भाजपा विधायक हार्दिक पटेल पर आरोप था कि चार नवंबर, 2017 को जामनगर ज़िले में एक कार्यक्रम के लिए अधिकारियों द्वारा जिन शर्तों के साथ अनुमति दी गई थी, उनका उल्लंघन करते हुए उन्होंने वहां राजनीतिक भाषण दिया था. उसके एक महीने बाद गुजरात विधानसभा चुनाव हुए थे.
जामनगर: गुजरात की एक अदालत ने शुक्रवार को पांच साल पुराने एक मामले में भाजपा विधायक हार्दिक पटेल को बरी कर दिया. पटेल पर आरोप था कि एक कार्यक्रम के लिए अधिकारियों द्वारा जिन शर्तों के साथ अनुमति दी गई थी, उनका उल्लंघन करते हुए उन्होंने वहां राजनीतिक भाषण दिया था.
जामनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष नंदनी ने यह कहते हुए पटेल एवं अंकित घडिया को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपना मामला सिद्ध नहीं कर पाया और यहां तक कि शिकायतकर्ता अब सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी शिकायत की सारी बातों से परिचित नहीं है.
जामनगर ‘ए’ संभाग थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार तब पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के बैनर तले पाटीदार आंदोलन की अगुवाई कर रहे पटेल ने चार नवंबर, 2017 को जामनगर जिले के धातुरपुर गांव में एक रैली में ‘राजनीतिक’ भाषण दिया था. उसके एक महीने बाद गुजरात विधानसभा चुनाव हुए थे.
उस कार्यक्रम से पहले घडिया ने मामलातदार से इस आधार पर अनुमति मांगी थी कि पटेल सभा में शिक्षा एवं समाज सुधार पर भाषण देंगे. अभियोजन पक्ष ने कहा कि अनुमति बस उसी आधार पर दी गई थी.
हालांकि, पटेल पर आरोप लगा कि जिन शर्तों के साथ इस रैली की अनुमति दी गई थी, उनका उन्होंने उल्लंघन करते हुए ‘राजनीतिक भाषण’ दिया. उन पर और जामनगर के घडिया पर गुजरात पुलिस अधिनियम की धाराओं 36 (ए), 72(2) और 134 के तहत मामला दर्ज किया गया. इन धाराओं का संबंध सरकारी आदेश की अवहेलना से है.
अपने आदेश में मजिस्ट्रेट नंदनी ने कहा कि अभियोजन यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि करीब 70 दिनों बाद क्यों एफआईआर दर्ज की गई और पटेल के भाषण वाली सीडी किसके पास थी. आदेश में कहा गया है कि अनुमति की मांग करते हुए जो आवेदन मामलातदार को सौंपा गया, उसमें न तो पटेल और न ही घडिया के हस्ताक्षर हैं.
मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि न केवल गवाह, बल्कि शिकायकर्ता कीर्ति संघवी को भी भाषण की सामग्री की जानकारी नहीं थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बचाव पक्ष द्वारा जिरह के दौरान मामलातदार कार्यालय के तत्कालीन अंचल अधिकारी संघवी ने कहा कि उन्होंने उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार शिकायत दी थी और वह न तो मौके पर मौजूद थे और न ही उन्हें इस बारे में कोई विशेष जानकारी थी कि वास्तव में क्या हुआ था रैली में.
मजिस्ट्रेट ने कहा कि शिकायत के पंजीकरण के साथ-साथ बाद की जांच यांत्रिक तरीके से की गई थी और ऐसा कोई सबूत मौजूद नहीं है, जो मामले को किसी भी संदेह से परे साबित करता हो.
साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और उन्हें इसका कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद दिसंबर 2022 के गुजरात चुनावों से पहले पटेल ने कांग्रेस छोड़ दी और अहमदाबाद के वीरमगाम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए.
हार्दिक पटेल पर गुजरात में देशद्रोह के दो मामलों सहित लगभग 30 मामले दर्ज हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)