तेलंगाना: सरकार द्वारा आधिकारिक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन नहीं, राज्यपाल ने साधा निशाना

तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति सरकार द्वारा परंपराओं के निर्वहन में उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य के राज्यपाल को आमंत्रित नहीं करना तेलंगाना सरकार द्वारा संविधान का घोर उल्लंघन है.

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तेलंगाना राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन. (फोटो: ट्विटर/@DrTamilisaiGuv)

तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति सरकार द्वारा परंपराओं के निर्वहन में उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य के राज्यपाल को आमंत्रित नहीं करना तेलंगाना सरकार द्वारा संविधान का घोर उल्लंघन है.

तेलंगाना राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन. (फोटो: ट्विटर/@DrTamilisaiGuv)

हैदराबाद/पुडुचेरी: तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध बृहस्पतिवार को एक बार फिर सामने आया जब मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने यहां राजभवन में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग नहीं लिया.

एनडीटीवी के अनुसार, राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने राजभवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और कथित तौर पर राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित भाषण के लिए राजभवन के संचार का जवाब न देने के बाद अपना भाषण पढ़ा.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे थे. सरकार की ओर से मुख्य सचिव और राज्य पुलिस प्रमुख ने भाग लिया.

सरकार ने कहा था कि उसने कोविड प्रतिबंधों के कारण राज्यपाल के समारोहों को राजभवन तक सीमित कर दिया था, जिससे अदालतें सहमत नहीं थीं.

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिया था कि राज्य सरकार द्वारा चुने गए स्थान पर जनता की भागीदारी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया जाए. हालांकि, बीआरएस सरकार परिसर में औपचारिक परेड और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ राजभवन में उत्सव मनाने की अपनी योजना पर अड़ी रही.

इस बीच, एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि मुख्यमंत्री राव ने यहां अपने शिविर कार्यालय-सह-सरकारी आवास प्रगति भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और महात्मा गांधी तथा बीआर आंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की.

विज्ञप्ति के अनुसार, राव ने सिकंदराबाद में सेना स्मारक का भी दौरा किया और देश के लिए बलिदान देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी.

उधर, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार ने गणतंत्र दिवस को आवश्यक महत्व नहीं दिया और इस अवसर पर कोई आधिकारिक समारोह आयोजित नहीं किया.

पुडुचेरी की उपराज्यपाल के रूप में भी कामकाज देख रहीं सुंदराराजन ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति सरकार द्वारा परंपराओं के निर्वहन में उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस पर चिंता जताई और कहा कि यह संविधान निर्माता आंबेडकर के विचारों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि वह इस तरह के उल्लंघनों से तंग आ गई हैं.

द हिंदू के मुताबिक, राज्यपाल ने पुडुचेरी में राज निवास में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य के राज्यपाल को आमंत्रित न करना तेलंगाना सरकार द्वारा संविधान का घोर उल्लंघन है. परेड न निकालकर और राज्यपाल को आमंत्रित कर मुख्यमंत्री ने गणतंत्र दिवस के महत्व को कमतर आंका. मुझे मुख्यमंत्री द्वारा बहिष्कार करने की आदत है, लेकिन अब उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह में राजभवन को शामिल नहीं करके संविधान का अपमान किया है.’

उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार को हैदराबाद में परेड ग्राउंड में समारोह आयोजित करना चाहिए था. सुंदराराजन ने कहा, ‘यह हास्यास्पद बात है कि सरकार ने मैदान में समारोह आयोजित नहीं करने के लिए कोरोना वायरस का हवाला दिया है. लेकिन हाल में एक समारोह आयोजित किया गया था जिसमें पांच लाख से अधिक लोग मौजूद रहे.’

उन्होंने कहा कि तेलंगाना में एक व्यक्ति ने मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करने के बाद गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सरकार को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था. कोर्ट ने सरकार को गणतंत्र दिवस परेड कराने का भी निर्देश दिया था. सरकार को कोर्ट के निर्देशों का पालन करना चाहिए था. कार्यक्रम आयोजित न करके और राज्यपाल का बहिष्कार करके तेलंगाना सरकार ने संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन किया है.

उन्होंने कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भी राज्य में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन नहीं करने के लिए राज्य सरकार की निंदा की है.

तेलंगाना के राजभवन और राज्य सरकार के बीच सामने आए गतिरोधों की पृष्ठभूमि में राज्यपाल ने कहा कि इस तरह के परिदृश्य से वह तेलुगू राज्य की जनता के कल्याण के लिए काम करने से नहीं रुकेंगी.

राज्यपाल ने राज्य में तेलंगाना और लोकतंत्र के सम्मान व अधिकारों को बनाए रखने तथा उनकी रक्षा करने का आह्वान करते हुए कहा कि वह लोगों के लिए काम करेंगी, हालांकि ऐसा हो सकता है कि कुछ लोग उन्हें पसंद न करें.

उन्होंने कहा, ‘तेलंगाना से मेरा लगाव केवल तीन साल पुराना नहीं है. यह जन्म से ही है. निश्चित रूप से तेलंगाना के लोगों के विकास में मेरा योगदान होगा. मेरी सबसे बड़ी ताकत कड़ी मेहनत, ईमानदारी और स्नेह है. कुछ लोग हो सकता है कि मुझे पसंद न करें, लेकिन मुझे तेलंगाना के लोग पसंद हैं. इसलिए, मैं कितनी भी मुश्किल हो, मेहनत करती रहूंगी.’

उन्होंने बीआर आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए. आंबेडकर ने कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक वर्ग के पास सभी विशेषाधिकार हों और एक वर्ग हर चीज़ का बोझ उठाए. राज्यपाल ने कहा कि विकास में सबका बराबर का हिस्सा होना चाहिए.

उन्होंने यहां राज निवास में आयोजित ‘एट होम’ समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि बीआरएस सरकार ने कोई सरकारी समारोह आयोजित नहीं करके उल्लंघन किया है और इससे यह जरूरी हो जाता है कि राज्य का कोई नागरिक राहत पाने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करे.

उल्लेखनीय है कि तेलंगाना की राज्यपाल के रूप में 2019 में पदभार संभालने वाली तमिलिसाई सुंदराराजन राज्य सरकार पर प्रोटोकॉल का पालन न करने का आरोप लगाती रही हैं.

उन्होंने राज्य के जिलों की अपनी यात्राओं के दौरान अधिकारियों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्यपाल के पद का सम्मान होना चाहिए.

राज्य में पिछले साल भी तब विवाद उत्पन्न हो गया था जब विधानसभा में राज्यपाल का परंपरागत अभिभाषण नहीं हुआ था. सुंदराराजन ने राजभवन में उनके द्वारा आयोजित परंपरागत ‘एट होम’ समारोह में मुख्यमंत्री के शामिल नहीं होने पर निराशा प्रकट की थी.

राज्यपाल ने पिछले साल संदेह प्रकट किया था कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)