टीवी एंकर दीपक चौरसिया उनके ख़िलाफ़ दर्ज पॉक्सो मामले की सुनवाई से छूट की अर्ज़ी देते हुए कहा था कि उन्हें उसी दिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू लेना है. कोर्ट ने इसे नामंज़ूर करते हुए कहा कि इसके साथ कोई ‘हलफ़नामा या ठोस दस्तावेज़ी प्रमाण’ नहीं दिया गया है. अदालत ने उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया है.
नई दिल्ली: एक दस वर्षीय बच्ची और उसके परिवार के ‘संपादित’, ‘अश्लील’ वीडियो प्रसारित करने और वीडियो को स्वयंभू संत आसाराम के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले से जोड़ने को लेकर गुड़गांव की एक पॉक्सो अदालत ने टीवी एंकर दीपक चौरसिया के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है.
बार एंड बेंच के अनुसार, अतिरिक्त सेशन जज शशि चौहान द्वारा जारी यह वॉरंट गैर-जमानती है.
चौरसिया ने कथित तौर पर मामले की सुनवाई के दिन उपस्थित न हो पाने से ‘व्यक्तिगत छूट’ अर्जी दी थी, जिसमें कहा गया था कि इसी दिन उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साक्षात्कार लेना है. खबर के मुताबिक, चौरसिया ने आवेदन के साथ उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय से मिला एक ईमेल भी संलग्न किया था.
हालांकि, जज ने कहा कि इस अर्जी के साथ ‘कोई हलफनामा’ नहीं दिया गया है और न ही कोई ‘ठोस दस्तावेजी प्रमाण’ है. न्यायाधीश ने यह भी जोड़ा कि रिकॉर्ड पर रखा गया ईमेल भी चौरसिया नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति को संबोधित करते हुए लिखा गया था.
अदालत ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि उन्होंने ‘एक गोपनीय दस्तावेज को रिकॉर्ड पर रखा.’
न्यूज़लॉन्ड्री के अनुसार, यह करीब साढ़े तीन महीने में दूसरी बार है जब चौरसिया के खिलाफ कोई अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ है. इससे पहले उनके खिलाफ पहला गैर-जमानती वॉरंट 28 अक्टूबर 2022 को जारी हुआ था जब चौरसिया स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सुनवाई में पेश नहीं हुए थे.
बाद में वे मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां से उन्हें जमानत मिल गई थी. अब गुड़गांव की अदालत ने उनकी जमानत और मुचलके दोनों को रद्द कर दिया है.
चौरसिया ने ‘छूट’ की पहली अर्जी पिछले साल 23 सितंबर को दी थी.
मौजूदा मामला 2013 में नाबालिग के एक रिश्तेदार द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर से संबंधित है. मामले में आरोपित आठ लोगों में न्यूज़ 24, इंडिया न्यूज़ और न्यूज़ नेशन चैनलों के एंकर और प्रमुख हैं. चौरसिया, जो तब न्यूज़़ नेशन के साथ थे,अब ज़ी न्यूज़ में हैं.