कर्नाटक: ‘जातिवादी और असंवेदनशील’ नाटक के लिए प्रिंसिपल समेत नौ लोग गिरफ़्तार

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित जैन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज़ में हुए इस नाटक के बाद कई राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों ने विरोध किया. उनका मानना था कि यह जातिवादी था और कथित रूप से इसमें बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया गया था. इन लोगों ने कक्षाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने की मांग की.

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बेंगलुरु के कॉलेज में हुए स्किट की वीडियोग्रैब.

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित जैन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज़ में हुए इस नाटक के बाद कई राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों ने विरोध किया. उनका मानना था कि यह जातिवादी था और कथित रूप से इसमें बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया गया था. इन लोगों ने कक्षाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने की मांग की.

बेंगलुरु के कॉलेज में हुए स्किट की वीडियोग्रैब.

नई दिल्ली: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के एक शिक्षण संस्थान के प्रिंसिपल सहित नौ लोगों को हाल ही में एक स्किट (Skit – एक लघु हास्य नाटक) के प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार किया गया था. इसे लेकर कई लोगों का मानना था कि यह जातिवादी था और कथित रूप से इसमें बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया गया था.

जैन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज (सीएमएस) में हुए इस स्किट के बाद कई राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों ने विरोध किया और कक्षाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने की मांग की.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंसिपल डॉ. दिनेश नीलकांत, छात्रों और जैन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज के यूथ फेस्टिवल आयोजक को बीते 13 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था.

स्किट का आयोजन निमहंस कन्वेंशन सेंटर में हुआ, जिसे यूथ फेस्ट के एक भाग के तहत आयोजित किया गया था, जिसमें प्रतिभागियों को हास्य में प्रदर्शन करना था. यह भाग आरक्षण पर केंद्रित था.

कर्नाटक राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग ने विश्वविद्यालय से घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. बेंगलुरु यूनिवर्सिटी पोस्टग्रेजुएट एंड रिसर्च स्टूडेंट्स यूनियन ने अपमानजनक स्किट करने की अनुमति देने के लिए जैन यूनिवर्सिटी के खिलाफ बंद का आह्वान किया था.

न्यूज़क्लिक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि स्किट के लिए छात्रों ने काल्पनिक उत्पाद ‘बीयर आंबेडकर’ को चुना था और ‘दलित क्यों हो जब आप ‘डी-लिट’ हो सकते हैं?’, जैसी लाइनें कहीं गई थीं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्किट में आंबेडकर को विभिन्न परिदृश्यों में चित्रित किया था और संवाद के माध्यम से हास्य उत्पन्न करने का प्रयास किया था.

न्यूज़क्लिक के अनुसार, आंबेडकर को एक ऐसी महिला के साथ भोजन करने के रूप में भी दर्शाया गया है, जो उन्हें एक ही थाली से खाना नहीं देती है. स्किट के नरेटर (कहानी सुनाने वाला) ने यह भी कहा था, ‘उन्होंने सेना में शामिल होने की कोशिश की, वहां भी वह जनरल नहीं बन सके.’

स्किट के खिलाफ ऑनलाइन याचिका दायर करने वाले छात्रों में से एक ने द न्यूज़ मिनट से बात की और स्किट में चुटकुलों का थोड़ा अलग संस्करण पेश किया.

उनके अनुसार, उन्होंने जो नाटक किया, उसमें निचली जाति की पृष्ठभूमि के एक पुरुष को एक उच्च जाति की महिला को डेट करने की कोशिश करते हुए दिखाया गया. निर्माताओं ने बीआर आंबेडकर को ‘बीयर आंबेडकर’ में बदल दिया और कथित तौर पर हास्य पैदा करने के लिए ‘दलित क्यों हो जब आप डी-लिट हो सकते हैं’ जैसे कई अन्य समस्याग्रस्त संवादों का इस्तेमाल किया था.

छात्र की ऑनलाइन याचिका को जिन लोगों का समर्थन मिला है, जिन्होंने नाटक को ‘जातिवादी और असंवेदनशील’ कहा है. स्किट के वीडियो क्लिप को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना करने के साथ नाराजगी भी जताई.

सामाजिक कल्याण विभाग, बेंगलुरु दक्षिण के सहायक निदेशक मधुसूदन केएन ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (आर) (जान-बूझकर अपमान या सार्वजनिक रूप से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्य को अपमानित करने के इरादे से डराना); 3 ( 1) (एस) (एसटी या एसटी समुदाय के किसी भी सदस्य को सार्वजनिक रूप से जाति के नाम से गाली देना) और 3 (1) (वी) (एससी या एसटी समुदाय के सदस्यों द्वारा उच्च सम्मानित किसी दिवंगत व्यक्ति का अनादर करना) के तहत केस दर्ज किया गया है.

इसके अलावा एफआईआर में आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 149 (गैरकानूनी सभा) और 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) को भी लागू किया गया है.

यह देखते हुए कि स्किट जाति और आरक्षण की तस्वीर को दर्शाता है, कॉलेज के अधिकारी इसका बचाव करते दिखाई दिए. उन्होंने यह भी नोट किया कि यह एक रिहर्सल था और तीसरी बार ‘डेलरोयस बॉयज़’ समूह इसका प्रदर्शन कर रहा था.

न्यूज़क्लिक के मुताबिक, इस मामले को राज्य विधानसभा में उठाया गया था, जहां शून्यकाल में जद (एस) के विधायक डॉ. के. अन्नादानी ने मांग की थी कि जैन विश्वविद्यालय के ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा वापस लिया जाए.