असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत कहा है कि राज्य में मुसलमानों की अच्छी-ख़ासी आबादी है और यह ‘कट्टरपंथ को बढ़ावा देने’ के लिए ‘स्वाभाविक लक्ष्य’ है. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं.
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गुवाटाही: असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने ‘कट्टरपंथ’ के खतरे को कम करने के लिए छोटे मदरसों को बड़े मदरसों में शामिल करने का फैसला किया है.
उन्होंने बताया कि राज्य के ऐसे सभी शिक्षण संस्थानों का डेटाबेस तैयार करने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है.
महंत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि असम में मुसलमानों की अच्छी-खासी आबादी है और यह ‘कट्टरपंथ को बढ़ावा देने’ के लिए ‘स्वाभाविक लक्ष्य’ है. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं.
महंत ने कहा कि राज्य पुलिस ने आतंकवादी संगठन- अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) और अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) के नौ मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और पिछले साल 53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था.
महंत ने कहा कि मुस्लिम नेताओं ने ही इन गतिविधियों की जांच के लिए अधिकारियों से संपर्क किया था और समुदाय के 68 नेताओं के साथ बैठक में मदरसों में शैक्षिक सुधार लाने पर सहमति बनी थी.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘उन्होंने कहा, मदरसा चलाने वाले लोगों को हमने जानकारी के लिए बुलाया था. हमने उनसे एक बोर्ड बनाने को कहा. हम कुछ नियम बना रहे हैं कि उन छोटे मदरसों को बड़े मदरसों में मिला दिया जाएगा, जिनमें 50 से कम छात्र हैं.’
उन्होंने कहा कि इस काम में मुस्लिम लोगों ने हमारी मदद की है. जल्द ही हमारे हाथ में एक आंकड़ा होगा. 100 से अधिक मदरसों का पहले ही विलय कर दिया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में निजी प्रबंधन के तहत लगभग 2,500 मदरसे संचालित होते हैं. डीजीपी, राज्य माध्यमिक शिक्षा निदेशक ममता होजई और पांच निजी मदरसा शिक्षा बोर्डों के प्रतिनिधियों के बीच पिछले साल हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य के बाहर के किसी भी शिक्षक को नियुक्त करने से पहले मदरसों को उस व्यक्ति का पुलिस सत्यापन कराना होगा और दो मदरसों के बीच तीन किलोमीटर की दूरी रखनी होगी.
साथ ही, प्रत्येक मदरसे में न्यूनतम 100 छात्रों का नामांकन होना चाहिए. इन निजी बोर्डों को 1 दिसंबर, 2022 तक अपने से संबद्ध मदरसों का विवरण अपलोड करना होगा.
असम डीजीपी महंत ने कहा, ‘वर्तमान में सर्वेक्षण जारी है, मदरसे पोर्टल में अपेक्षित विवरण अपलोड कर रहे हैं.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सभी मदरसों का डेटाबेस तैयार करने के लिए सर्वे चल रहा है, जिसमें जमीन का ब्योरा, शिक्षकों की संख्या, छात्रों और पाठ्यक्रम शामिल होगा. डीजीपी ने कहा कि इसके 25 जनवरी तक तैयार होने की उम्मीद है.
सभी शिक्षकों को पुलिस सत्यापन से गुजरना होगा और इस्लामिक नेता राज्य के बाहर से आने वाले शिक्षकों पर भी नजर रखेंगे.
महंत ने कहा, ‘पुलिस अधीक्षकों को विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल निचले असम के जिलों और बराक घाटी के तीन जिलों में कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है.’
53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार करने के अलावा राज्य के अधिकारियों ने पिछले साल (2022) निजी मदरसों को ध्वस्त कर दिया था, जहां कथित रूप से उग्रवादी लिंक वाले शिक्षकों ने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का एजेंडा चलाया था.
इस महीने की शुरुआत में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि मदरसों में पढ़ा रहे असम के बाहर के शिक्षकों को नियमित रूप से थानों में उपस्थित होना पड़ेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य पुलिस मदरसा शिक्षा को युक्तिसंगत बनाने के लिए मुस्लिमों के साथ काम कर रही है. पुलिस शिक्षा के प्रति सकारात्मक रुख रखने वाले कुछ बंगाली मुस्लिमों के साथ भी समन्वय कर रही है. मदरसों में विज्ञान और गणित की शिक्षा दी जाएगी और शिक्षकों का एक डेटाबेस रखा जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)