केंद्र सरकार के पास इस समय हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड में 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार ने 2002 में इसका 26 प्रतिशत हिस्सा वेदांता समूह को बेच दिया था. वेदांता ने नवंबर 2003 में बाज़ार से 20 प्रतिशत और सरकार से 18.92 प्रतिशत हिस्सा और ख़रीद लिया था. इसके बाद उसकी हिस्सेदारी इसमें बढ़कर 64.92 प्रतिशत हो गई है.
नई दिल्ली: सरकार चालू वित्त वर्ष में 50,000 करोड़ रुपये के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले महीने तक खनन से जुड़ी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में अपनी शेष हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेच सकती है. दीपम सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 में तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एचएलएल लाइफकेयर, पीडीआईएल, शिपिंग कॉरपोरेशन और बीईएमएल जैसी कंपनियों में रणनीतिक हिस्सेदारी की योजना बनाई है.
सरकार के पास इस समय हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार ने 2002 में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का 26 प्रतिशत हिस्सा खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह को बेच दिया था.
वेदांता समूह ने नवंबर, 2003 में बाजार से 20 प्रतिशत और सरकार से 18.92 प्रतिशत हिस्सा और खरीदा. इसके बाद एचजेडएल में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 प्रतिशत हो गई. कंपनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जस्ता उत्पादक और छठवीं सबसे बड़ी चांदी उत्पादक है.
सरकार ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए विनिवेश लक्ष्य को 65,000 करोड़ रुपये से घटाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दिया था. चालू वित्त वर्ष में अभी तक विनिवेश के जरिये 31,100 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.
वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव पांडेय ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा को साक्षात्कार में बताया कि संशोधित लक्ष्य में वे सभी लेन-देन शामिल हैं, जिन पर सरकार काम कर रही है, लेकिन वास्तविक प्राप्ति बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगी.
उन्होंने कहा, ‘हमने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड से जो जुटाने के लिए सोचा है, वह इसमें शामिल है. हालांकि, यह बाजार पर निर्भर करेगा.’
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मई में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार के 124.79 करोड़ शेयरों या 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दी थी. सरकार को 325.45 रुपये प्रति शेयर के मौजूदा भाव पर 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी से करीब 40,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
पांडेय ने कहा कि चूंकि विनिवेश बाजार की स्थितियों पर निर्भर है, इसलिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि जो बजट है, वह हासिल हो जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘यह मद (बजट में विनिवेश का लक्ष्य) अनिश्चित रहेगा.’
पांडेय ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार सक्रिय रूप से उन कंपनियों पर नजर रख रही है, जो रणनीतिक बिक्री के उन्नत चरणों में हैं. इसमें एचएलएल लाइफकेयर, पीडीआईएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, बीईएमएल और एनएमडीसी स्टील शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) की बिक्री पूरी होने की उम्मीद है, लेकिन बिक्री से मिलने वाली राशि मूल कंपनी एमएसटीसी को मिलेगी न कि सरकार को.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास आईडीबीआई बैंक है और उम्मीद है कि हम जल्द ही कॉनकॉर के लिए रुचि पत्र जारी कर पाएंगे.’
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार और एलआईसी मिलकर आईडीबीआई बैंक में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रहे हैं और इसके लिए उन्हें कई एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) प्राप्त हुए हैं.
पांडेय ने कहा, ‘आईडीबीआई बैंक ने जांच शुरू कर दी है. यह एक लंबी प्रक्रिया है, क्योंकि आरबीआई और सुरक्षा मंजूरी और दस्तावेज की जांच की जानी है.’
कॉनकोर के संबंध में कैबिनेट ने नवंबर 2019 में 54.80 प्रतिशत सरकारी इक्विटी में से प्रबंधन नियंत्रण के साथ 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दी थी. सरकार बिक्री के बाद बिना किसी वीटो शक्ति के 24 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)