पिछले एक साल में जेएनयू की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ से ‘राष्ट्रवादी’ में बदली है: कुलपति

जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकीं शांतिश्री डी. पंडित ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई, लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.

जेएनयू कुलपति शांतिश्री डी. पंडित. (फोटो: एएनआई)

जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकीं शांतिश्री डी. पंडित ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई, लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.

जेएनयू कुलपति शांतिश्री डी पंडित. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने मंगलवार को कहा कि पिछले एक साल में ‘राष्ट्र विरोधी विश्वविद्यालय’ के रूप में जेएनयू की छवि बदली है और विश्वविद्यालय के समुदाय ने दिखाया है कि यह ‘राष्ट्रवादी, रचनात्मक तथा समावेशी’ है.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ छात्रों पर भारत विरोधी बयान देने तथा सांप्रदायिक दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया गया और विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई.

साल 2016 में जेएनयू के तीन छात्रों को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम और उमर खालिद सहित कई अन्य लोगों पर आतंकवाद रोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित रूप से फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के ‘मास्टरमाइंड’ होने का मामला दर्ज किया गया था.

जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा करने वाली शांतिश्री ने कहा कि लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘राष्ट्र विरोधी संस्थान के रूप में विश्वविद्यालय की छवि बदल गयी है. इस साल, जेएनयू समुदाय ने दिखाया कि यह राष्ट्रवादी, रचनात्मक और समावेशी है. मेरी टीम और फैकल्टी के लिए अकादमिक नेतृत्व मायने रखता है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शांतिश्री डी. पंडित ने पहली महिला कुलपति के रूप में अब तक की अपनी यात्रा को बहुत संतोषजनक बताया.

पिछले एक साल में अपने काम को सूचीबद्ध करते हुए, कुलपति ने कहा कि विश्व विद्यालय ने 32 भर्तियां और 44 रुकी हुई पदोन्नतियां की गईं. उन्होंने कहा कि महिला अध्यक्षों और डीन की संख्या 19 से बढ़कर 39 हो गई है.

यह पूछे जाने पर कि इस समय जेएनयू किन चुनौतियों का सामना कर रहा है, शांतिश्री ने कहा कि विश्वविद्यालय अकादमिक कैलेंडर को सिंक्रोनाइज़ करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो कोविड के कारण 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गया था; महामारी के कारण विलंबित पीएचडी प्रस्तुतियां पूरी करना और परिसर के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न स्कूलों में अधिक एमए कार्यक्रमों के माध्यम से एनईपी (नई शिक्षा नीति) 2020 के कार्यान्वयन के विस्तार की दिशा में भी काम कर रहे हैं, और विश्वविद्यालय-कॉर्पस फंड को 50 करोड़ से बढ़ाकर 250 करोड़ कर रहे हैं.’

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पहली महिला कुलपति के रूप में पदभार संभालने के बाद शांतिश्री पंडित ने कहा था कि वह जेएनयू के बारे में गलत धारणा को बदलना चाहती हैं.

अप्रैल 2022 में कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने कहा था कि हर विश्वविद्याल में उन्मादी छात्र होते हैं, जेएनयू भी इससे अलग नहीं है. पंडित ने यह भी कहा था कि वे जेएनयू की राष्ट्रविरोधी छवि को बदलना चाहती हैं.

उन्होंने कहा था, ‘मुझे लगता है कि यह एक नारे के शब्द के रूप में ठीक है, लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि 90 फीसदी छात्र गैर-राजनीतिक हैं. वे यहां करिअर बनाने के लिए आए हैं और इस तरह की कोई भी नकारात्मक ब्रांडिंग उन्हें यहां से बाहर जाने के लिए प्रभावित करेगी… हर विश्वविद्यालय में उन्मादियों का समूह होता है और जेएनयू भी दूसरों से अलग नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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