लद्दाख: सोनम वांगचुक का उपवास जारी, विरोध ख़त्म करने के लिए प्रशासन ने बॉन्ड साइन करने को कहा

लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के समर्थन में इंजीनियर एवं नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं. विरोध को ख़त्म करने की कोशिश में प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने तक लेह में किसी सार्वजनिक सभा में भाग नहीं लेंगे.

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सोनम वांगचुक. (फोटो साभार: यूट्यूब)

लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के समर्थन में इंजीनियर एवं नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं. विरोध को ख़त्म करने की कोशिश में प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने तक लेह में किसी सार्वजनिक सभा में भाग नहीं लेंगे.

सोनम वांगचुक. (फोटो साभार: यूट्यूब)

श्रीनगर: लद्दाख के रहने वाले इंजीनियर, नवप्रवर्तक और शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पांच दिन का उपवास कर रहे हैं.

इस विरोध को खत्म करने की कोशिश में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है, जिसमें यह कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने के लिए लेह में हाल की घटनाओं पर किसी सार्वजनिक सभा में भाग न लेंगे.

रविवार को उनके विरोध का चौथा दिन था. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘सुप्रभात दुनिया! भारतीय संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत लद्दाख को बचाने के लिए मेरे जलवायु उपवास (Climate Fast) का चौथा दिन. कल 30 जनवरी मेरे अनशन के अंतिम दिन आप सभी मेरे साथ शामिल हो सकते हैं. आप लद्दाख के साथ एकजुटता में अपने क्षेत्र में एक दिन का उपवास आयोजित कर सकते हैं.’

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित वांगचुक ऐसे समय में अनशन कर रहे हैं, जब लद्दाख के दो प्रमुख नागरिक निकायों ने क्षेत्र के लिए नौकरी और भूमि सुरक्षा उपायों पर चर्चा करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति की कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया है.

निकायों ने कहा है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की उनकी मांग और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा उपायों को समिति के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया है.

छठी अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों में स्वायत्त प्रशासनिक जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है. ये परिषदें भूमि, जंगल, जल, कृषि, स्वास्थ्य, स्वच्छता, विरासत, विवाह एवं तलाक, खनन और अन्य को नियंत्रित करने वाले नियम और कानून बना सकती हैं.

बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने कहा: वांगचुक

बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ के एक चरित्र को प्रेरित करने वाले सोनम वांगचुक लद्दाख के लोगों की मांगों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए 26 जनवरी से लेह के फ्यंग में 18,380 फुट ऊंची चोटी पर पांच दिवसीय भूख हड़ताल पर हैं.

वांगचुक की मांगों में संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार और अनियंत्रित औद्योगिक एवं वाणिज्यिक विस्तार से पर्यावरण का संरक्षण भी शामिल है.

उनके उपवास स्थल फ्यंग में रात का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस है.

प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए बॉन्ड दस्तावेज के अनुसार, इन गतिविधियों से जिले में शांति और अमन को खतरे में डालने की क्षमता है.

शनिवार को एक ट्वीट में वांगचुक ने बॉन्ड की प्रति साझा की, जिसमें अन्य बातों के अलावा एक वचन मांगा गया था कि वह लेह जिले में हालिया घटनाक्रमों से संबंधित कोई टिप्पणी, बयान, सार्वजनिक भाषण नहीं देंगे और किसी भी जनसभा या गतिविधि का आयोजन नहीं करेंगे या उनमें भाग नहीं लेंगे.

उन्होंने लिखा, ‘दुनिया के वकीलों का आह्वान कर रहा हूं. केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का प्रशासन चाहता है कि मैं इस बॉन्ड पर हस्ताक्षर करूं, जबकि केवल उपवास और प्रार्थनाएं हो रही हैं. कृपया सुझाव दें कि यह कितना सही है, क्या मुझे खुद को चुप कर लेना चाहिए! मुझे गिरफ्तारी से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता है.’

अपने ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी टैग किया है. बीते 27 जनवरी को उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है, ‘वास्तव में यह नजरबंदी से भी बदतर है.’

बॉन्ड दस्तावेज में आगे कहा गया है कि वह सार्वजनिक शांति भंग करने वाली सरकार विरोधी नारेबाजी/गतिविधि को बढ़ावा नहीं देगे और जिस क्षेत्र में उन्हें अनशन करने की अनुमति दी गई है, वहीं अनशन करेंगे. कोई भी उल्लंघन कानूनी कार्रवाई को निमंत्रण देगा.

द वायर से बात करते हुए वांगचुक ने कहा कि प्रशासन ने उन्हें वर्तमान घटनाओं पर टिप्पणी करने से बचने के लिए बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है.

उन्होंने कहा, ‘वे कल और आज आए और मुझे बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पहले अपने वकीलों से सलाह लूंगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि वह बॉन्ड पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे.

उन्होंने इस कदम को आवाजों को दबाने की ‘बनाना रिपब्लिक’ नीति करार दिया. उन्होंने कहा कि यह देखना दुखद है कि लद्दाख एक अंधेर नगरी बन गया है. एक बनाना रिपब्लिक, सॉरी एक बनाना केंद्रशासित प्रदेश.

उन्होंने कहा, ‘मेरा जलवायु परिवर्तन उपवास असंतोष की कार्रवाई नहीं है. मैं जलवायु के अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा दे रहा हूं और पहाड़ों और ग्लेशियरों के लिए सुरक्षा उपायों की मांग कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उन्हें खारदुंग ला दर्रे, जहां उन्होंने पांच दिवसीय क्लाइमेट फास्ट करने की योजना बनाई थी, पर जाने से रोकने के लिए उनकी गतिविधियों को सीमित कर दिया है.

उन्होंने दावा किया, ‘उन्होंने मुझे वारंट नहीं दिया है, लेकिन मैं वास्तव में घर में नजरबंद हूं. यह नजरबंदी से भी बदतर है.’

गौरतलब है कि बॉन्ड दस्तावेज के जिन शब्दों का जिक्र ऊपर किया गया, वे उस अंडरटेकिंग के समान ही हैं, जिस पर मुख्यधारा के कश्मीरी राजनेताओं को 5 अगस्त 2019 के संवैधानिक परिवर्तनों के बाद हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था.

अपना अनशन शुरू करने से पहले वांगचुक ने छठी अनुसूची के तहत लद्दाख के पहाड़ों और इसके लोगों के लिए सुरक्षा उपायों पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खारदुंग ला दर्रे से एक वीडियो अपील की थी.

वांगचुक ने आगे बताया कि केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन को लद्दाखियों के लिए पर्यावरणीय समस्याओं और सुरक्षा उपायों के शांतिपूर्ण आह्वान का सम्मान करना चाहिए और आवाजों को दबाने के लिए तानाशाह नीतियों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को लद्दाखियों से किए गए वादों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए. मौजूदा हिल काउंसिल सरकार ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में लद्दाखियों से छठी अनुसूची का वादा किया था.’

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद धारा 370 को समाप्त करने और और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के बाद लद्दाख क्षेत्र के दो जिलों के लोग भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जनसांख्यिकी, नौकरी और भूमि की रक्षा हो.

5 अगस्त 2019 से पहले ये सुरक्षा उपाय लद्दाख के लोगों के लिए उपलब्ध थे, जो तब संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था.

लद्दाखी अब चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्र के लिए भी राज्य का दर्जा मांग रहे हैं.

लेह अपेक्स बॉडी और लेह तथा करगिल जिलों में राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक समूहों का एक संयुक्त संगठन करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस इन मांगों को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं.

बीते 15 जनवरी को दोनों संगठनों ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा प्रदान करने सहित अपनी चार मांगों को लेकर एक अभियान के तहत जम्मू शहर में विरोध प्रदर्शन भी किया था.

इस महीने की शुरुआत में दोनों समूहों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति की किसी भी बैठक में भाग न लेने का फैसला किया था और तर्क दिया था कि इसके एजेंडे में उनकी राज्य के दर्जे व छठी अनुसूची की मांगें शामिल नहीं हैं.

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के मुताबिक, भाजपा को छोड़कर लेह और करगिल दोनों जिलों में लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दल, सामाजिक और धार्मिक समूह और छात्र संगठन मांगों के समर्थन में आ गए हैं.

हालांकि, अपनी सफाई में लेह की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पीडी नित्या ने कहा, ‘उन्हें (वांगचुक) खारदुंग ला दर्रे पर पांच दिन की भूख हड़ताल करने की अनुमति प्रशासन द्वारा नहीं दी गई, क्योंकि वहां तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया.’

अधिकारी ने कहा कि जब उन्होंने खारदुंग ला दर्रे की ओर बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने रोका और उनसे लौटने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने प्रतिरोध जताया, जिसके चलते कानूनी कार्रवाई के तहत उन्हें उनके संस्थान में वापस लाया गया.

कौन हैं सोनम वांगचुक

57 वर्षीय वांगचुक एक इंजीनियर, नवप्रवर्तक और शिक्षा सुधारवादी हैं. वह स्टुडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसकी स्थापना 1988 में छात्रों के एक समूह द्वारा की गई थी.

1994 में सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से ‘ऑपरेशन न्यू होप’ के शुभारंभ में उनका महत्वपूर्ण योगदान था.

2018 में उन्हें लद्दाख में ‘रचनात्मक, बाल-सुलभ और गतिविधि-आधारित’ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले शैक्षिक सुधार कार्यक्रमों को विकसित करने के उनके प्रयासों के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

उनके कार्यों ने 2009 में आई फिल्म 3-इडियट्स में आमिर खान के चरित्र को प्रेरित किया था.

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