बंगाल कांग्रेस ने कहा, आज़ादी के बाद से बंगाल में सांप्रदायिकता और जाति कभी मुद्दा नहीं था, जानबूझकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है.
नई दिल्ली: केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की आरे से भाजपा पर राज्य में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के आरोप के बाद अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी आरोप लगाया है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विधानसभा चुनाव से पहले माहौल में सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
उधर, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय के भाजपा ज्वाइन करने के बाद ही पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीरंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए राज्य में सांप्रदायिकता को हवा दे रही है तथा इसके जरिये वह राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों में जुटी है.
पिछले ही महीने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक हिंसा के मुद्दे पर भाजपा की जनरक्षा यात्रा में शामिल हुए कुछ केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने अपने उकसावे वाले बयानों से राज्य में सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, अधीरंजन चौधरी ने बताया कि आजादी के साठ वर्षों तक पश्चिम बंगाल में कभी सांप्रदायिकता और जाति राजनीतिक मुद्दे नहीं हुआ करते थे. किंतु पिछले कुछ वर्षों से जानबूझकर राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य में जिस तरह से सांप्रदायिक घटनाएं हो रहीं है, विशेष कर धार्मिक त्योहारों के अवसर पर, उतना पहले देखने को नहीं मिलता था. उन्होंने कहा कि इसके लिए कुछ हद तक राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार भी जिम्मेदार है क्योंकि वह कानून व्यवस्था की स्थिति पर पूरा ध्यान नहीं दे रही है.
चौधरी ने कहा कि भाजपा राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को भी यह रास आ रहा है क्योंकि वह इसके जरिये अल्पसंख्यकों की हमदर्दी बटोर रही है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय के भाजपा शामिल होने के बारे में उनकी प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि इससे राज्य में भाजपा को थोड़ा फायदा अवश्य मिल सकता है कि वह तृणमूल के एक बड़े नेता हैं.
उन्होंने कहा कि रॉय तृणमूल कांग्रेस के प्रबंधन कार्यों में माहिर हैं. उनकी संगठन पर अच्छी पकड़ है. चौधरी ने हालांकि यह भी कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात करने वाली भाजपा ने अब तृणमूल के उस नेता को अपने दल में शामिल कर लिया जिन पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे हैं.
उन्होंने कहा कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा को अब मुकुल रॉय के संबंध में कोई भी आरोप दिखाई नहीं देंगे क्योंकि उनके साथ आ गए हैं.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता भाजपा की इस सांप्रदायिक सोच और उनकी चालों को अच्छी तरह समझती है और उन्हें कभी भी राज्य में सफल नहीं होने देगी.
सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं अमित शाह: सिद्धारमैया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा प्रमुख अमित शाह विधानसभा चुनाव से पहले माहौल में सांप्रदायिकता फैलाने की हताश कोशिश कर रहे हैं.
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष ने गुरुवार को टीपू जयंती को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा था. इसपर जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने दावा किया चुनाव शाह जैसे पर्यटकों को यहां खींच लाया है, जो राज्य के बारे में अपनी अनभिज्ञता दर्शाते हैं.
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, हम नव कर्नाटक के 26 नेताओं और निर्माताओं की जयंती मनाते हैं. सांप्रदायिकता फैलाने की हताश कोशिश में अमित शाह ने सिर्फ टीपू जयंती को निशाना बनाया.
उन्होंने दावा किया, चुनाव आ रहे हैं. यह अमित शाह जैसे पर्यटकों को खींच लाता है. वह हमारे राज्य के बारे में अनभिज्ञता दर्शाते हैं और कन्नड़ राज्योत्सव को कर्नाटक महोत्सव कहते हैं.
गुरुवार को बेंगलुरु में एक रैली में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येद्दियुरप्पा की अगुवाई में 75 दिवसीय राज्यव्यापी यात्रा को रवाना करते हुए शाह ने टीपू जयंती समारोह की निंदा की थी और सिद्धारमैया सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था.
शाह ने कहा था, एक नवंबर कर्नाटक स्थापना दिवस था. कर्नाटक महोत्वस काफी भव्य तरीके से होना था लेकिन सिद्धरमैया सरकार को कर्नाटक महोत्सव में दिलचस्पी ही नहीं है, वह तो 10 नवंबर को टीपू जयंती मनाने के प्रति उत्साह में डूबी है.
सिद्धारमैया ने कई ट्वीट कर टीपू जयंती का बचाव किया. उन्होंने लिखा, राज्य के लोगों ने टीपू जयंती को स्वीकार किया है. टीपू देशभक्त थे. वह हिंदुओं या किसी अन्य समुदाय के विरुद्ध नहीं थे.
मुख्यमंत्री ने प्रदेश भाजपा नेताओं पर चुटकी लेते हुए आरोप लगा कि उन्होंने कभी टीपू सुलतान को स्वतंत्रता सेनानी कहा था लेकिन अब शाह से पाठ पढ़कर वह प्रबुद्ध हो गए हैं. उन्होंने दावा किया भाजपा की यात्रा पहले दिन से ही विफल हो गई है, जिससे साबित होता है कि जनता पार्टी के साथ नहीं हैं.
भाजपा टीपू जयंती का विरोध करती आ रही है क्योंकि उसका मानना है कि 18 वीं सदी में मैसूर का यह शासक नृशंस हत्यारा और कट्टर था जिसने लोगों को मुसलमान बनाया. कर्नाटक में अगले साल के आरंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा सिद्धारमैया सरकार को बेदखल कर सत्ता पर काबिज होने के प्रयास में है.
भाजपा को ‘परिवर्तन’ की जरूरत: सिद्धरमैया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा कि राज्य में भाजपा को ‘परिवर्तन’ की जरूरत है, क्योंकि दो नवंबर को बेंगलुरु में शुरू हुई अपनी ‘परिवर्तन रैली’ में पार्टी 3,000 लोगों को भी नहीं जुटा सकी.
पत्रकारों से बातचीत में सिद्धरमैया ने कहा कि भाजपा को उम्मीद थी कि वह दो नवंबर को बेंगलुरु में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ओर से शुरू की गई अपनी रैली के लिए लाखों लोग जुटा लेगी, लेकिन ‘सिर्फ खाली कुर्सियां मंच पर उनका इंतजार कर रही थीं.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार शुरू करेगी, जो ‘परिवर्तन रैली’ से अलग होगा.
‘राष्ट्रीय नेताओं को झूठे प्रचार के लिए लगाया गया’
केरल में वर्षों से आरएसएस और वाम कार्यकर्ताओं के चल रही राजनीतिक हिंसा के विरोध में हाल ही में भाजपा ने जनरक्षा यात्रा निकाली थी. इस यात्रा में भाजपा के कई केंद्रीय मंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि शामिल हुए थे.
यात्रा संपन्न होने के बाद भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आरोप लगाया था कि भाजपा की पदयात्रा में शामिल हुए कुछ केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने अपने उकसावे वाले बयानों से राज्य में सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया है.
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि केरल में राजनीतिक हिंसा के लिए वामपंथी पार्टी जिम्मेदार है और राज्य जिहादी आतंक का उर्वर स्थान बन गया है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विजयन ने कहा कि भाजपा नेताओं के झूठे और गलत प्रचार से देश के संघीय सिद्धांतों का भी उल्लंघन हुआ है.
भाजपा की जनरक्षा यात्रा 17 सितंबर को अमित शाह द्वारा की गई एक रैली के बाद यात्रा संपन्न हुई थी. इसके एक दिन बाद विजयन ने ट्वीट किया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ केंद्रीय मंत्री और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री संघीय सिद्धांतों को भूल गए हैं और उन्होंने केरल में सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया.
उन्होंने कहा, यात्रा के लिए 16 केंद्रीय मंत्रियों, चार मुख्यमंत्रियों, एक उपमुख्यमंत्री, 25 सांसदों विधायकों और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को झूठे प्रचार के लिए लगाया गया. स्थानीय मीडिया ने अनदेखी की, राष्ट्रीय मीडिया को तथ्यों का एहसास है, सोशल मीडिया ने मजाक बनाया. केरल में इनकी भड़काने वाली रणनीति पूरी तरह से विफल रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)