जामिया में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा के बाद 70 छात्रों को हिरासत में लिया गया: एसएफआई

दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के गेट पर दंगा रोधी पुलिस तैनात की गई है. जानकारी के अनुसार, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 70 से अधिक ऐसे छात्रों को हिरासत में लिया है, जबकि पुलिस ने सिर्फ चार छात्रों को हिरासत में लेने की बात कही है. इससे पहले जेएनयू में कथित बिजली कटौती और पथराव के बीच गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई थी.

/
New Delhi: Delhi Police personnel detain students after Students' Federation of India (SFI)'s announcement to screen the BBC documentary on Prime Minister Narendra Modi, at the Jamia Millia Islamia campus in New Delhi, Wednesday, Jan. 25, 2023. (PTI Photo)(PTI01_25_2023_000202B)

दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के गेट पर दंगा रोधी पुलिस तैनात की गई है. जानकारी के अनुसार, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 70 से अधिक ऐसे छात्रों को हिरासत में लिया है, जबकि पुलिस ने सिर्फ चार छात्रों को हिरासत में लेने की बात कही है. इससे पहले जेएनयू में कथित बिजली कटौती और पथराव के बीच गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई थी.

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा के बाद दिल्ली पुलिस के जवानों ने जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में बुधवार को छात्रों को हिरासत में लिया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया में बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना को लेकर एक वामपंथी समूह के सदस्यों सहित कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और कक्षाएं निलंबित कर दी गईं.

वाम समर्थित छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने बुधवार को दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 70 से अधिक ऐसे छात्रों को हिरासत में लिया है, जो डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की घोषणा के बाद चार छात्रों को हिरासत में लिए जाने का विरोध करने के लिए में जामिया में एकत्र हुए थे.

इस संबंध में पुलिस की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

परिसर के बाहर छात्र जमा थे, वहीं बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) के जवानों को भी गेट पर तैनात किया गया है.

एसएफआई की दिल्ली राज्य कमेटी के सचिव प्रीतीश मेनन ने दावा किया कि पुलिस ने वहां एकत्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. उन्होंने कहा, ‘हम प्रदर्शन शुरू करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही छात्रों को हिरासत में ले लिया गया. उन्हें थाने ले जाया गया.’

https://twitter.com/ndtv/status/1618201350789267458

इससे पहले एसएफआई की जामिया इकाई ने एक पोस्टर जारी किया था, जिसके अनुसार एससीआरसी लॉन गेट नंबर 8 पर शाम छह बजे डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण की घोषणा की गई थी.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने चार छात्रों को हिरासत में लिया है.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी और वे ‘विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण अकादमिक माहौल को तबाह करने के निहित स्वार्थ वाले’ लोगों तथा संगठनों को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में कहा कि डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के लिए कोई अनुमति नहीं ली गयी है और इसे प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा.

विश्वविद्यालय ने कहा, ‘विश्वविद्यालय प्रशासन के संज्ञान में आया है कि एक राजनीतिक संगठन से जुड़े कुछ छात्रों ने आज विश्वविद्यालय परिसर में एक विवादित डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के बारे में पोस्टर बांटे हैं.’

विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले एक पत्र जारी कर कहा था कि सक्षम प्राधिकारियों की अनुमति के बिना परिसर में छात्रों की सभा या बैठक अथवा किसी फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी.

विश्वविद्यालय ने कहा कि किसी भी तरह का उल्लंघन होने पर आयोजकों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों को हिरासत में लिए जाने की कार्रवाई के खिलाफ छात्र कार्यकर्ताओं को बैनर लहराते और नारे लगाते हुए पुलिस द्वारा घसीटे जाते देखा गया. दंगा रोधी पोशाक से लैस पुलिस दक्षिण पूर्व दिल्ली स्थित कॉलेज के गेट पर तैनात है. केवल परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को ही अंदर जाने दिया जा रहा था और अन्य को लौटा दिया गया.

2002 के गुजरात दंगों के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर आधारित इस डॉक्यूमेंट्री पर भारत में रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को इसके लिंक हटाने के लिए कहा है. विपक्ष ने इस कदम को सेंसरशिप बताया है.

इससे पहले दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में मंगलवार शाम कुछ छात्रों द्वारा आयोजित इसी तरह की स्क्रीनिंग को लेकर हंगामा हुआ था. छात्र संघ कार्यालय में इंटरनेट और बिजली दोनों बंद कर दिए गए थे, जिसके बाद फोन या लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए सैकड़ों की भीड़ देखी गई थी और शाम एक विरोध मार्च के साथ इसका समापन हुआ था.

जामिया में एसएफआई के एक नेता वर्की परक्कल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘छात्र कुछ भी अवैध नहीं कर रहे थे. डॉक्यूमेंट्री को औपचारिक रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया है. सरकार के खिलाफ असहमति संविधान में निहित अधिकार है. अगर उच्च शिक्षा संस्थानों में लोकतंत्र के इन बुनियादी गुणों से इनकार किया जा रहा है, जहां छात्रों को सवाल करना, आलोचनात्मक होना, असहमत होना सिखाया जाता है, तो यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र माने जाने वाले देश में एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति दिखा रहा है.’

मालूम हो कि बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की प्रस्तावित स्क्रीनिंग को लेकर छात्रों की हिरासत के खिलाफ एसएफआई के विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई है. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

डॉक्यूमेंट्री ब्रिटेन सरकार की एक अब तक अनदेखी जांच रिपोर्ट का हवाला देती है, जिसमें कहा गया है कि ‘नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं’. यह घटनाओं की शृंखला का ‘हिंसा के व्यवस्थित अभियान’ के रूप में उल्लेख करती है, जिसमें ‘नस्लीय सफाई (एथनिक क्लेंजिंग) के सभी संकेत’ हैं.

ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ इसमें कहते नजर आते हैं कि ब्रिटिश टीम ने ‘बहुत गहन रिपोर्ट तैयार की है’.

सरकार ने बीते 20 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था.

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज किया है और कहा है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.

बीते 20 जनवरी को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि यह एक ‘गलत आख्यान’ को आगे बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है.

बहरहाल, बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री के साथ खड़ा हुआ है और उसका कहना है कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है. चैनल ने यह भी कहा कि उसने भारत सरकार से इस पर जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

कथित तौर पर बिजली कटौती और पथराव के बीच जेएनयू में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग

इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों के समूह ने कथित तौर पर प्रशासन द्वारा बिजली बंद कर देने और एबीवीपी सदस्यों द्वारा पथराव किए जाने के बीच मंगलवार रात को नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज के पहले एपिसोड की स्क्रीनिंग की.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बिजली कटौती और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्क्रीनिंग की अनुमति से इनकार के बीच छात्रों के समूह ने छात्र संघ कार्यालय में विभिन्न लैपटॉप पर एपिसोड देखा.

आधी रात के बाद ही बिजली बहाल हुई.

प्रशासन ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी कर छात्रों से स्क्रीनिंग रद्द करने को कहा था. प्रशासन ने कहा था कि इससे विश्वविद्यालय में शांति और सद्भाव भंग हो सकती है.

https://twitter.com/ANI/status/1617532875397816320

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से दावा किया कि बिजली गुल होने का स्क्रीनिंग से कोई लेना-देना नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हमें जेएनयू के कुलपति और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बताया है कि यह बिजली संबंधी अचानक आई समस्या का परिणाम था, जिसने एक तिहाई कैंपस को प्रभावित किया है. बिजली काटने का जान-बूझकर कोई प्रयास नहीं किया गया है.’

प्रदर्शनकारी छात्रों ने मंगलवार देर रात ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते हुए ‘पथराव करने वालों’ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए वसंत कुंज थाने तक मार्च निकाला था.

https://twitter.com/ANI/status/1617956476940845058

जेएनयू प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा था, ‘विश्वविद्यालय में बिजली आपूर्ति लाइन में गंभीर खराबी आ गई है. हम इसकी जांच कर रहे हैं. इंजीनियरिंग विभाग कह रहा है कि इसे जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा.’

छात्रों के आरोपों और दावों पर जेएनयू प्रशासन की ओर से तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. उसने सोमवार को कहा था कि छात्र संघ ने कार्यक्रम के लिए उसकी अनुमति नहीं ली है और इसे रद्द किया जाना चाहिए, अन्यथा सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

दो छात्रों ने जेएनयूएसयू सदस्यों पर परेशान करने का लगाया आरोप, छात्र संघ का इनकार

इस बीच जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) के दो छात्रों ने आरोप लगाया है कि जेएनयू छात्र संघ के कुछ सदस्यों ने उन्हें पीटा और परेशान किया, जबकि छात्र संघ की अध्यक्ष ओइशी घोष ने इन आरोपों को खारिज किया और आरोप लगाया कि इन छात्रों ने मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को देख रहे छात्रों पर पथराव किया था.

वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के सदस्य डॉक्यूमेंट्री देखने आए थे. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के दो सदस्यों को पकड़ा था, लेकिन उन्हें परेशान नहीं किया गया था.

आइसा की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष कासिम ने कहा, ‘जब वे हम पर पत्थर फेंक रहे थे हमने तभी उन्हें पकड़ लिया, लेकिन हमने किसी भी तरह उन्हें परेशान नहीं किया.’

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने के लिए जेएनयू छात्र संघ के कार्यालय में एकत्र हुए कई छात्रों ने दावा किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रोकने के लिए बिजली आपूर्ति और इंटरनेट कनेक्शन बाधित कर दिए. उन्होंने कहा कि पथराव के बाद प्रदर्शन किया गया.

उन्होंने दावा किया कि स्क्रीनिंग नहीं हो पाने कारण मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर हमला किया गया. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि हमलावर एबीवीपी के सदस्य थे, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध छात्र निकाय ने इन आरोपों का खंडन किया.

जेएनयूएसयू अध्यक्ष ओइशी घोष ने कहा कि उन्होंने पथराव कर रहे एबीवीपी के दो सदस्यों को पकड़ा. उन्होंने कहा, ‘हम अपने मोबाइल फोन पर शांति से डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, क्योंकि विश्वविद्यालय ने बिजली और इंटरनेट बंद कर दिया था. एबीवीपी के गुंडों ने हम पर पत्थर फेंके. हमने उनमें से दो को पकड़ लिया.’

पकड़े गए दो छात्रों में से एक छात्र विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष का छात्र गौरव हैं. उन्होंने पत्थर फेंकने की बात से इनकार किया और दावा किया कि जेएनयूएसयू के सदस्यों ने उसके साथ मारपीट की.

एबीवीसी से जुड़े गौरव ने कहा, ‘मैं चाय पीने के लिए अपने दोस्तों के साथ परिसर में बाहर निकला था, तभी मैंने देखा कि बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कई लोगों ने मुझे घेर लिया और मुझे गर्दन से पकड़ लिया. मैंने उनसे विनती की कि मैं हृदय का मरीज हूं और घबराहट की समस्या से जूझ रहा हूं, लेकिन उन्होंने घसीटना शुरू कर दिया और मुझ पर कई आरोप लगाए.’

दूसरे छात्र ने दावा किया, ‘मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर आया था, तभी उन्होंने मुझे पकड़ लिया और परेशान किया.’

इससे पहले बीते 22 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ‘फ्रैटरनिटी मूवमेंट- एचसीयू यूनिट’ के बैनर तले छात्रों के एक समूह ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी.

केरल में कई जगहों पर दिखाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, भाजपा युवा मोर्चा का प्रदर्शन

तिरुवनंतपुरम: गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को मंगलवार (24 जनवरी) को वाम समर्थक स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) सहित विभिन्न राजनीतिक संगठनों ने पूरे केरल में दिखाया. डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा ने प्रदर्शन किया.

पलक्कड़ में विक्टोरिया कॉलेज और एर्नाकुलम में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज तक युवा मोर्चा द्वारा प्रदर्शन मार्च निकाला गया, जहां एसएफआई ने डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन की घोषणा की थी.

दोनों जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने और किसी भी प्रकार के संघर्ष को टालने के लिए हस्तक्षेप किया.

केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की युवा शाखा डीवाईएफआई ने कहा कि वह न केवल केरल में बल्कि पूरे भारत में डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन करेगी.

डीवाईएफआई के राज्य सचिव वीके सनोज ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार इसे छिपाने का प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद इसे जनता को दिखाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के बारे में कुछ भी ‘राष्ट्र-विरोधी’ नहीं है, क्योंकि इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है.

सनोज ने कहा कि राज्य या देश में संघर्ष का माहौल बनाने में डीवाईएफआई की कोई दिलचस्पी नहीं है.

इससे पहले दिन में केरल में विभिन्न राजनीतिक समूहों ने घोषणा की कि वे डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन करेंगे, जिसके बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से हस्तक्षेप करने और इस तरह के प्रयासों पर रोक लगाने का आग्रह किया.

माकपा की युवा शाखा डीवाईएफआई ने अपने फेसबुक पेज पर डॉक्यूमेंट्री को केरल में प्रदर्शित किए जाने की घोषणा करके राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया.

इसके बाद माकपा से संबद्ध वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की विभिन्न शाखाओं, जिसमें यूथ कांग्रेस भी शामिल है, ने घोषणा की कि वे राज्य में डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन करेंगे.

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने भी कहा कि गणतंत्र दिवस पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया जाएगा.

भाजपा ने इस तरह के कदम को ‘देशद्रोह’ करार दिया और केरल के मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने और इस तरह के प्रयासों को रोकने की मांग की.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने विजयन से शिकायत कर मांग की कि राज्य में डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाए.

अपनी शिकायत में सुरेंद्रन ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने के विदेशी कदमों को माफ करने के समान होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि दो दशक पहले हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को फिर से दोहराने का उद्देश्य ‘धार्मिक तनाव को बढ़ावा देना’ है.

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने भी मुख्यमंत्री से डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया और मामले में उनसे तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.

मुरलीधरन ने फेसबुक पर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए गए आरोपों को फिर से पेश करना देश की सर्वोच्च अदालत की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने जैसा है.

मुरलीधरन और सुरेंद्रन दोनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को ‘राजद्रोह’ करार दिया.

एसएफआई ने इससे पहले दिन में फेसबुक पर अपने पोस्ट में कहा था कि राज्य के विभिन्न कॉलेज परिसरों में डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया जाएगा.

कांग्रेस की राज्य की युवा शाखा के अध्यक्ष शफी परम्बिल ने फेसबुक पर लिखा कि विश्वासघात और नरसंहार की यादों को सत्ता के दम पर छुपाया नहीं जा सकता और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री केरल में दिखाई जाएगी.

केपीसीसी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता शिहाबुद्दीन करयात ने एक बयान में कहा कि देश में इस पर अघोषित प्रतिबंध के मद्देनजर गणतंत्र दिवस पर पार्टी के जिला मुख्यालयों में डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq