आईटी नियमों में संशोधनों को हटाया जाए, मीडिया परिषद की स्थापना की जाए: प्रेस एसोसिएशन

प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि प्रेस काउंसिल पहले से ही फ़र्ज़ी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फेक न्यूज़ को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.

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(इलस्ट्रेशन: द वायर)

प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि प्रेस काउंसिल पहले से ही फ़र्ज़ी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फेक न्यूज़ को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: प्रेस एसोसिएशन (पीए) ने शुक्रवार को सरकार से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में संशोधन के मसौदे को हटाने के लिए कहा है.

सरकार ने बीते 19 जनवरी को अपनी मीडिया शाखा पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा ‘फर्जी’ या ‘भ्रामक’ के रूप में चिह्नित सामग्री को हटाने के लिए नए आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन पर जनता से टिप्पणियां आमंत्रित की थीं.

सरकारी मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के एक प्रतिनिधि निकाय प्रेस एसोसिएशन ने इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की तर्ज पर एक अर्द्ध न्यायिक निकाय स्थापित करने का भी सुझाव दिया और उसके पास फर्जी समाचारों की शिकायतों पर निर्णय लेने के लिए शक्तियां होनी चाहिए.

एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘प्रेस काउंसिल पहले से ही फर्जी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फर्जी समाचार को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.’

एसोसिएशन ने कहा कि अगर सरकार इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया को प्रेस काउंसिल के दायरे में लाना चाहती है, तो वह मीडिया परिषद की स्थापना की सिफारिश कर सकती है और प्रस्ताव पहले से ही पीसीआई के पास है.

एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से इस नए संशोधन को समाप्त करने और डिजिटल मीडिया के लिए नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श शुरू करने का भी आग्रह किया।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बीते 17 जनवरी को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया, जिसे पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था.

इसमें कहा गया है कि प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेकिंग इकाई द्वारा ‘फर्जी (फेक)’ मानी गई किसी भी खबर को सोशल मीडिया मंचों समेत सभी मंचों से हटाना पड़ेगा. ऐसी सामग्री जिसे ‘फैक्ट-चेकिंग के लिए सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी’ या ‘केंद्र के किसी भी कार्य के संबंध में’ भ्रामक के रूप में चिह्नित किया गया है, उसे ऑनलाइन मंचों (Intermediaries) पर अनुमति नहीं दी जाएगी.

ज्ञात हो कि इससे पहले डिजिटल मीडिया संगठनों के एक संघ ‘डिजीपब’ ने बीते 19 जनवरी को कहा था कि आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन संभावित रूप से प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने के लिए एक सुविधाजनक संस्थागत तंत्र बन सकता है.

बीते 18 जनवरी को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी सरकार से आग्रह किया था कि सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा फर्जी माने जाने वाले समाचारों को हटाने के लिए निर्देश देने वाले आईटी नियमों में संशोधन के मसौदे को हटाया जाए.

गिल्ड ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि फर्जी समाचारों के निर्धारण का जिम्मा केवल सरकार के हाथों में नहीं हो सकता है. गिल्ड को लगता है कि यह (ड्राफ्ट संशोधन) प्रेस की सेंसरशिप के समान है.

गौरतलब है कि 2019 में स्थापित पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई, जो सरकार और इसकी योजनाओं से संबंधित खबरों को सत्यापित करती है, पर वास्तविक तथ्यों पर ध्यान दिए बिना सरकारी मुखपत्र के रूप में कार्य करने का आरोप लगता रहा है.

मई 2020 में न्यूज़लॉन्ड्री ने ऐसे कई उदाहरण बताए थे, जहां पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई वास्तव में तथ्यों के पक्ष में नहीं थी, बल्कि सरकारी लाइन पर चल रही थी.

फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के संस्थापक प्रतीक सिन्हा का भी कहना है कि समस्या यह भी है कि पीआईबी किन खबरों का फैक्ट-चेक करने का फैसला करता है और किनको नजरअंदाज करता है.

उन्होंने न्यूजलॉन्ड्री से कहा था, ‘मुद्दा यह है कि पीआईबी फैक्ट चेक इकाई क्या सत्यापित करने का फैसला करती है. यदि आप पीआईबी द्वारा किए गए फैक्ट-चेक देखते हैं तो कुछ अपवादों को छोड़कर वे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचने से बचाने की कोशिश करते हैं. वे उन चुनिंदा खबरों का फैक्ट-चेक करते हैं, जो स्वभाव से राजनीतिक हैं और सत्तारूढ़ पार्टी के लिए आलोचनात्मक हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह कहना कि केवल पीआईबी फैक्ट-चेकिंग इकाई ही यह तय करेगी कि क्या सच है और क्या झूठ है, बताता है कि केवल सरकार के खिलाफ गलत सूचना को हटाया जाएगा. अन्य सभी गलत सूचनाओं को ऑनलाइन बने रहने की अनुमति होगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)