नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है, वहीं मेघालय और त्रिपुरा की विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: 15 और 22 मार्च को समाप्त हो रहा है. तीनों राज्यों की विधानसभाओं में 60-60 सीटें हैं.
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नई दिल्ली: त्रिपुरा के आगामी विधानसभा चुनाव के तहत 16 फरवरी को मतदान होगा जबकि मेघालय और नगालैंड में एक ही दिन 27 फरवरी को मत डाले जाएंगे.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण तारीखों की घोषणा की. उन्होंने कहा कि तीनों राज्यों में मतगणना दो मार्च को होगी.
चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही तीनों राज्यों में आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई.
नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है, वहीं मेघालय और त्रिपुरा की विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: 15 और 22 मार्च को समाप्त हो रहा है. तीनों राज्यों की विधानसभाओं में 60-60 सीटें हैं.
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में इस साल सबसे पहले विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को कहा था कि नगालैंड में 13.9 लाख से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं और 30,000 से अधिक मतदाता पहली बार आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए तैयार हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि तीनों राज्यों में 62.8 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 1.76 लाख पहली बार मतदाता हैं.
कुमार ने कहा, ‘कुछ मतदान केंद्र पूरी तरह से शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्तियों और महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित किए जाएंगे. नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के 376 मतदान केंद्रों पर महिलाएं कमान संभालेंगी.’
त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है, वहीं नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में है. मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है. एनपीपी पूर्वोत्तर की एकमात्र पार्टी है जिसे राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता हासिल है.
त्रिपुरा
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 21 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख 30 जनवरी होगी.
उन्होंने कहा कि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख दो फरवरी होगी और मतदान 16 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी.
त्रिपुरा में मतदाताओं की कुल संख्या 28,13,478 है. वर्तमान में वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार है.
राज्य विधानसभा में वर्तमान में सदस्यों की कुल संख्या 53 है जबकि सात सीट रिक्त हैं. इनमें भाजपा के 33, आईपीएफटी के चार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के 15 और कांग्रेस का एक सदस्य शामिल है.
भाजपा और आईपीएफटी ने इस बार साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है जबकि कांग्रेस और माकपा ने चुनावी गठबंधन किया है. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 सालों से सत्ता पर काबिज माकपा को हराया था.
भाजपा ने राज्य की 60 में से 35 सीट पर जीत दर्ज की थी और आईपीएफटी ने आठ सीट पर जीत हासिल की थी जबकि माकपा 16 सीट पर सिमट गई थी.
इस चुनाव के बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और बिप्लब कुमार देब राज्य के मुख्यमंत्री बने.
पिछले साल मई महीने में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने देब को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया और उनकी जगह माणिक साहा को राज्य की कमान सौंपी.
मेघालय
मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है. राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 21 लाख के करीब है.
कुमार ने बताया कि मेघालय विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख सात फरवरी होगी जबकि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी होगी. उन्होंने बताया कि मतदान 27 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी.
वर्तमान में मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अगुवाई में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) की गठबंधन सरकार है और कोनराड संगमा इसका नेतृत्व कर रहे हैं.
हालांकि, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है.
वर्तमान में मेघालय विधानसभा में कुल 42 सदस्य हैं, जबकि 18 सीट अभी रिक्त हैं. इनमें एनपीपी के 20, यूडीपी के आठ, तृणमूल कांग्रेस के आठ, पीडीएफ और भाजपा के दो-दो, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक ओर एक निर्दलीय विधायक शामिल है.
मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई.
कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी. प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी.
चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी और भाजपा के बीच गठबंधन था. इस बार के चुनाव में एनपीपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
नगालैंड
नगालैंड की 60 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है. राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 13,09,651 है.
कुमार ने बताया कि नगालैंड विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख सात फरवरी होगी जबकि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी होगी.
उन्होंने बताया कि मतदान 27 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी.
नगालैंड में वर्तमान में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) सत्ता में है. वर्तमान में राज्य विधानसभा में कुल 59 सदस्य हैं. इनमें एनडीपीपी के 41, भाजपा के 12, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार, तथा दो निर्दलीय सदस्य हैं जबकि एक सीट फिलहाल रिक्त है.
पिछले विधानसभा चुनाव में नगालैंड में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के नेतृत्व वाला एनपीएफ 26 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा. इस चुनाव में वरिष्ठ नेता नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाले एनडीपीपी को 17 और भाजपा को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई.
बाद में भाजपा और एनडीपीपी ने जनता दल यूनाइटेड और कुछ अन्य दलों के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई और नेफ्यू रियो चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. इस बार में चुनाव में भाजपा और एनडीपीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)