30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. पुल के रखरखाव व संचालन का ठेका ओरेवा समूह के पास था. मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से चार ओरेवा के कर्मचारी हैं.
नई दिल्ली: गुजरात के मोरबी में मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल ढहने की त्रासदी के ढाई महीने बाद गुजरात पुलिस ने स्थानीय कॉरपोरेट ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है. इसी कंपनी को पुल के जीर्णोद्धार, मरम्मत और संचालन का ठेका दिया गया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को पुलिस ने पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि पुलिस ने पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया है. इस बीच, अपनी गिरफ्तारी के डर से पटेल ने अग्रिम जमानत के लिए एक स्थानीय अदालत का रुख किया है, जहां कोर्ट ने सुनवाई एक फरवरी तक के लिए टाल दी है.
त्रासदी की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने ओरेवा समूह द्वारा ब्रिटिश युग के इस पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियों का हवाला दिया है. पुलिस की कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा नगर पालिका को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद हुई थी.
बता दें कि मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल 30 अक्टूबर 2022 को ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 140 से अधिक लोग मारे गए थे. एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बाद पुल को 26 अक्टूबर को लोगों के लिए फिर से खोला गया था.
दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी में घड़ी और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ‘ओरेवा ग्रुप’ को शहर की नगर पालिका ने पुल की मरम्मत करने तथा संचालित करने के लिए 15 साल तक का ठेका दिया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओरेवा समूह ने यह ठेका एक अन्य फार्म को दे दिया था, जिसने रेनोवेशन के लिए आवंटित दो करोड़ रुपये में से मात्र 12 लाख खर्चे थे.
पुलिस ने मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से चार लोग ‘ओरेवा समूह’ से हैं. पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मदारी संभालने वाली कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कई बार समन किए जाने के बावजूद पटेल पूछताछ के लिए पुलिस के सामने पेश नहीं हुए, जिसके बाद वॉरंट जारी किया गया था.
उल्लेखनीय है कि दुर्घटना के हफ्तेभर बाद गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया था. इसके बाद नगर पालिका द्वारा दो नोटिसों के बावजूद घटना पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने पर हाईकोर्ट ने नगर पालिका को फटकार लगाते हुए कहा था कि जबाव दाखिल करे या जुर्माना भरे.
इससे पहले अदालत ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सुनवाई में अधिकारियों के उपस्थित न होने को लेकर भी फटकार लगाई थी.
इस घटना को लेकर शीर्ष अदालत ने भी याचिका दायर की गई थी, हालांकि कोर्ट ने इसे सुनने से इनकार करते हुए कहा था कि गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और कई आदेश पारित किए हैं, ऐसे में वह याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगी.