अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों के बीच बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि वे अडानी शेयरों को लेकर बाज़ार की अस्थिरता पर चिंतित नहीं हैं. अगर अडानी समूह मानकों को पूरा करता है तो बैंक ऑफ बड़ौदा उसे क़र्ज़ देगा.
नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों और उसके बाद उसके शेयर की कीमतों में आई भारी गिरावट के बीच ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा ने कहा है कि बैंक अडानी समूह को और कर्ज देना जारी रखेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, चड्ढा ने कहा कि अगर अडानी समूह मानकों को पूरा करता है तो बैंक ऑफ बड़ौदा उसे कर्ज देगा. उन्होंने कहा, ‘मैं अडानी शेयरों को लेकर बाजार की अस्थिरता को लेकर चिंतित नहीं हूं.’
उन्होंने कहा, ‘आपके पास अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड्स (उधारकर्ता ऋण के योग्य है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा निर्धारित दिशानिर्देश) होते हैं और आप अच्छे समय के साथ-साथ बुरे समय में भी उन पर कायम रहते हैं.’
चड्ढा ने अडानी समूह के लिए बैंक के मौजूदा जोखिम का खुलासा करने से इनकार कर दिया. हालांकि लाइव मिंट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि अडानी समूह के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा का जोखिम भारतीय रिजर्व बैंक के ढांचे के तहत स्वीकृत राशि का लगभग एक चौथाई है.
चड्ढा ने कहा कि बैंक धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए समूह को ऋण देने पर विचार करेगा. अडानी समूह ने पिछले साल झुग्गी को फिर से तैयार करने की परियोजना के लिए 50.7 अरब रुपये की बोली लगाई थी.
मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने बीते माह अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. अडानी समूह ने आरोपों को झूठा करार देकर खारिज किया है.
नुकसान से निपटने के लिए गौतम अडानी ने कथित तौर पर अमेरिका की क्राइसिस कम्युनिकेशन और क़ानूनी टीमों को काम पर रखा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी की कंपनियों ने 850 मिलियन डॉलर के कोयला संयंत्र की खरीद को भी खत्म कर दिया है, खर्चों पर लगाम लगाई है, कुछ कर्ज चुकाया है तथा और कर्ज चुकाने का वादा भी किया है.
रिपोर्ट कहती है, ‘पूर्व भुगतान और ऋण के समय पर भुगतान के साथ खुद को जिम्मेदार उधारकर्ताओं के रूप में चित्रित करने के अभियान के अलावा अधिकारियों ने विदेशी बॉन्डधारकों को शांत करने के लिए बैठकों की एक श्रृंखला शुरू की है.’ अडानी ने कथित तौर पर उसी जनसंपर्क फर्म- केकस्ट सीएनसी – को काम पर रखा है, जिसने वीवर्क संकट जैसे कई वैश्विक छवि संकटों से निपटा है.
इससे पहले फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया था कि अडानी ने अमेरिकी लॉ फर्म वाचटेल, लिप्टन, रोसेन और काट्ज को काम पर रखा है जो इस समूह के सामने खड़े हुए संकट को रोकने पर सलाह देंगे. ज्ञात हो कि यह अमेरिका की सबसे महंगी कानून फर्मों में से एक है.