एमएसपी की क़ानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध का अगुवा रहा संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग करता रहा है. मोर्चे के नेता दर्शन पाल ने हरियाणा में आयोजित किसान महापंचायत मे कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और वे दिल्ली में 15-22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.

/
हरियाणा के जींद में एसकेएम द्वारा आयोजित किसान महापंचायत. (फोटो: ट्विटर/@ramanmann1974)

निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध का अगुवा रहा संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग करता रहा है. मोर्चे के नेता दर्शन पाल ने हरियाणा में आयोजित किसान महापंचायत मे कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और वे दिल्ली में 15-22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.

हरियाणा के जींद में एसकेएम द्वारा आयोजित किसान महापंचायत. (फोटो: ट्विटर/@ramanmann1974)

जींद: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मार्च में दिल्ली में प्रदर्शन करेगा. विभिन्न किसान यूनियनों की प्रतिनिधि संस्था एसकेएम के नेता दर्शन पाल ने यहां आयोजित किसान महापंचायत में यह ऐलान किया.

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान महापंचायत में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के किसानों ने हिस्सा लिया.

पाल के अलावा, राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उग्राहन और हरिंदर सिंह लाखोवाल सहित कई किसान नेताओं ने इसमें भाग लिया.

अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग करता आ रहा है. उनकी मांगों में किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेना, कर्जमाफी, पेंशन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करना, जिनका बेटा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी है, किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के लिए मुआवजा और बिजली विधेयक वापस लेना शामिल है.

सभा को संबोधित करते हुए दर्शन पाल ने कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और किसान मोर्चा एकता दिवस मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी ज्ञापन दिए जा रहे हैं.

पाल ने कहा, ’हम दिल्ली में 15 मार्च से 22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शन की सटीक तिथि पर फैसला नौ फरवरी को कुरुक्षेत्र में होने वाली बैठक में किया जाएगा.

इस मौके पर किसानों ने वापस लिए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों की याद में एक मिनट का मौन रखा. किसानों के इस संगठन ने कहा कि आंदोलन के दौरान 740 किसानों की मौत हुई थी.

महापंचायत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पशुओं को भूखा मारने का षड्यंत्र रच रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से अभी एक दवाई लाई गई है जो घास व पौधों पर छिड़की जाएगी ताकि आवारा पशु पौधों को नहीं खाएं, लेकिन इस घास का चारा गांव के पशु भी नहीं खाएंगे और इस कारण पशु भूखे मर जाएंगे.

महापंचायत में पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने संबोधन में कहा कि देश में भाजपा नहीं, कंपनी की सरकार चल रही है.

उन्होंने कहा, ‘हमें भी पता है कि सरकार हमें दिल्ली में प्रदर्शन के लिए कोई जगह नहीं देने वाली है. अगर आप को अपनी फसल बचानी है, तो अपने ट्रैक्टरों को तैयार रखना होगा, कभी भी बुलावा मिल सकता है.’

उन्होने कहा कि भारत सरकार 10 साल पुराने ट्रैक्टर बंद करना चाहती है, लेकिन अगर सरकार आपके ट्रैक्टर को पकड़ना बंद कर दे तो समझ लेना कि आपका आंदोलन सफल हो गया.

गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसानों ने नवंबर 2020 में केंद्र से वर्ष 2019 में पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली का घेराव किया था. इनमें से अधिकतर किसान पंजाब और हरियाणा के थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस ले लिया था.

तब प्रदर्शनकारी किसानों ने विरोध स्थलों को खाली करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्होंने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी और विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी.

केंद्र ने पिछले साल 9 दिसंबर 2021 को उनकी अन्य लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की थी. उसके बाद एसकेएम ने एक साल से अधिक समय से चल रहे उनके आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)