‘पठान’ फिल्म विवाद के बाद केंद्रीय मंत्री बोले- बहिष्कार संस्कृति से माहौल ख़राब होता है

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि अगर किसी को किसी फिल्म से कोई दिक्कत है तो उसे संबंधित सरकारी विभाग से बात करनी चाहिए जो मुद्दे को फिल्म निर्माताओं के साथ उठा सकता है. कभी-कभी माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ लोग पूरी तरह जानने से पहले ही उस पर टिप्पणी कर देते हैं.

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अनुराग ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि अगर किसी को किसी फिल्म से कोई दिक्कत है तो उसे संबंधित सरकारी विभाग से बात करनी चाहिए जो मुद्दे को फिल्म निर्माताओं के साथ उठा सकता है. कभी-कभी माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ लोग पूरी तरह जानने से पहले ही उस पर टिप्पणी कर देते हैं.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कुछ फिल्मों को निशाना बनाने वाली ‘बहिष्कार संस्कृति’ की निंदा की और कहा कि ऐसे समय में ऐसी घटनाएं माहौल को खराब करती हैं, जब भारत एक ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में अपना प्रभाव बढ़ाने को उत्सुक है.

ठाकुर ने कहा कि अगर किसी को किसी फिल्म से कोई दिक्कत है तो उसे संबंधित सरकारी विभाग से बात करनी चाहिए जो मुद्दे को फिल्म निर्माताओं के साथ उठा सकता है.

विभिन्न समूहों द्वारा फिल्मों के बहिष्कार के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसे समय में जब भारत एक ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में अपना प्रभाव बढ़ाने को उत्सुक है, ऐसे समय में जब भारतीय फिल्में दुनिया के हर कोने में धूम मचा रही हैं, इस तरह की बातें माहौल को खराब करती हैं.’

मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब बुधवार को रिलीज हुई शाहरुख खान अभिनीत फिल्म ‘पठान’ को उसके एक गाने को लेकर बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है. अतीत में, अभिनेता अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’, आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ और दीपिका पादुकोण की ‘पद्मावत’ को बहिष्कार के आह्वान का सामना करना पड़ा है.

ठाकुर ने कहा, ‘यदि किसी को (फिल्म को लेकर) कोई दिक्कत है, तो उन्हें संबंधित विभाग से बात करनी चाहिए, जो इसे निर्माता और निर्देशक के समक्ष उठाएगा. हालांकि कभी-कभी माहौल खराब करने के लिए कुछ लोग पूरी तरह जानने से पहले ही उस पर टिप्पणी कर देते हैं. इससे दिक्कत होती है. ऐसा नहीं होना चाहिए.’

ठाकुर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव का उद्घाटन करने के लिए मुंबई में हैं, जिसमें आठ यूरेशियाई देशों के क्षेत्रीय समूह से 58 फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. एससीओ पर्यवेक्षक देशों और संवाद साझेदारों ने फिल्म महोत्सव के गैर-प्रतिस्पर्धा वर्ग में प्रविष्टियां भेजी हैं.

द हिंदू के मुताबिक, ठाकुर ने कहा कि पांच दिवसीय फिल्म महोत्सव की शुरुआत पद्मश्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता प्रियदर्शन की तमिल फिल्म अप्पथा के प्रदर्शन से होगी.

उन्होंने कहा कि फिल्म महोत्सव एससीओ क्षेत्र में फिल्मों और फिल्म-निर्माण की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए संलग्न होने और सहयोग करने का एक मंच है और समय आ गया है कि एक साथ आकर भारतीय संस्कृतियों को प्रतिबिंबित करने वाली फिल्मों का सह-निर्माण किया जाए.

ठाकुर ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है और पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि कैसे एक देश के रूप में भारत का दुनिया पर प्रभाव पड़ा है. राज कपूर की ‘मेरा नाम जोकर’ या मिथुन चक्रवर्ती की ‘आई एम ए डिस्को डांसर’ दुनिया भर में भारतीय सिनेमा उद्योग के प्रभाव के बारे में बहुत कुछ दिखाता है.’

उन्होंने कहा कि सिनेमा एक संक्रमणकालीन देश की कालातीत कहानियां कहता है और भारत दुनिया का कंटेंट हब बनने का लक्ष्य बना रहा है. मंत्री ने रचनात्मक स्वायत्तता की भी जोरदार वकालत की और कहा कि ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) मंच पर सामग्री की निगरानी के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं. ठाकुर ने कहा, ‘रचनात्मकता पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ओटीटी मंच पर सामग्री के बारे में शिकायतें मिलती हैं, लेकिन लगभग 95 प्रतिशत शिकायतों का समाधान निर्माताओं के स्तर पर हो जाता है और अन्य को ‘एसोसिएशन ऑफ पब्लिशर्स’ के दूसरे चरण में सुलझाया जाता है.

मंत्री ने कहा कि अंतर्विभागीय समिति के पास केवल एक प्रतिशत शिकायतें ही पहुंचती हैं और यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाए.

बता दें कि इससे पहले हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा था कि फिल्मों के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणियां न करें. उन्होंने भाजपा नेताओं को सुर्खियों में आने के लिए फिल्मों और नामी हस्तियों के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा था.

मालूम हो कि बीते महीने भर से अधिक समय से शाहरुख खान अभिनीत फिल्म ‘पठान’ इन दिनों विवाद में घिरी हुई थी. 12 दिसंबर 2022 को इसके गीत ‘बेशर्म रंग’ के जारी होने के बाद इस पर रोक लगाने की मांग उठने लगी थी. गीत के एक दृश्य में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को भगवा रंग की बिकनी में देखा जा सकता है, जिसके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किए गए और ‘हिंदू भावनाओं’ को आहत करने का आरोप लगाया गया.

फिल्म के गीत ‘बेशर्म रंग’ से नाखुशी जताने वाले और इसमें बदलाव की मांग करने वाले लोगों में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन शामिल हैं.

भाजपा के मंत्रियों और दक्षिणपंथी संगठनों ने दावा किया है कि गीत ने भगवा रंग का अपमान किया है, जो हिंदू समुदाय के लिए पवित्र है. देश के कुछ हिस्सों में दक्षिणपंथी संगठनों ने मांग की है कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए.

भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा था, ‘इनके पेट पर लात मारो, इनके धंधे चौपट कर दो और कभी इनकी कोई फिल्म मत देखो.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)