विपक्ष का सरकार से सवाल, एलआईसी और एसबीआई अडानी समूह में निवेश क्यों जारी रखे हुए हैं

अमेरिकी निवेशक अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद समूह के शेयरों में गिरावट देखी गई है. समूह के शेयरों में निवेश की वजह से एलआईसी और एसबीआई जैसे सरकार-नियंत्रित वित्तीय संस्थानों के बाज़ार पूंजीकरण में भी गिरावट दर्ज हुई है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

अमेरिकी निवेशक अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद समूह के शेयरों में गिरावट देखी गई है. समूह के शेयरों में निवेश की वजह से एलआईसी और एसबीआई जैसे सरकार-नियंत्रित वित्तीय संस्थानों के बाज़ार पूंजीकरण में भी गिरावट दर्ज हुई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: विपक्ष ने बीते शनिवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अडानी समूह से संपर्क को लेकर चिंता जताई और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया.

बीते 25 जनवरी को न्यूयॉर्क स्थित निवेशक अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद विविध कारोबार से जुड़े समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है.

आरोप को खारिज करते हुए समूह ने कहा था कि आरोप ‘दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा’ हैं. अडानी समूह ने दावा किया था कि रिपोर्ट पूंजी बाजार में उसके शेयरों की सार्वजनिक लिस्टिंग को खराब करने के लिए की गई थी.

रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद अडानी समूह ने संक्षिप्त बयान जारी करते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. उसके कुछ ही घंटे बाद ही हिंडनबर्ग रिसर्च ने ट्विटर पर लिखा था कि अडानी समूह ने रिपोर्ट में उठाए गए 88 सीधे सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं दिया है.

कंपनी ने कहा था, ‘अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में हमने सीधे तौर पर 88 सवाल पूछे हैं. हमें भरोसा है कि ये कंपनी को पारदर्शी होने का मौका देंगे. लेकिन, अब तक अडानी समूह ने इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है.’

कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

बहरहाल एक के बाद एक कई ट्वीट कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने अडानी शेयरों के गिरते मूल्य के कारण सरकार-नियंत्रित वित्तीय संस्थानों (एलआईसी और एसबीआई) के बाजार पूंजीकरण में गिरावट दिखाने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग किया है.

यह देखते हुए कि एलआईसी को ‘जनता के धन’ द्वारा वित्तपोषित किया गया था सुरजेवाला ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में एलआईसी के निवेश का मूल्य 77,000 करोड़ रुपये से गिरकर 53,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके परिणामस्वरूप 23,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. यही नहीं एलआईसी के शेयरों को 22,442 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

उन्होंने पूछा कि एलआईसी अभी भी अडानी समूह में 300 करोड़ रुपये का निवेश क्यों कर रही है?

एसबीआई के संबंध में सुरजेवाला ने कहा कि इसके बाजार पूंजीकरण में 54,618 करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई है. अडानी समूह के लिए बैंकिंग क्षेत्र का ऋण जोखिम 81,200 करोड़ रुपये था, इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने सवाल किया कि एसबीआई कर्मचारी पेंशन फंड और एसबीआई लाइफ अभी भी अडानी समूह में 225 करोड़ रुपये का निवेश क्यों कर रहे हैं?

उन्होंने कहा, ‘24 और 27 जनवरी के बीच यानी 3 दिनों में एसबीआई और एलआईसी ने अकेले अपने शेयरों के मूल्य में 78,118 करोड़ रुपये की ‘बाजार पूंजी’ खो दी है! अडानी समूह में एसबीआई का ऋण जोखिम और एलआईसी के निवेश मूल्य में गिरावट इसके अतिरिक्त है.’

कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्यों इस मामले पर ‘चुप्पी’ साधे हुए हैं?

राज्यसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की उप-नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी समान चिंताओं को दोहराया.

उन्होंने कहा, ‘एलआईसी ने पिछले दो दिनों में अपनी होल्डिंग में 22 प्रतिशत की गिरावट देखी. इसके शेयर की कीमत दिन के दौरान 3.5 प्रतिशत और दो दिनों में 5.3 प्रतिशत गिर गई. यह भारतीय लोगों की गाढ़ी कमाई है, जिसे चूसा जा रहा है. उम्मीद है कि सेबी और आरबीआई देख रहे हैं और कार्रवाई कर रहे हैं.’

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने भी ट्वीट किया, ‘सरकार में 40 साल तक रहने के बाद मैं जानता हूं कि एलआईसी के बड़े निवेशों को वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री से मंजूरी की जरूरत होती है. पता नहीं क्यों वे मध्यम वर्ग की जरूरतों को पूरा करने वाले एक उत्कृष्ट संस्थान को नष्ट करने पर उतारू हैं!’

उन्होंने आगे कहा, ‘स्विस क्रेडिट साइट्स ने बहुत पहले चेतावनी दी थी. मोदी सरकार ने नहीं सुनी. हमारे बैंक अब डूब जाएंगे. आपका पैसा, मेरा पैसा डूब जाएगा, जबकि अडानी बिना किसी दंड के मुक्त हो जाएगा!’

रविवार को किए गए एक ट्वीट में उन्होंने कहा, अडानी के घोटाले से पता चलता है कि कैसे सभी नियामक निकाय – आरबीआई, वित्त मंत्रालय, सेबी, ईडी सीबीआई, एनएसई आदि – विफल हो गए थे या उन्हें विफल कर दिया गया था. ये सभी मोदी के अपने आदमियों से भरे हुए हैं. न जाने भारत इस मोदी मित्र के कारण कितना कुछ खोएगा!

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