पूर्वोत्तर भारत में असम में पॉक्सो के सबसे अधिक 3,811 मामले लंबित

केंंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बताया है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) क़ानून के तहत लंबित मामलों की संख्या असम में पिछले तीन वर्षों के दौरान तीन गुना बढ़ी है. वहीं, एक अन्य पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में पूरे देश में सबसे कम 36 मामले लंबित पाए गए.

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(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

केंंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बताया है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) क़ानून के तहत लंबित मामलों की संख्या असम में पिछले तीन वर्षों के दौरान तीन गुना बढ़ी है. वहीं, एक अन्य पूर्वोत्तर राज्य मिज़ोरम में पूरे देश में सबसे कम 36 मामले लंबित पाए गए.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

गुवाहाटी: यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) के लंबित मामलों में पूर्वोत्तर भारत में असम शीर्ष पर है. बीते वर्ष दिसंबर तक राज्य में 3,881 मामले लंबित थे. दूसरी तरफ, मिजोरम में न सिर्फ पूर्वोत्तर भारत बल्कि पूरे देश में सबसे कम 36 मामले लंबित थे.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह जानकारी शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से सामने आई है.

पिछले 10 दिनों में असम में बाल विवाहों के संबंध में बड़ी कार्रवाई की गई है और सैकड़ों लोगों पर पॉक्सो के तहत मामले दर्ज किए गए हैं, जिसे देखते हुए लंबित मामलों की संख्या और बढ़ सकती है.

सांसद रविकुमार डी. के सवाल के जवाब में रिजिजू द्वारा प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि ऐसे लंबित मामलों की संख्या में पिछले तीन वर्षों के दौरान असम में तीन गुना की वृद्धि हुई है. 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में 1,211 मामले लंबित थे, जो 31 दिसंबर 2021 को बढ़कर 3,023 हो गए. बीते वर्ष 31 दिसंबर तक इनकी संख्या बढ़कर 3,881 हो गई, यहां तक कि इसी वर्ष 1,861 मामलों का निपटान किया गया जो वर्ष 2020 के बाद से सर्वाधिक था.

मामले निपटान की संख्या में वृद्धि का कारण यह रहा कि वर्ष 2020 में असम में फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की संख्या 7 थी, जो 2021 में बढ़कर 15 और 2022 में 17 हो गई.

समय-सीमा में मामलों का निपटान सुनिश्चित करने के लिए अक्टूबर 2019 में एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत 1,023 एफटीएससी स्थापित करने की योजना थी, जिसमें 31 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में 389 पॉक्सो अदालतें बनाई जानी थीं.

रिजिजू ने सदन को सूचित किया, ‘एफटीएससी योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक अदालत हर वर्ष 165 मामलों का निपटान करेगी.’

असम में 2020 में केवल 36 पॉक्सो के मामले निपटाए जा सके, लेकिन यह संख्या 2021 में 818 और पिछले साल 1,861 हो गई.

मिजोरम में पिछले कुछ सालों में पॉक्सो के तहत दर्ज मामलों के निपटान की संख्या लंबित मामलों की संख्या से अधिक है. वर्ष 2020 के मिजोरम के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे, लेकिन 31 दिसंबर 2021 तक 40 पॉक्सो के मामले लंबित थे, जबकि 2021 में कुल 47 मामलों का निपटान किया गया. बीते वर्ष 31 दिसंबर तक लंबित मामलों की संख्या गिरकर 36 रह गई क्योंकि 62 मामलों का निपटान किया गया.

28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच नगालैंड में 53 मामले लंबित थे. बीते वर्ष 31 दिसंबर तक यह तीसरी सबसे कम संख्या थी. गोवा 51 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा.

अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मणिपुर में बीते वर्ष के 31 दिसंबर तक 130 मामले लंबित थे, जबकि त्रिपुरा में 318 और मेघालय में 995 मामले लंबित थे.

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