बांग्लादेश बिजली बोर्ड ने अडानी समूह के साथ बिजली ख़रीद समझौते में संशोधन की मांग की

बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड ने अडानी पावर लिमिटेड के साथ 2017 के बिजली ख़रीद समझौते में संशोधन की मांग की है. ख़बरों के मुताबिक, झारखंड में अडानी के संयंत्र के लिए ख़रीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक क़ीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड ने अडानी पावर लिमिटेड के साथ 2017 के बिजली ख़रीद समझौते में संशोधन की मांग की है. ख़बरों के मुताबिक, झारखंड में अडानी के संयंत्र के लिए ख़रीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक क़ीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

ढाका/नई दिल्ली: बांग्लादेश ने अडानी पावर लिमिटेड के साथ 2017 के बिजली खरीद समझौते में संशोधन की मांग की है. अधिकारियों ने गुरुवार को ढाका में यह जानकारी देते हुए कहा कि कोयले से पैदा होने वाली बिजली काफी महंगी है.

बांग्लादेश की निजी समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश (यूएनबी) की खबर के मुताबिक, बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीसी) ने झारखंड के गोड्डा जिले में कंपनी के संयंत्र से बिजली आयात करने के लिए अडानी पावर लिमिटेड के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते में संशोधन का अनुरोध करते हुए एक पत्र भेजा है.

बीपीडीसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमने समझौते में संशोधन के लिए भारतीय कंपनी से संपर्क किया है.’ उन्होंने इस बारे में ज्यादा ब्योरा नहीं दिया. समझौते पर मूल रूप से नवंबर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे.

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, भारत के झारखंड में अडानी के संयंत्र के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक कीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है.

यूएनबी के अनुसार, एक सूत्र ने उसे बताया, ‘विवाद का मुख्य मुद्दा कथित तौर पर परियोजना के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की कीमत है. झारखंड में 1,600 मेगावाट संयंत्र के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किए जाने वाले कोयले को आयात करने के लिए एलसी (भारत में) खोलने के संबंध में प्राप्त अनुरोध के बाद हमने अडानी समूह को एक पत्र भेजा है.’

इससे पहले अडानी पावर ने उससे अनुरोध किया था कि झारखंड के गोड्डा में 1,600 मेगावॉट क्षमता वाले संयंत्र के लिए कोयले का आयात करना है.

संयंत्र में उत्पन्न लगभग सभी बिजली बांग्लादेश को निर्यात की जानी है. इसके परिवहन सहित कोयले की लागत बांग्लादेश द्वारा वहन की जानी है. इस कोयले की कीमत को बिजली खरीद समझौते में शामिल किया जाना था.

यूएनबी के अनुसार, अडानी पावर को बीपीडीबी से एक डिमांड नोट की आवश्यकता होती है, जिसे वह कोयले के आयात के खिलाफ एलसी खोलने से पहले भारतीय अधिकारियों को पेश कर सकता है.

बीपीडीसी के एक अनाम अधिकारी ने यूएनबी को बताया, ‘हमारे अनुसार उनके द्वारा बताई गई कोयले की कीमत (400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन) बहुत अधिक है. यह 250 डॉलर प्रति टन से कम होनी चाहिए, जो हम अपने दूसरे ताप बिजली संयंत्रों में आयातित कोयले के लिए भुगतान कर रहे हैं.’

यूएनबी के अनुसार, ‘कथित तौर पर उच्च कीमत इसलिए है क्योंकि बिजली खरीद समझौते में कोयले के लिए कोई छूट का प्रावधान नहीं है.गोड्डा संयंत्र के लिए कोयले की वार्षिक आवश्यकता 7-9 मिलियन टन होने का अनुमान है. लेकिन छूट के प्रावधान को हटाए जाने को देखते हुए एक बार सभी छिपी कीमतें टैरिफ में जुड़ने के बाद बांग्लादेश अंतत: अडानी पावर को 20-22 रुपये प्रति यूनिट बिजली का भुगतान करेगा.’

बीपीडीबी अधिकारी ने कहा, ‘इसकी तुलना बांग्लादेश में कोयले से चलने वाले संयंत्रों से खरीदी गई बिजली के लिए भुगतान की गई कीमत से करें, जो 12 टका प्रति यूनिट से कम है.’ बीपीडीबी के अधिकारियों ने कहा कि अगर कोयले की कीमतों में बदलाव नहीं किया गया तो बांग्लादेश के लिए गोड्डा संयंत्र से बिजली खरीदना असंभव हो जाएगा.

भारत में समझौते में संशोधन की बांग्लादेश की मांग के बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिल्ली में कहा कि यह एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच का सौदा है.

उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि आप एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच एक सौदे का जिक्र कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि हम इसमें शामिल हैं.’

यह पूछने पर कि क्या यह द्विपक्षीय संबंधों के दायरे में नहीं आता है, उन्होंने कहा कि सरकार व्यापक तौर पर आर्थिक एकीकरण और पड़ोसी देशों के साथ संपर्क जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है.

मालूम हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद अडानी समूह की सभी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है. समूह की शीर्ष कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर का मूल्य करीब 60 प्रतिशत तक गिर चुका है.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से  ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

बीते 30 जनवरी को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.

समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’

अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से बीते 31 जनवरी को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)