पत्रकारों ने ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह की रिहाई की मांग की

समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह पिछले एक साल से जेल में हैं. उन पर गै़रक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्हें आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और आम जनता को क़ानून व्यवस्था के ख़िलाफ़ भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.

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फहद शाह. (फोटो साभार: ट्विटर/@pzfahad)

समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह पिछले एक साल से जेल में हैं. उन पर गै़रक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्हें आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और आम जनता को क़ानून व्यवस्था के ख़िलाफ़ भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.

फहद शाह. (फोटो साभार: ट्विटर/@pzfahad)

नई दिल्ली: दुनिया भर के पत्रकारों ने भारत सरकार से समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फहद शाह को तुरंत रिहा करने की मांग की है. फहद पिछले एक साल से जेल में हैं और उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस संबंध में  ‘द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर’ के संपादक मार्क सैपेनफील्ड, ‘फॉरेन पॉलिसी’ के प्रधान संपादक रवि अग्रवाल, न्यूज एंड डॉक्यूमेंट्री ‘इनसाइडर’ की कार्यकारी निर्माता एरिका बेरेनस्टीन, ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के लॉन्ग रीड्स एडिटर डेव बेस्लिंग, ‘द नेशन’ के संपादक डीडी गुटेनप्लान, ‘फॉरेन अफेयर्स’ के संपादक डैनियल कर्टज़-फेलन, ‘पुलित्जर सेंटर ऑन क्राइसिस रिपोर्टिंग’ के वरिष्ठ संपादक बोयॉन्ग लिम, ‘द गार्डियन’ की प्रधान संपादक कैथरीन विनर द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया है.

शाह को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित रिपोर्टर’ कहते हुए बयान में कहा गया है कि ‘द कश्मीर वाला’, जिसे शाह ने स्थापित किया है, ‘आम लोगों की आवाज उठाता है और ईमानदार रिपोर्टिंग के साथ अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ खड़ा होता है, लेकिन शाह को उस काम की भारी कीमत चुकानी पड़ी है.’

उन्हें बार-बार जमानत दी गई, केवल तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. जांच अधिकारियों के अनुसार, उन्हें आखिरी बार 4 फरवरी, 2022 को ‘आतंकवाद का महिमामंडन करने, फर्जी खबरें फैलाने और आम जनता को कानून व्यवस्था के खिलाफ भड़काने’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

यूएपीए के तहत कार्रवाई का सामने करने वाले फहद शाह को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास का सामना करना पड़ेगा.

संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘शाह का मामला मुक्त आवाजों को मजबूत करने की आवश्यकता के संबंध में एक तीव्र रिमाइंडर है, क्योंकि दुनिया भर में ऐसी आवाजों को बंद करने के प्रयास प्रतिदिन तेज हो रहे हैं. उनकी रिहाई कश्मीर में स्वतंत्र प्रेस के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.’

बता दें कि पुलवामा पुलिस ने चार फरवरी 2022 को फहद शाह को आतंकी गतिविधियों का महिमामंडन करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की छवि खराब करने के अलावा देश के खिलाफ दुर्भावना और असंतोष पैदा करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया था.

उन्हें 22 दिनों की हिरासत के बाद एनआईए एक्ट के तहत विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी. इसके बाद उन्हें शोपियां पुलिस ने गिरफ्तार किया और मार्च 2022 की शुरुआत में जमानत दी गई. फिलहाल वह श्रीनगर के सफाकदल पुलिस थाने में बंद हैं.

तब एक महीने में तीन बार फहद की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी मीडिया एडवोकेसी समूह कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भारतीय प्रशासन से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारिता का अपराधीकरण बंद करने को कहा था, जबकि कई अन्य ने इसे देश की लोकतांत्रिक साख पर हमला बताया था.

फहद शाह को एक महीने के भीतर तीसरी बार गिरफ्तार करने से पहले दो बार जमानत मिल गई थी. फहद को बार-बार गिरफ्तार करने और उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने का बड़े पैमाने पर विरोध होता रहा है.

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