तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मृतकों की संख्या 5,000 से अधिक हुई

सोमवार को तुर्की के दक्षिणी क्षेत्र में 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के तीन विनाशकारी भूकंप आए, जिससे तुर्की और पड़ोसी देश सीरिया में जान-माल को व्यापक क्षति पहुंची. मंगलवार को भी 5.6 तीव्रता का एक और भूकंप आया. तुर्की ने इस आपदा के बाद सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इस आपदा में 20,000 लोगों की मौत हो सकती है.

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तुर्की में आए विनाशकारी भूंकप में तबाह एक बहुमंजिला इमारत. (फोटो साभार: ट्विटर/@dhaenglish)

सोमवार को तुर्की के दक्षिणी क्षेत्र में 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के तीन विनाशकारी भूकंप आए, जिससे तुर्की और पड़ोसी देश सीरिया में जान-माल को व्यापक क्षति पहुंची. मंगलवार को भी 5.6 तीव्रता का एक और भूकंप आया. तुर्की ने इस आपदा के बाद सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इस आपदा में 20,000 लोगों की मौत हो सकती है.

तुर्की में आए विनाशकारी भूंकप में तबाह एक बहुमंजिला इमारत. (फोटो साभार: ट्विटर/@dhaenglish)

नई दिल्ली: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मंगलवार तक मृतकों की संख्या बढ़कर पांच हज़ार से अधिक हो गई है. इस बीच तुर्की के अदन शहर के एक हवाई अड्डे पर भारत की ओर से भेजी गई राहत सामग्री पहुंच गई है.

सोमवार (6 फरवरी) को तुर्की के दक्षिणी क्षेत्रों में 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के तीन विनाशकारी भूकंप आए, जिससे तुर्की और पड़ोसी देश सीरिया में व्यापक नुक्सान और जान-माल की क्षति पहुंची. इसके बाद मंगलवार को 5.6 तीव्रता का एक और भूकंप आया. फिर कई आफ्टरशॉक्स भी आए हैं. भूकंप ने तुर्की के कई हजार इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस आपदा के बाद यहां सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है.

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि सोमवार का पहला भूकंप सुबह 4:17 बजे करीब 18 किलोमीटर (11 मील) की गहराई में आया. प्रारंभिक भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसे ग्रीनलैंड तक महसूस किया गया था और इसके बाद सोमवार को खोज और बचाव कार्य के बीच में आए 7.5 तीव्रता के झटके सहित तमात आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए.

उत्तरी सीरिया का अधिकांश भूकंप प्रभावित क्षेत्र वर्षों के युद्ध और सीरिया तथा रूसी सेना द्वारा हवाई बमबारी से पहले ही नष्ट हो चुका है, जिसकी वजह से यहां घरों, अस्पतालों और क्लीनिकों पहले ही तबाह हो चुके हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने दक्षिणी तुर्की में विनाशकारी भूकंपों से प्रभावित 10 प्रांतों को आपदा क्षेत्र घोषित करने के साथ यहां तीन महीने के लिए आपातकाल की स्थिति लागू कर दी है.

राष्ट्रपति ने कहा कि 70 देशों ने खोज और बचाव कार्यों में मदद की पेशकश की थी और तुर्की ने भूकंप से प्रभावित लोगों को अस्थायी रूप से आवास देने के लिए पश्चिम में एंटाल्या के पर्यटन केंद्र में होटल खोलने की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि तुर्की में मरने वालों की संख्या बढ़कर 3,549 हो गई है.

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, तुर्की के उपराष्ट्रपति फुअत ओकटे ने कहा कि तुर्की में मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 3,419 हो गई है, जबकि घायलों की संख्या बढ़कर 20,534 हो गई है. इससे मारे गए लोगों की संख्या 5,102 हो गई. इसके अलावा सीरिया में 1,602 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, सीरियाई स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलेप्पो, लताकिया, हमा और टार्टस के प्रांतों में क्षति की सूचना दी है.

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों का अनुमान है कि इस आपदा में 20,000 लोगों की मौत हो सकती है. संगठन ने कहा कि मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि होगी. संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में शामिल दो शहरों – सीरिया में अलेप्पो और तुर्की में दियारबाकिर में भारी क्षति पर चिंता व्यक्त की है.

एक सूत्र ने एएफपी को बताया कि पश्चिमोत्तर सीरिया में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्यों वाले जेल में भूकंप के बाद कैदियों ने बगावत कर दी, जिसके बाद  कम से कम 20 भाग निकले हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की थी और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘तुर्की में भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान की खबर से दुखी हूं. शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना. घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं.’

प्रधानमंत्री ने भूकंप पर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के एक ट्वीट को टैग करते हुए कहा, ‘भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी से निपटने के लिए हरसंभव सहायता देने को तैयार है.’

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘यह जानकर गहरा दुख हुआ कि विनाशकारी भूकंप ने सीरिया को भी प्रभावित किया है. पीड़ितों के परिवारों के प्रति मेरी सच्ची संवेदना. हम सीरियाई लोगों के दुख को साझा करते हैं और इस कठिन समय में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

इस आपदा के बाद भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और रूस जैसे देशों ने शोक व्यक्त करने के साथ मदद की पेशकश की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तैयप एर्दोगन से वादा किया कि विनाशकारी भूकंप से उबरने में मदद के लिए अमेरिका सहायता भेजेगा.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोवोदिमीर ज़ेलेंस्की ने भी तुर्की को आवश्यक सहायता प्रदान करने की पेशकश की. बता दें कि तुर्की के लड़ाकू ड्रोन रूसी आक्रमण से लड़ने में यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. चीन की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को कहा कि बीजिंग बचाव दल, चिकित्सा दल और अन्य आपूर्ति भेज रहा है.

तुर्की दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप क्षेत्रों में से एक है. इससे पहले साल 1939 में 7.8 तीव्रता के भूकंप के कारण पूर्वी एर्जिंकन प्रांत में 33,000 लोगों की मौत हो गई थी.

1999 में तुर्की क्षेत्र के डुज़ में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे. विशेषज्ञ लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं कि एक बड़ा भूकंप देश के इस्तांबुल शहर को तबाह कर सकता है, जो तकरीबन 1.6 करोड़ लोगों का घर है.

भारत ने बचाव उपकरण, राहत सामग्री, मेडिकल दल भेजे

भारत ने तुर्की में विनाशकारी भूकंप से प्रभावित हुए लोगों के लिए दो विमानों के जरिये राहत सामग्री और मेडिकल दलों को भेजा है. भारत ने तुर्की में भूकंप प्रभावित इलाकों में मलबे में दबे लोगों को ढूंढने के लिए विभिन्न उपकरण भेजे हैं.

विश्व के कई देशों ने तुर्की और सीरिया में राहत कार्यों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत इस चुनौतीपूर्ण क्षण में अपनी एकजुटता व्यक्त करता है.’

तलाश एवं बचावकर्मियों के एक समूह, विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान दस्ता, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री, दवाइयों के साथ प्रथम सी-17 परिवहन विमान आज सुबह तुर्की के अदन में उतरा.

भारतीय वायुसेना का दूसरा विमान इसी तरह की सामग्री और कर्मचारियों के साथ दोपहर के करीब तुर्की के लिए रवाना हुआ.

जयशंकर ने कहा, ‘एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के 50 से अधिक तलाश एवं बचावकर्मियों, विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान दस्ते, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री, दवाइयां और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ प्रथम भारतीय सी-17 उड़ान अदन, तुर्की पहुंच गया है.’

प्रथम एवं दूसरे, दोनों विमानों से एनडीआरएफ के तलाश एवं बचावकर्मी भेजे गए हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा, ‘वायुसेना का दूसरा विमान सी-17, श्वान दस्ते, तलाश एवं बचाव उपकरण, मलबा हटाने की मशीन सहित एनडीआरएफ के दलों के साथ तुर्की के लिए रवाना हुआ है. तुर्की के लोगों की जरूरत के समय भारत उनकी लगातार मदद कर रहा है.’

उन्होंने कहा कि 99 सदस्यीय मेडिकल दल में गहन चिकित्सा विशेषज्ञ भी हैं.

तुर्की में 30 बिस्तरों वाला एक अस्थायी चिकित्सा केंद्र स्थापित करने के लिए मेडिकल दलों को एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, हृदय की निगरानी करने वाले उपकरणों से लैस किया गया है.

थल सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘सेना ने भूकंप प्रभावित तुर्की की मदद के लिए 99 सदस्यीय एक मेडिकल टीम बनाई है.’

उल्लेखनीय है कि भारत ने एनडीआरएफ के तलाश एवं बचाव दलों, मेडिकल दलों और राहत सामग्री फौरन तुर्की भेजने का सोमवार को फैसला किया था. तुर्की को हर संभव मदद देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद यह कदम उठाया गया.

इस बीच, नई दिल्ली स्थित तुर्की के दूतावास ने एक ट्वीट में कहा, ‘एनडीआरएफ के विशेष तलाश एवं बचाव दलों और प्रशिक्षित श्वान दस्तों के साथ भूकंप राहत सामग्री की पहली खेप तुर्की पहुंच गई है. भारत के सहयोग और एकजुटता के लिए धन्यवाद.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)