ऑस्ट्रेलिया का कॉरपोरेट नियामक अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की समीक्षा करेगा

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर टैक्स हैवन समझे वाले जाने वाले देशों में स्थापित कंपनियों के अनुचित और व्यापक उपयोग का आरोप लगाया है और क़र्ज़ के उच्च स्तर को लेकर चिंता व्यक्त की है. समूह अपनी ऑस्ट्रेलियाई इकाई ब्रावस के माध्यम ऑस्ट्रेलिया में व्यवसाय करता है. 

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गौतम अडानी. (इलस्ट्रेशनः द वायर)

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर टैक्स हैवन समझे वाले जाने वाले देशों में स्थापित कंपनियों के अनुचित और व्यापक उपयोग का आरोप लगाया है और क़र्ज़ के उच्च स्तर को लेकर चिंता व्यक्त की है. समूह अपनी ऑस्ट्रेलियाई इकाई ब्रावस के माध्यम ऑस्ट्रेलिया में व्यवसाय करता है.

गौतम अडानी. (इलस्ट्रेशनः द वायर)

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया का कॉरपोरेट नियामक अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की समीक्षा करेगा.

गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर टैक्स हैवन समझे वाले जाने वाले देशों में स्थापित कंपनियों के अनुचित और व्यापक उपयोग का आरोप लगाया है और कर्ज के उच्च स्तर को लेकर चिंता व्यक्त की है. हालांकि, समूह ने रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है.

अडानी समूह, अपनी ऑस्ट्रेलियाई इकाई, ब्रावस के माध्यम ऑस्ट्रेलिया में व्यवसाय करता है. यह क्वींसलैंड में एक कोयला खदान का संचालन करता है और एक प्रमुख बंदरगाह और एक्सपोर्ट टर्मिनल का नियंत्रण देखता है.

इस संबंध में सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने रिपोर्ट किया है कि ऑस्ट्रेलियाई प्रतिभूति एवं निवेश आयोग और देश के कर कार्यालय ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विचार किए जाने की पुष्टि करने से इनकार किया है, लेकिन गोपनीयता की शर्त पर सूत्रों ने पुष्टि की है कि नियामक इसकी समीक्षा कर रहा है.

हालांकि, आयोग के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ‘वह अडानी के खिलाफ आरोपों की समीक्षा करेगा और तय करेगा कि आगे जांच की जरूरत है या नहीं.’

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा 20,000 करोड़ रुपये एफपीओ लाए जाने से कुछ दिन पहले ही आई और अडानी समूह की कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरने लगे. इस बीच बीते बुधवार को अडानी समूह की ओर यह एफपीओ वापस ले लिया गया.

रिपोर्ट के बाद से अडानी समूह की कंपनियों को अरबों का नुकसान हुआ है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गौतम अडानी ने एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति की भी पदवी खो दी है.

फोर्ब्स की अमीरों की सूची में अब अडानी मुकेश अंबानी से ठीक नीचे 10वें स्थान पर पहुंच गए हैं. इससे पहले वे तीसरे पायदान पर थे.

मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

बीते 30 जनवरी को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.

समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’

अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से बीते 31 जनवरी को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.

हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया था, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’

हिंडनबर्ग रिसर्च ने प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.

साथ ही दावा किया गया था कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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