बीते तीन सालों में अल्पसंख्यकों द्वारा दर्ज शिकायतों में वृद्धि, यूपी-दिल्ली शीर्ष पर: केंद्र

अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: शोम बसु)

अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: शोम बसु)

नई दिल्ली: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों से सबसे अधिक संख्या में कॉल भी इन दोनों राज्यों में प्राप्त हुए हैं.

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने सांसद डी. रविकुमार के एक सवाल के जवाब में यह आंकड़े उपलब्ध कराए.

सांसद ने पिछले पांच साल के दौरान राज्य और धर्म के आधार पर आयोग को मिलीं कुल शिकायतों की संख्या पूछी थी. उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या आयोग ने केवल 2011 तक की कार्रवाई रिपोर्ट जमा की है और पिछले 10 वर्षों से उन्हें प्रस्तुत करने में देरी के क्या कारण हैं.

इस सवाल के जवाब में ईरानी ने कहा, ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 2021-22 तक की सालाना रिपोर्ट सौंप दी है.’

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अधिनियम के अनुसार, अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए जिला स्तरीय समितियों के गठन का कोई प्रावधान नहीं है.

पिछले दो वर्षों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में अल्पसंख्यकों द्वारा दर्ज शिकायतें

आंकड़ों के अनुसार, आयोग को 2017-18 में कुल 1,498, 2018-19 में 1,871, 2019-20 में 1,670, 2020-21 में 1,463, 2021-22 में 2,076 और चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 10 महीनों में 1984 शिकायतें मिली हैं.

आंकड़े पिछले दो वित्त वर्षों में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा शिकायतों की संख्या में वृद्धि दिखाते हैं.

कुल मिलाकर, आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों में अधिकांश शिकायतें उत्तर प्रदेश और दिल्ली से आई हैं और पिछले दो सालों में महाराष्ट्र से भी शिकायतों की संख्या बढ़ी है.

2020-21 में 732 शिकायतें – जो देश भर में प्राप्त सभी शिकायतों की लगभग आधी थीं – उत्तर प्रदेश से दर्ज कराई गई थीं. इस दौरान दिल्ली से कम से कम 106 और महाराष्ट्र से 60 शिकायतें दर्ज की गईं.

2020-21 में यूपी से 745, दिल्ली से 227 और महाराष्ट्र से 140 शिकायतें दर्ज की गईं और चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में यूपी से 783, दिल्ली से 204 और महाराष्ट्र से 119 शिकायतें मिली हैं. चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में यूपी से 783, दिल्ली से 204 और महाराष्ट्र से 119 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं.

मुसलमानों द्वारा सबसे अधिक शिकायतें यूपी, दिल्ली और महाराष्ट्र से दर्ज कराई गईं

आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई थीं.

2020-21 में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने 1,105 शिकायतें दर्ज की थीं, जो 2021-22 में बढ़कर 1,420 हो गईं. 31 जनवरी तक उनके द्वारा कम से कम 1,279 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जो उत्पीड़न और भेदभाव की घटनाओं की संख्या में वृद्धि का संकेत है.

आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से अधिकतर शिकायतें उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र से दर्ज कराई गई थीं.

ईसाइयों ने 2020-21 में 103 और 2021-22 में 137 शिकायतें दर्ज कराईं. आंकड़े बताते हैं कि 31 जनवरी तक उन्होंने 107 शिकायतें दर्ज कराईं.

2020-21 में इनमें से ज्यादातर शिकायतें तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल से आईं. हालांकि, अगले वर्ष दिल्ली और महाराष्ट्र इस सूची में उनके साथ शामिल हो गए.

चालू वित्त वर्ष में ईसाइयों द्वारा दर्ज कराई गईं 107 शिकायतों में से 21 उत्तर प्रदेश से और 10 तमिलनाडु से आई हैं.

सिखों ने 2020-21 में 99 शिकायतें दर्ज कराईं, जो 2021-22 में 120 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 222 शिकायतें हो गईं. उन्होंने इस साल आयोग के पास पहले ही 270 शिकायतें दर्ज करा दी हैं.

दो साल पहले सिख समुदाय की इन शिकायतों में से अधिकांश दिल्ली और यूपी (प्रत्येक में 21), पंजाब (13) और उत्तराखंड (12) से आई थीं.

हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में दिल्ली और पंजाब में सबसे अधिक शिकायतें (46 प्रत्येक) दर्ज कराई गईं. इसके बाद यूपी (26) और हरियाणा (19) का नंबर आता है.

इस साल समुदाय की अधिकांश शिकायतें पंजाब (73), उसके बाद यूपी (45), दिल्ली (37) और जम्मू कश्मीर (17) से आई हैं.

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जैन, बौद्ध और पारसियों की शिकायतें जो 2020-21 में 78 थीं, 2021-22 में 100 फीसदी बढ़कर कुल 156 हो गईं.

चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में ये शिकायतें पहले ही 173 तक पहुंच चुकी हैं, जो इन समुदायों के बीच बढ़ते असंतोष का संकेत हैं.

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