्यप्रणाली का राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने प्रदर्शन नहीं किया.
आयोग ने आठ राष्ट्रीय और 57 राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दलों को सोमवार को आमंत्रित किया था. बैठक में 40 राज्यस्तरीय दलों ने हिस्सा लिया. सभी आठ राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए.
हालांकि, कई दलों ने इस विचार का यह कहते हुए विरोध किया कि वे रिमोट वोटिंग की जरूरत को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.
राजनीतिक दलों के अनुरोध पर आयोग ने आरवीएम से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर उनके द्वारा लिखित विचार प्रस्तुत करने की तारीख बढ़ाकर 28 फरवरी कर दी. पहले यह तारीख 31 जनवरी थी.
रविवार (15 जनवरी) को हुई बैठक में कांग्रेस के नेतृत्व में 16 विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रस्ताव के विरोध करने का फैसला लिया था.
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने बाद में कहा कि निर्वाचन आयोग ने आश्वासन दिया है कि हितधारकों के बीच आम सहमति बनने के बाद ही वह रिमोट वोटिंग प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरवीएम की कार्य प्रणाली के प्रदर्शन के लिए आयोग द्वारा आयोजित राजनीतिक दलों की बैठक में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘कोई भी विपक्षी दल रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन को नहीं देखना चाहता. पहले ऐसी मशीन की आवश्यकता का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए.’
सिंह ने कहा कि उन्हें लगता है कि जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक आरवीएम का प्रदर्शन न हो. उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल प्रदर्शन देखने को तैयार नहीं है.
सिंह ने कहा, ‘आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है.’
उन्होंने कहा कि आयोग को देश के विशिष्ट नागरिकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बारे में उठाई गई चिंताओं का समाधान करना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी मतदाताओं की उदासीनता के मुद्दे को भी संबोधित करना चाहिए.
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने भी आरवीएम की जरूरत पर सवाल उठाया और कहा कि मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के दूसरे रास्ते भी हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न राज्यों में आरवीएम का इस्तेमाल करने वाले पात्र प्रवासी मजदूरों के बीच प्रचार अभियान कैसे चलाएंगे? अगर सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव है, उदाहरण के तौर पर जालंधर में तब आरवीएम अस्वीकार्य है.’
संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी भी इस प्रस्ताव का विरोध करती है. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार प्रवासी श्रमिकों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है तो चुनाव के लिए तीन अवकाश होने चाहिए. मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त बसें और ट्रेनें भी मुहैया कराई जा सकती हैं.
हम Remote Voting Machine का विरोध करते हैं
RVM से संसाधन सम्पन्न राजनीतिक दल फ़ायदा उठाएंगे
भारत का Voting % USA-France-Britain समेत विकसित देशों से ज़्यादा है
अगर वोटिंग % बढ़ाना चाहते हैं तो 3 दिन छुट्टी और Bus-Train मुफ़्त कर दीजिए ताकि लोग वोट करने आ सके
–@SanjayAzadSln pic.twitter.com/iACKkqI6lw
— AAP (@AamAadmiParty) January 16, 2023
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधि शम्मी ओबेरॉय ने चुनाव आयोग से कहा कि जहां सरकार ‘घरेलू प्रवासियों को उन्हें मतदान के अधिकार का इस्तेमाल करने की सुविधा देने को लेकर चिंतित’ है, वहीं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के 1.4 करोड़ लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने से वंचित बने हुए हैं.
@oberoi_shammi while speaking on the issue said that when the government is concerned about facilitating domestic migrants to exercise their voting rights, the 1.4 crore people of J&K continue to remain deprived from exercising their democratic rights.
— JKNC (@JKNC_) January 16, 2023
हालांकि, कुछ दलों के प्रतिनिधियों ने प्रोटोटाइप रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) के प्रदर्शन को देखा, जबकि कुछ दल यह कहते हुए इससे दूर रहे कि कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर आम सहमति बनाए जाने तक तकनीकी प्रदर्शन से बचा जा सकता है. अधिकतर विपक्षी दलों ने इस पर आगे बढ़ने से पहले घरेलू प्रवासियों की परिभाषा समेत कानूनी, प्रशासनिक ढांचे को लेकर व्यापक सहमति बनाने पर जोर दिया.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की घोषणाओं पर संयुक्त रुख अपनाने वाले 16 विपक्षी दलों ने रविवार को कहा था कि वे आरवीएम लगाने के फैसले का विरोध करेंगे.
इस बैठक में जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेताओं के साथ-साथ राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने भी हिस्सा लिया था.
द हिंदू के मुताबिक, विपक्षी दलों की बैठक बुलाने वाली कांग्रेस की ओर से रविवार को एक बयान में कहा गया था, ‘यह फैसला किया गया कि कल (सोमवार) की बैठक में पार्टियों द्वारा उठाए गए सवालों पर ईसीआई की प्रतिक्रिया पर बाद में सामूहिक रूप से विचार किया जाएगा और विपक्षी दल इस मुद्दे पर एक संयुक्त रुख अपनाएंगे.’
बैठक के बाद दिग्विजय सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आज उपस्थित सभी राजनीतिक दलों ने समग्र दृष्टिकोण से रिमोट वोटिंग मशीन के प्रस्ताव का सर्वसम्मति से विरोध किया, क्योंकि यह अभी भी बहुत स्पष्ट नहीं है. प्रस्ताव में भारी राजनीतिक विसंगतियां और समस्याएं हैं. प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा और प्रवासी श्रमिकों की संख्या सभी बहुत स्पष्ट नहीं हैं. हमने सर्वसम्मति से आरवीएम के प्रस्ताव का विरोध करने का मन बना लिया है.’
चुनाव आयोग ने पहले कहा था कि आरवीएम प्रवासी श्रमिकों के लिए गेम चेंजर साबित होंगी.
(1/n)ECI ready to pilot remote voting for domestic migrants; migrant voter need not travel back to home state to vote; ECI develops prototype Multi-Constituency Remote Electronic Voting Machine (RVM); invites political parties for demonstration of prototype RVM.
— Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) December 29, 2022
पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने कहा था कि अगर यह पहल लागू की जाती है, तो प्रवासियों के लिए इससे ‘सामाजिक परिवर्तन’ हो सकता है. प्रत्येक मशीन के जरिये 72 निर्वाचन क्षेत्रों में रह रहे प्रवासी मतदाता दूरस्थ मतदान केंद्र से अपना वोट डाल सकेंगे.
हाल ही में एक बयान में निर्वाचन आयोग ने बताया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था और आयोग विभिन्न राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 30 करोड़ से अधिक मतदाताओं के अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करने को लेकर चिंतित है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि मतदान नहीं करने वाले 30 करोड़ मतदाताओं में प्रवासी, युवा और अन्य शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)