भिवानी हत्याकांड: आरोपियों के समर्थन में हिंदुत्व समूह, राजस्थान पुलिस को दी धमकी

भिवानी डबल मर्डर मामले के एक आरोपी मोनू मानेसर के समर्थन में हरियाणा के मानेसर में हुई 'हिंदू महापंचायत' में हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने राजस्थान पुलिस को खुली धमकी देते हुए कहा कि अगर वह मोनू को गिरफ़्तार करने पहुंची, तो अपने पैरों से वापस नहीं जा पाएगी. 

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मोनू मानेसर के समर्थन में हुई हिंदू महापंचायत. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर)

भिवानी डबल मर्डर मामले के एक आरोपी मोनू मानेसर के समर्थन में हरियाणा के मानेसर में हुई ‘हिंदू महापंचायत’ में हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने राजस्थान पुलिस को खुली धमकी देते हुए कहा कि अगर वह मोनू को गिरफ़्तार करने पहुंची, तो अपने पैरों से वापस नहीं जा पाएगी.

मोनू मानेसर के समर्थन में हुई हिंदू महापंचायत. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: भिवानी डबल मर्डर के आरोपियों में से एक मोनू मानेसर, जो खुद को गोरक्षक बताता है, के समर्थन में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हरियाणा के मानेसर में मंगलवार (21 फरवरी) को एक ‘हिंदू महापंचायत’ बुलाई थी. इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने राजस्थान पुलिस को मोनू मानेसर और मामले के अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने की चुनौती दी.

इन खबरों के बीच कि राजस्थान पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए हरियाणा जा सकती है, महापंचायत में मौजूद लोगों ने राजस्थान सरकार और पुलिस को आरोपियों को गिरफ्तार करने पर ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में हिंदुत्व समूह खुली धमकियां देते नजर आ रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, महापंचायत के आयोजकों में से एक देवेंद्र सिंह के मुताबिक, ‘राजस्थान की कांग्रेस सरकार निर्दोष मोनू मानेसर को फंसाना चाहती है. वे गो तस्करों को गिरफ्तार नहीं करना चाहते हैं, इसलिए वे मोनू और अन्य बेगुनाहों को पकड़ना चाहते हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम चाहते हैं कि सीबीआई इस मामले की जांच करे. हमें राजस्थान सरकार पर भरोसा नहीं है.

उन्होंने आगे कहा,’जब तक केंद्र हस्तक्षेप नहीं करता तब तक हम पंचायतों और रैलियों का आह्वान करते रहेंगे क्योंकि मोनू और अन्य केवल गोरक्षक हैं.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार,  पटौदी के गोरक्षा दल के एक सदस्य नीलम इस महापंचायत में कहते दिखे, ‘अगर राजस्थान पुलिस मोनू को गिरफ्तार करने आई, तो अपने पैरों पर वापस नहीं जाएगी. अगर मोनू गिरफ्तार हुआ तो हम हाईवे जाम कर देंगे, गिरफ्तारियां देंगे, जेल छोटी पड़ जाएंगी.

इस बीच नूंह से कांग्रेस के विधायक आफताब अहमद ने पीड़ित जुनैद और नासिर के गांव घाटमीका में उनके परिवार से मुलाकात करने के बाद कहा कि वे इस मुद्दे को हरियाणा विधानसभा के मौजूदा सत्र में उठाएंगे और मोनू मानेसर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे.

उन्होंने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि इस घटना से हरियाणा सरकार अपना दामन छुड़ाने की कोशिश कर रही है. पुलिस प्रशासन पर भी इस घटनाक्रम में गलत भूमिका के सख्त व संगीन आरोप लग रहे हैं. मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों पर सख्त कानूनी कारवाई हो.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, हरियाणा पुलिस द्वारा राजस्थान पुलिस के 30-40 कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. नूंह में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ’30-40 लोग राजस्थान पुलिस की वर्दी और सादे पोशाक में शिकायतकर्ता दुलारी के घर में घुस गए और घर की महिलाओं के साथ मारपीट की.’

गो रक्षक दल के सदस्य श्रीकांत पंडित के परिवार ने आरोप लगाया था कि राजस्थान के पुलिसकर्मी 17 फरवरी को उनके घर में घुस आए और कमलेश पंडित को मारा, जो उस समय नौ महीने की गर्भवती थी, जिससे उनका गर्भपात हो गया. राजस्थान पुलिस ने आरोपों से किया इनकार है.

श्रीकांत पंडित की मां दुलारी देवी ने कहा कि 17 फरवरी को तड़के 3.30 बजे राजस्थान पुलिस के 30 से 40 जवानों ने मरोदा गांव में उनके घर में घुसकर उनकी बहू के साथ मारपीट की. देवी ने कहा, ‘कमलेश नौ माह की गर्भवती थी. हमने पुलिस से गुहार लगाई, जिनमें से कुछ सादे कपड़ों में थे. उन्होंने हमें गालियां दीं, हमारे साथ मारपीट की और हमारे दो बेटों को अपने साथ ले गए.’

बताया गया है कि पुलिस जब परिवार से मिलने गई तो श्रीकांत पंडित घर पर नहीं थे. देवी के बेटे- विष्णु और राहुल पुलिस पूछताछ के बाद वापस घर लौट आए थे.

पुलिस ने हरियाणा के नगीना थाने में धारा 312 (गर्भपात करना), 148 (दंगा), 149 (गैरकानूनी तरह से जमा होना), 323 (हमला), 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना) और 452 (घर में जबरन घुसना) के तहत मामला दर्ज किया है.

हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले का संज्ञान लिया और उन्हें कार्रवाई करने के लिए लिखा था.

मालूम हो कि राजस्थान के घाटमीका गांव के दो निवासी- जुनैद और नासिर 14 फरवरी की सुबह अपने एक रिश्तेदार से मिलने के लिए बोलेरो कार से घर से निकले थे और कभी नहीं लौटे. परिवारों ने आरोप लगाया कि बजरंग दल के सदस्यों ने जुनैद और नासिर की हत्या कर दी और पुलिस से संपर्क किया. हरियाणा के भिवानी में दोनों के जले हुए शव  एक गाड़ी में मिले थे.

जुनैद के चचेरे भाई इस्माइल की शिकायत के आधार पर राजस्थान के भरतपुर में इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. मृतकों के परिजनों ने अपनी शिकायत में कहा था कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दोनों का भरतपुर से अपहरण किया. इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल और गोरक्षा दल के मोनू मानेसर समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

इससे पहले मामले के आरोपियों में से तीन के हरियाणा पुलिस के मुखबिर होने की बात सामने आई है. वहीं, मोनू मानेसर हरियाणा सरकार की गो सुरक्षा टास्क फोर्स का भी सदस्य है.

द प्रिंट के अनुसार, मानेसर के बाबा भीष्म मंदिर में मंगलवार को मोनू के समर्थन में हुई महापंचायत के बाद पटौदी के सहायक पुलिस आयुक्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा गया. इसमें राजस्थान पुलिस द्वारा मोनू मानेसर के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई.

ज्ञापन में कहा गया है कि मोनू और उसके परिवार के किसी तरह के जान-माल के नुकसान की स्थिति में सरकार एवं जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा.

खबर के मुताबिक, एक हिंदू संगठन के नेता अधिवक्ता कुलभूषण भारद्वाज ने कहा,  ‘गुड़गांव पुलिस को आश्वस्त करना चाहिए कि मोनू मानेसर के परिवार को छुआ नहीं जाएगा. बिना पूर्व सूचना के कोई भी पुलिस वाला उनके घर नहीं जाएगा, अन्यथा वे जीवित नहीं लौटेंगे.’

महापंचायत के वक्ताओं ने दावा किया कि बजरंग दल के नेता और स्वघोषित गोरक्षा दल के सदस्य मानेसर के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है और राजस्थान पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है.

उन्होंने आरोप लगाया कि एफआईआर साजिशन दर्ज की गई थी और 24 घंटे के इसे रद्द करने की मांग की. उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोनू मानेसर फरार नहीं है और जब भी प्रशासन बुलाएगा वह हाजिर हो जाएगा.

न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के नौसर, महापंचायत में शामिल बजरंग दल और विहिप कार्यकताओं ने नेशनल हाइवे-48 भ्ही जाम किया था. महापंचायत में यह भी ऐलान किया गया कि 10-10 लोगों की टीम मोनू मानेसर के घर के बाहर तैनात की जाएगी.

आज तक के अनुसार, महापंचायत की धमकी के बाद राजस्थान पुलिस के एसीपी हरिंदर कुमार ने इस चैनल से बातचीत में कहा कि अगर जरूरी हुआ तो पुलिस निश्चित रूप से गांव में दाखिल होगी.