स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस टिप्पणी की आलोचना पर दो सपा नेता पार्टी से निष्कासित

समाजवादी पार्टी ने बीते बृहस्पतिवार को ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया. इन नेताओं ने कहा कि ‘बिना कोई स्पष्टीकरण दिए महिला नेताओं को निष्कासित करके सपा का लोकतांत्रिक और समाजवादी चेहरा एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गया है.

ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

समाजवादी पार्टी ने बीते बृहस्पतिवार को ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया. इन नेताओं ने कहा कि ‘बिना कोई स्पष्टीकरण दिए महिला नेताओं को निष्कासित करके सपा का लोकतांत्रिक और समाजवादी चेहरा एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गया है.

ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) ने बृहस्पतिवार को अपनी दो महिला नेताओं – ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को ‘अनुशासनहीनता’ का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया.

अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी की आलोचना करने के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऋचा सिंह ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, रोली तिवारी मिश्रा आगरा की रहने वाली हैं.

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि दोनों नेताओं को अनुशासनहीनता के कारण निष्कासित किया गया है. उन्होंने कहा, ‘हम बाद में सही कारण बताएंगे.’

पार्टी सूत्रों ने कहा कि मौर्य के बयानों की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट डालने के बाद दोनों को निष्कासित कर दिया गया है.

सपा के एक नेता ने कहा, ‘दोनों खुले तौर पर मौर्य के बयानों की आलोचना कर रही थीं और पार्टी लाइन के खिलाफ जा रही थीं.’

एक बयान में राजेंद्र चौधरी ने पार्टी नेताओं और प्रवक्ताओं से यह ध्यान रखने के लिए कहा कि, ‘सपा वह पार्टी है जो डॉ. (राम मनोहर) लोहिया के लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के आदर्शों का पालन करती है.’

उन्होंने कहा, ‘सपा डॉक्टर लोहिया की सप्तक्रांति और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति और सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है. हम जातिगत जनगणना की भी लगातार मांग करते रहे हैं.’

चौधरी ने कहा कि पार्टी के नेताओं को लोगों के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और धर्म के विषयों से बचना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रोली तिवारी मिश्रा ने कहा, ‘मैंने कहा था कि मौर्य जी जो कह रहे हैं वह सही नहीं है और उन्हें किसी की आस्था का अपमान नहीं करना चाहिए. उनके इस मुद्दे को अभी उठाने को लेकर मैंने कई सवाल भी किए थे. उन्होंने यह टिप्पणी पहले क्यों नहीं की. मैंने पवित्र पुस्तक को जलाने का भी विरोध किया था और रामचरितमानस के समर्थन में यात्रा की घोषणा की थी. इस सब के बाद मुझे निकाल दिया गया.’

एक ट्वीट में रोली ने कहा, ‘16 वर्षों की निष्ठा के इस पुरस्कार के लिए आभार आदरणीय अखिलेश यादव जी राष्ट्रद्रोहियों, सनातन धर्मद्रोहियों, रामद्रोहियों के खिलाफ आवाज उठाती थी उठाती रहूंगी सनातन धर्म के स्वाभिमान प्रभु श्रीराम, श्रीरामचरितमानस के सम्मान के लिए ऐसे हजारों निष्कासन स्वीकार.’

वहीं ऋचा सिंह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘एक पार्टी, जो प्राकृतिक न्याय में विश्वास नहीं करती है वह कभी भी सामाजिक न्याय के प्रति ईमानदार नहीं हो सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘बिना कोई स्पष्टीकरण दिए महिला नेताओं को निष्कासित करके सपा का लोकतांत्रिक और समाजवादी चेहरा एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गया है. प्राकृतिक न्याय की मांग है कि कार्रवाई करने से पहले किसी व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए और कार्रवाई करने का कारण बताया जाना चाहिए. मेरे खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सपा की ओर से कोई कारण बताओ नोटिस या स्पष्टीकरण नहीं आया. यह न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि न्याय के विचार के भी खिलाफ है.’

सपा नेताओं द्वारा रामचरितमानस के अपमान के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है, इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से पार्टी में महिलाओं के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह सपा नेतृत्व के असली रंग को उजागर करता है. पार्टी के कई पुरुष नेता भी रामचरितमानस के बचाव में मुखर हैं, लेकिन उन्हें किसी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा. महिला नेताओं को मनमाने तरीके से निशाना बनाया गया.’

एक फेसबुक पोस्ट में ऋचा ने कहा कि इस देश के संवैधानिक आत्मा रामचरितमानस के पक्ष में होने पर अगर मेरा राजनीतिक वनवास होता है तो यह मुझे सहज स्वीकार है.

इस बीच सपा ने अपने नेताओं और पैनलिस्टों से टीवी चैनलों पर सांप्रदायिक मुद्दों पर बहस करने से परहेज करने को कहा है. इसमें कहा गया है कि पार्टी के नेताओं को भाजपा के बहकावे में नहीं आना चाहिए, जो बुनियादी मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है.

सपा प्रवक्ता ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों को साम्प्रदायिक मुद्दों पर बहस करने से परहेज करने की सलाह दी है.

गौरतलब है कि अन्य पिछड़ा वर्गों के प्रमुख नेताओं में शुमार किए जाने वाले सपा के विधान परिषद सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते जनवरी महीने में यह आरोप लगाकर एक विवाद खड़ा कर दिया था कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों में जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘अपमान’ किया गया है. उन्होंने मांग की कि इन पर प्रतिबंध लगाया जाए.

मौर्य ने बीते 22 जनवरी को रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उसमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए.

मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था. साधु-संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी.

इसके बाद  बीते 30 जनवरी को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा द्वारा रामचरितमानस के कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी’ वाले पन्नों की ‘फोटोकॉपी’ जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

उनके खिलाफ बीते 24 जनवरी को लखनऊ के हजरतगंज थाने में भी एक मुकदमा दर्ज किया गया था.

बता दें कि इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बीते 11 जनवरी को नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में ‘रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था.’ उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था.

उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति और रामचरितमानस जैसे हिंदू ग्रंथ दलितों, अन्य पिछड़ा वर्गों और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं के खिलाफ हैं.

चंद्रशेखर ने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और भगवा विचारक गुरु गोलवलकर की किताब ‘बंच ऑफ थॉट्स’ नफरत फैलाते हैं. नफरत नहीं प्यार देश को महान बनाता है.