तीन अप्रैल 2022 को आईआईटी-बॉम्बे से स्नातक अहमद मुर्तज़ा अब्बासी ने गोरखनाथ मंदिर में जबरन प्रवेश का प्रयास करते हुए मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के दो जवानों पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया था. एटीएस अदालत ने मुर्तज़ा को दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा दी है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) अदालत के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने गोरखनाथ मंदिर में पीएसी के जवानों पर हमले के मामले में 30 वर्षीय अहमद मुर्तजा अब्बासी को शनिवार को दोषी करार दिया और मौत की सजा सुनाई है.
अदालत ने अपराधी के खिलाफ 44 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इस संबंध में विनय कुमार मिश्रा ने चार अप्रैल 2022 को गोरखनाथ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
अदालत ने दोषी को सजा के प्रश्न पर सुनने के उपरांत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप की धारा 16, 20 एवं 40 के अलावा, धार्मिक उन्माद फैलाने, प्रतिबंधित स्थान पर प्रवेश करने, जानलेवा हमला करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी ड्यूटी पर तैनात कर्मी को गंभीर चोट पहुंचाने, लूटपाट करने सहित विभिन्न मामलों में दंडित किया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अब्बासी को जिस घटना के लिए मौत की सजा दी गई है, वह पिछले साल 3 अप्रैल को हुई थी. पुलिस ने कहा कि अब्बासी मंदिर के गेट पर पहुंचे, वहां सुरक्षाकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला किया और धार्मिक नारे लगाए. बाद में सुरक्षाकर्मियों ने उन पर काबू पा लिया.
पुलिस के मुताबिक, पीएसी के दो जवानों- गोपाल गौर और अनिल पासवान के हाथ और पैर में चोटें आई थीं. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी हैं, उस समय परिसर में मौजूद नहीं थे.
गोरखपुर के रहने वाले अब्बासी पर सुरक्षाकर्मियों के हथियार छीनने की कोशिश करने का भी आरोप लगा था.
सरकारी वकील के अनुसार, अब्बासी को आईपीसी की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 186 (कर्तव्य के निर्वहन में एक लोक सेवक को बाधा डालना), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को ड्यूटी से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), 333 (स्वेच्छा से लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए गंभीर चोट पहुंचाना) और 394 (स्वेच्छा से डकैती करने के लिए चोट पहुंचाना) के तहत भी दोषी ठहराया गया.
इस मामले की रिपोर्ट थाना गोरखनाथ में दर्ज कराने वाले विनय कुमार मिश्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीएसी के सिपाही को घायल करने के बाद अब्बासी ने जवान का राइफल छीनने की कोशिश की और यह नीचे गिर गया.
इसमें कहा गया है कि जब सिपाही अनिल कुमार पासवान को बचाने के लिए दूसरा जवान आया तो उस पर भी आरोपी ने जान से मारने की नियत से धारदार हथियार से हमला कर दिया.
यह भी कहा गया है कि घटना के समय ड्यूटी पर तैनात अन्य पुलिसकर्मियों ने घायल जवान और उसके राइफल को उठाया तथा उसकी जान बचाई. इस दौरान उसने हथियार लहराते हुए धार्मिक नारा लगाते हुए पीएसी चौकी की तरफ दौड़ा था, जिससे वहां अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया.
थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार आतंकी पर बांस से प्रहार करके उसे काबू किया गया. इसमें कहा गया है कि मौके पर पकड़े गए आरोपी के पास से उर्दू में लिखी हुई एक धार्मिक किताब भी बरामद हुई थी.
गिरफ्तारी के समय ही अभियुक्त को किसी जिहादी संगठन से संबंधित बताया गया था. इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार के वकील मिथलेश कुमार सिंह ने कहा, ‘मुझे अभी पूरे फैसले को पढ़ना है.’ वहीं, यूपी डीजीपी डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि मौत की सजा एटीएस अभियोजन पक्ष द्वारा प्रभावी कार्य के कारण दी गई है.
एक बयान में यूपी पुलिस ने दावा किया है कि अब्बासी ‘अत्यधिक कट्टरपंथी’ थे और आईएसआईएस लड़ाकों और समर्थकों के साथ सीधे संपर्क में थे. इसने कहा कि वह सीरिया में आतंकी लड़ाकों और समर्थकों को फंडिंग कर रहा था और उस देश में जाने की योजना बना रहा था.
डीजीपी चौहान ने कहा, ‘वह आईएसआईएस का अकेला आदमी था और टेरर फंडिग का विशेषज्ञ था. वह इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आतंकी साहित्य फैलाने में शामिल था और आईएसआईएस के लोगों के संपर्क में था.’
सरकारी वकील सिंह ने कहा कि एक निजी फर्म के लिए काम करने वाले आईआईटी-बॉम्बे स्नातक अब्बासी को आईपीसी 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने का प्रयास करने) और 307 (हत्या का प्रयास) सहित कई धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी ठहराया गया.
उन्होंने कहा कि विशेष एटीएस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के कारण मुकदमे को गोरखपुर से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया था. अब्बासी लखनऊ की जेल में बंद हैं.
सिंह ने कहा कि अदालत ने अब्बासी को द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट और आर्म्स एक्ट के तहत भी दोषी ठहराया.
पुलिस ने मंदिर के गेट से अब्बासी का एक बैग, एक लैपटॉप, एक अन्य धारदार हथियार, आईडी कार्ड और एक सेलफोन बरामद करने का भी दावा किया था.
पुलिस ने पिछले साल गिरफ्तारी के बाद अदालत को बताया था कि अब्बासी विभिन्न आतंकवादी संगठनों के कट्टरपंथी प्रचारकों के प्रभाव में था और उसने 2013 में अंसार-उल-तौहीद और बाद में आईएसआईएस के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी.
अब्बासी के पिता मुनीर अहमद, जिन्होंने दो साल पहले गोरखपुर लौटने से पहले मुंबई में एक कानूनी परामर्श के लिए काम किया था, ने कहा था कि उनके बेटे का अवसाद का इलाज चल रहा था और 2017 के बाद से वह ठीक नहीं था.
पुलिस ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि अब्बासी शादीशुदा था और हमले से कुछ महीने पहले उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)