बाल विवाह के ख़िलाफ़ कार्रवाई लोगों की निजी जिंदगी में क़हर ढा रही है: गौहाटी हाईकोर्ट

असम की हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में बाल विवाह के ख़िलाफ़ अभियान चला रही है. इसके तहत हज़ारों की संख्या में लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. गौहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में हिरासत में लेकर आरोपियों से पूछताछ की कोई ज़रूरत नहीं है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

असम की हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में बाल विवाह के ख़िलाफ़ अभियान चला रही है. इसके तहत हज़ारों की संख्या में लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. गौहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में हिरासत में लेकर आरोपियों से पूछताछ की कोई ज़रूरत नहीं है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बाल विवाह के खिलाफ असम में जारी कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किए जाने के मामले पर गौहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि इससे लोगों के निजी जीवन में तबाही मच गई है.

असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के सिलसिले में 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से कई शादियां सालों पहले संपन्न हुई थीं और इस कार्रवाई की वजह से तमाम परिवारों को कमाऊ सदस्य और पिता जेल में हैं.

इस आधार पर कई महिलाओं ने इस अभियान का विरोध किया और अपने पतियों की रिहाई की मांग की है. दूसरी ओर विशेषज्ञों ने सवाल उठाया कि इस तरह की कार्रवाई किशोर माताओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज कराने से कैसे रोक सकती है.

इस अभियान तहत उन आरोपियों में से कुछ को अग्रिम जमानत देते हुए जस्टिस सुमन श्याम ने मौखिक रूप से ऐसे मामलों में तत्काल हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता पर टिप्पणी की.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि हाईकोर्ट ने चार मामलों में नौ अभियुक्तों को जमानत दे दी है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सुमन श्याम ने कहा, ‘अगर शादी कानून का उल्लंघन कर हो रही है तो कानून अपना काम करेगा. ये मामले काफी समय से होते आ रहे हैं. हम केवल इस पर विचार करेंगे कि तत्काल हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है या नहीं. इस समय यह अदालत सोचती है कि इसके लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है. हम उन्हें पेश होने और अपने बयान दर्ज कराने के लिए कहेंगे.’

उन्होंने कहा कि ये नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस), तस्करी, चोरी की संपत्ति के मामले नहीं हैं.

एक अलग लेकिन समान मामले में भी जस्टिस श्याम ने कहा कि ये ‘हिरासत में पूछताछ के लिए मामले नहीं हैं.’

जस्टिस सुमन श्याम ने कहा, ‘ये हिरासत में पूछताछ के मामले नहीं हैं. आप (राज्य सरकार) कानून के अनुसार आगे बढ़ें, हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. अगर आप किसी को दोषी पाते हैं, तो आरोप-पत्र दायर करें. उसे मुकदमे का सामना करने दीजिए और अगर वह दोषी ठहराया जाता है तो उसे दोषी ठहराइए.’

उन्होंने कहा, ‘यह (गिरफ्तारी) लोगों के निजी जीवन में कहर ढा रही है. बच्चे हैं, परिवार वाले हैं, बूढ़े हैं. यह (गिरफ्तारी) करने के लिए एक अच्छा विचार नहीं हो सकता है, जाहिर है यह एक बुरा विचार है.’

उन्होंने पॉक्सो अधिनियम की भूमिका पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जिसे कुछ मामलों में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धाराओं के अलावा लागू किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, असम के अतिरिक्त लोक अभियोजक डी. दास ने अदालत को बताया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 6, जो गंभीर यौन हमले से संबंधित है, को चार मामलों में से एक में लागू किया गया था. इस अपराध में कम से कम 20 साल की सजा होती है.

जब सरकारी वकील ने बताया कि पॉक्सो अधिनियम और बलात्कार (आईपीसी धारा 376) के तहत गैर-जमानती आरोपों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं, तो जस्टिस श्याम ने कहा, ‘यहां पॉक्सो क्या है? सिर्फ इसलिए कि पॉक्सो जोड़ा गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायाधीश यह नहीं देखेंगे कि वहां क्या है?’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मामलों की सुनवाई करते हुए जस्टिस श्याम ने यह भी पूछा कि बलात्कार से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 376 को एक आरोपी के खिलाफ क्यों लगाया गया था.

मालूम हो कि असम की हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बीते 23 जनवरी को फैसला किया था कि बाल विवाह में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं.

राज्य मंत्रिमंडल ने यह भी फैसला किया था कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा. अगर लड़के की उम्र भी 14 साल से कम होगी तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा, क्योंकि नाबालिगों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता.