अक्टूबर 2021 में हुए लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आठ लोगों की मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को ज़मानत देने के अलावा इस संबंध में दर्ज एक अन्य एफ़आईआर के संबंध में क़ैद चार किसानों को भी अंतरिम ज़मानत का लाभ दिया. आशीष मिश्रा पांच लोगों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं, जिन्हें कथित तौर पर वाहन से कुचल दिया गया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को 2021 में हुए लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में बुधवार को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी. इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उन चार किसानों को भी अंतरिम जमानत दे दी, जो तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में आरोपी हैं.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने निर्देश दिया कि आशीष अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान न तो उत्तर प्रदेश और न ही दिल्ली में रह सकेंगे.
एनडीटीवी के मुताबिक, उन्हें एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ने का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा या उनके परिवार द्वारा गवाहों को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.
द हिंदू के मुताबिक, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मिश्रा को अपने ठिकाने के बारे में अदालत को सूचित करना होगा, स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी और अपना पासपोर्ट जमा करना होगा. उन हर मुकदमे की सुनवाई में पेश होना होगा.
अदालत ने इसी मामले के काउंटर केस में कैद अन्य चार किसानों को भी अंतरिम जमानत का लाभ दिया. इनकी जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित थी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, आशीष मिश्रा पांच लोगों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं, जिन्हें कथित तौर पर वाहन से कुचल दिया गया था.
हिंसा के संबंध में दर्ज एक अन्य एफआईआर दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की कथित तौर पर लिंचिंग (पीट-पीट कर हत्या) से संबंधित है. इस एफआईआर के संबंध में चार किसान अंडरट्रायल कैदी के रूप में हिरासत में थे, जिन्हें अंतरिम जमानत दी गई है. इनमें गुरविंदर सिंह, कवलजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह और विचित्र सिंह नामक किसान शामिल हैं.
अदालत में आदेश सुनाने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह अभियुक्तों के अधिकार और निष्पक्ष सुनवाई के राज्य के अधिकार और पीड़ितों के न्याय के अधिकार को संतुलित करने का एक प्रयास है.
पीठ ने कहा, ‘हिंसा के संबंध में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन घटना स्थल और घटना की बुनियाद एक ही है. इस दुर्भाग्यपूर्ण वीभत्स घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति कौन हैं, इस सवाल का पता पूर्ण परीक्षण के बाद ही लगाया जा सकता है. एक आवश्यक परिणाम के रूप में हम स्वप्रेरणा से संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए विचाराधीन अभियुक्तों को अंतरिम जमानत का लाभ देते हैं, यानी एफआईआर संख्या 220/2021 में शामिल आरोपी.’
अदालत ने आगे कहा, ‘नतीजतन यह निर्देश दिया जाता है कि जिन चार अभियुक्तों (किसान) को गिरफ्तार किया गया है और जिनकी जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित बताई जा रही है, उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है. उन्हें ट्रायल कोर्ट में उनके जमानत बांड प्रस्तुत करने होंगे.’
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने चिंता जताई थी कि अगर आशीष मिश्रा को इस मामले में जमानत नहीं दी गई तो दूसरे मामले में विचाराधीन किसान भी जमानत से वंचित हो जाएंगे.
मुकदमे की प्रगति के संबंध में निचली अदालत द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर अदालत 14 मार्च को इस मामले पर आगे विचार करेगी.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह अपराध घिनौना एवं गंभीर है. इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 26 जुलाई 2022 को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
गौरतलब है कि तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में हिंसा में तब आठ लोग मारे गए थे, जब किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में दौरे का विरोध कर रहे थे.
आरोप है कि इस दौरान केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकोनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.
मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.
उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था. घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या कर दी थी.
छह दिसंबर 2022 को निचली अदालत ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों में आरोप तय किए थे, जिससे सुनवाई की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया था.
मामले के अन्य आरोपियों में अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडेय, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं.
अब तक का घटनाक्रम
03 अक्टूबर, 2021: लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का किसानों द्वारा विरोध किए जाने के दौरान हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
05 अक्टूबर, 2021: घटना की जांच की निष्पक्षता पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर.
20 अक्टूबर, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस को इस धारणा को दूर करने की जरूरत है कि वह बहुत धीमे काम कर रही है और उसे मजिस्ट्रेट के सामने गवाहों के बयान दर्ज कराने एवं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
26 अक्टूबर, 2021: शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों को सुरक्षा देने तथा और प्रत्यक्षदर्शी खोजने का निर्देश दिया, क्योंकि ऐसी गवाही अधिक विश्वसनीय होती है.
17 नवंबर, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को उत्तर प्रदेश एसआईटी (विशेष जांच दल) की जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया.
10 फरवरी, 2022: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आशीष को नियमित जमानत दी और राय व्यक्त की कि मामला ‘वाहन से टकराकर दुर्घटना’ होने का है.
21 फरवरी, 2022: हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर.
04 मार्च, 2022: सुप्रीम कोर्ट जमानत देने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हुआ.
29 मार्च, 2022: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत देने को चुनौती देने का फैसला संबंधित प्राधिकारियों के पास लंबित है.
04 अप्रैल, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, घावों की प्रकृति जैसे अनावश्यक विवरणों पर उस समय विचार नहीं किया जाना चाहिए था, जब सुनवाई शुरू होनी बाकी हो. उसने आदेश सुरक्षित रखा.
18 अप्रैल, 2022: इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आशीष को दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया और उनसे एक हफ्ते में आत्मसमर्पण करने को कहा. न्यायालय ने जमानत याचिका हाईकोर्ट को वापस भेजी और उससे तीन महीने के भीतर ‘निष्पक्ष और उचित तरीके से तथा स्थापित मापदंडों को ध्यान में रखते हुए’ फिर से फैसला करने को कहा.
26 जुलाई 2022: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आशीष की जमानत याचिका खारिज की.
06 सितंबर 2022: आशीष की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा.
19 जनवरी, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा.
25 जनवरी, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)