केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरपर्सन नितिन गुप्ता ने कहा कि क़रीब 48 करोड़ पैन कार्ड को अब तक आधार से जोड़ा जा चुका है. अब भी 13 करोड़ पैन कार्ड ऐसे हैं, जिन्हें आधार से लिंक नहीं किया गया है. सरकार ने कहा है कि मौजूदा समय से 31 मार्च के बीच पैन को आधार से जोड़ने के लिए 1,000 रुपये का शुल्क देना होगा.
नई दिल्ली: कुल 61 करोड़ परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) में से करीब 48 करोड़ को अब तक विशिष्ट पहचान संख्या आधार से जोड़ा जा चुका है और 31 मार्च तक ऐसा नहीं करने वाले लोगों को कारोबार एवं कर संबंधी गतिविधियों में लाभ नहीं मिल पाएंगे.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरपर्सन नितिन गुप्ता ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब भी कई करोड़ पैन को आधार से नहीं जोड़ा गया है, लेकिन 31 मार्च की समयसीमा खत्म होने तक इस काम के भी पूरा हो जाने की उम्मीद है.
सरकार ने पैन को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए 31 मार्च, 2023 की समयसीमा तय करते हुए कहा गया है कि आधार से नहीं जोड़े गए व्यक्तिगत पैन इस तारीख के बाद निष्क्रिय घोषित कर दिए जाएंगे.
इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि मौजूदा समय से 31 मार्च के बीच पैन को आधार से जोड़ने के लिए 1,000 रुपये का शुल्क देना होगा.
गुप्ता ने बजट के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘अब तक लगभग 61 करोड़ व्यक्तिगत पैन जारी किए गए हैं और इसमें से लगभग 48 करोड़ को आधार के साथ जोड़ा गया है. अंतर अब लगभग 13 करोड़ है, जिसमें छूट प्राप्त श्रेणी भी शामिल है. हमें उम्मीद है कि बाकी को भी आखिरी तारीख तक जोड़ लिया जाएगा.’
सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ‘पैन को आधार से जोड़ने के बारे में कई जागरूकता अभियान चलाए गए हैं और हमने इस समयसीमा को कई बार बढ़ाया है. अगर तय समय तक पैन को आधार नहीं जोड़ा जाता है, तो उस धारक को कर लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि उसका पैन ही मार्च के बाद वैध नहीं रहेगा.’
सीबीडीटी पिछले साल जारी एक परिपत्र में यह साफ कर चुका है कि पैन के निष्क्रिय हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति को आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित सभी परिणामों का सामना करना होगा. इसमें आयकर रिटर्न न दाखिल कर पाना और लंबित रिटर्न का प्रसंस्करण न हो पाने जैसी स्थितियां शामिल हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पैन को साझा पहचानकर्ता बनाने की बजट घोषणा कारोबारी जगत के लिए फायदेमंद होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया है कि सरकारी एजेंसियों की डिजिटल प्रणालियों में पैन को कारोबारी प्रतिष्ठान अब एक साझा पहचानकर्ता के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीडीटी द्वारा 30 मार्च 2022 को जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि एक बार पैन निष्क्रिय हो जाने के बाद एक व्यक्ति अधिनियम (आईटी अधिनियम) के तहत सभी परिणामों के लिए उत्तरदायी होगा और उसे कई तरह के प्रभावों का सामना करना पड़ेगा.
सर्कुलर में कहा गया है, ‘उपर्युक्त के अलावा करदाता को बैंकों और अन्य वित्तीय पोर्टल जैसे विभिन्न मंचों पर कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि पैन सभी प्रकार के वित्तीय लेन-देन के लिए महत्वपूर्ण केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) मानदंड में से एक है.’
हालांकि, करदाताओं की कुछ श्रेणियों को पैन का आधार से जोड़ने से छूट दी गई है.
मई 2017 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस ‘छूट श्रेणी’ में वे व्यक्ति जो असम, जम्मू और कश्मीर और मेघालय में रहते हैं; आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार एक अनिवासी; पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय 80 वर्ष या उससे अधिक की आयु वाले शामिल हैं.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) आयकर विभाग विभाग के लिए नीति तैयार करता है, जबकि आधार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा भारत के निवासी को जारी किया जाता है, वहीं पैन एक व्यक्ति, फर्म या इकाई को आयकर विभाग द्वारा आवंटित 10-अंकीय अल्फान्यूमेरिक संख्या वाला कार्ड है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)