विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में सर्वाधिक 1,926 भारतीय क़ैदी हैं. इसके बाद सऊदी अरब में 1,362 और नेपाल में 1,222 क़ैदी हैं. मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने 31 देशों के साथ सज़ायाफ़्ता क़ैदियों के स्थानांतरण पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
नई दिल्ली: विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर की अनेक जेलों में 8,343 भारतीय कैदी हैं, जिनमें विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं.
मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार विदेश में भारतीयों की सुरक्षा और कुशलक्षेम को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इनमें वे भारतीय भी शामिल हैं जो विदेशी जेलों में बंद हैं.
मंत्री द्वारा उत्तर में दी गई जानकारी के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सर्वाधिक 1,926 भारतीय कैदी हैं. इसके बाद सऊदी अरब में 1,362 और नेपाल में 1,222 कैदी हैं.
मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने 31 देशों के साथ सजायाफ्ता कैदियों के स्थानांतरण पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत ने 50 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं और 12 देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्थाएं की हैं.
उन्होंने कहा कि विदेशों में कैद भारतीयों को हर संभव काउंसलर सहायता प्रदान करने के अलावा भारतीय मिशन और केंद्र (Indian Missions and Posts), जहां भी आवश्यक हो, कानूनी सहायता प्रदान करने में भी मदद करते हैं. जहां भारतीय समुदाय अच्छी खासी संख्या में मौजूद है, वहां मिशन और केंद्र द्वारा वकीलों का एक स्थानीय पैनल भी तैयार किया जाता है. संबंधित भारतीय दूतावास द्वारा सुविधाएं प्रदान करने लिए किसी भी भारतीय कैदी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
लोकसभा के अलावा राज्यसभा में एए रहीम ने पूछा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान उचित यात्रा दस्तावेजों की कमी के कारण विदेशों में हिरासत में लिए गए भारतीयों की संख्या कितनी है और मंत्रालय द्वारा ऐसे बंदियों की स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है? ऐसे बंदियों की संख्या कितनी है, जो पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रति वर्ष स्वदेश भेजे गए हैं?
इसके जवाब में वी. मुरलीधरन की ओर से बताया गया कि सरकार को किसी भी देश में किसी कारण से हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों के बारे में तब पता चलता है जब या तो मेजबान सरकार द्वारा सूचित किया जाए या शिकायत की जाए अथवा किसी व्यक्ति या उसके दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा सहायता मांगी जाए.
उनके अनुसार, कई देश गोपनीयता कानूनों का हवाला देते हुए अपने क्षेत्रों में हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों का आंकड़ा साझा नहीं करते हैं. यहां तक कि जानकारी साझा करने वाले देश भी आमतौर पर हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं देते हैं. इसलिए, उचित यात्रा दस्तावेजों की कमी के कारण विदेशों में हिरासत में लिए गए/निर्वासित/प्रत्यावर्तित भारतीयों के बारे में अलग से कोई विशिष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)