अडानी समूह में एलआईसी का निवेश ‘नकारात्मक’ स्थिति में पहुंचा: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के बाद बीते 22 फरवरी तक एलआईसी, अडानी समूह के अपने निवेश में 94 करोड़ रुपये के लाभ में था, लेकिन 23 फरवरी को दोपहर तक वह 500 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के बाद बीते 22 फरवरी तक एलआईसी, अडानी समूह के अपने निवेश में 94 करोड़ रुपये के लाभ में था, लेकिन 23 फरवरी को दोपहर तक वह 500 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया था.

दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी परिसर. (फोटो साभार: फ्लिकर)

नई दिल्ली: बीते बृहस्पतिवार (23 फरवरी) को बाजार बंद होने पर अडानी समूह के शेयर की कीमतों में गिरावट यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त थी कि भारत का सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का निवेश अडानी की कंपनियों में नकारात्मक हो गया है.

समाचार चैनल सीएनबीसीटीवी18 ने अपनी गणना के अनुसार बताया है, ‘अडानी कंपनियों में एलआईसी होल्डिंग की निधि 500 करोड़ रुपये और घट गई है.’

नेटवर्क ने दावा किया कि बुधवार (22 फरवरी) तक एलआईसी अडानी समूह के अपने निवेश में 94 करोड़ रुपये के लाभ में था, लेकिन बृहस्पतिवार दोपहर तक वह 500 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया.

बिजनेस टुडे ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अडानी स्टॉक में हालिया बिकवाली के बीच एलआईसी को ‘49,728 करोड़ रुपये का भारी नुकसान’ हुआ है. इसमें कहा गया है कि ‘अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स एवं स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में एलआईसी के निवेश का बाजार मूल्य 23 फरवरी 2023 को करीब 33,242 करोड़ रुपये गिर गया, यह 30 दिसंबर 2022 को करीब 82,970 करोड़ रुपये था.’

इसकी हानि की गणना 31 दिसंबर 2022 को समाप्त हुई तिमाही के लिए उपलब्ध नवीनतम शेयर होल्डिंग डेटा पर आधारित है.

इस बीच द हिंदू बिजनेस लाइन ने कहा कि कुछ महीने पहले तक ऐसा प्रतीत होता था कि अडानी समूह के शेयरों में निवेश के मामले में एलआईसी अपने समकक्षों की तुलना में अधिक समझदार था, लेकिन लाभ ‘करीब-करीब अब खत्म’ हो गया है. अखबार ने कहा है कि अडानी टोटल गैस और अडानी एंटरप्राइजेज का कुल लाभ में कमी में सबसे बड़ा योगदान रहा है.

इसमें कहा गया है कि एलआईसी और अन्य निवेशकों के लिए चुनौती यह है कि इस बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को अडानी समूह के शेयरों में अस्थिरता के आधार पर निवेश करना पड़ सकता है – या तो वे वर्तमान होल्डिंग में जोड़ सकते हैं या बेच सकते हैं. अगर वे बेचने का विकल्प चुनते हैं तो यह अडानी समूह के शेयरों पर और अधिक दबाव डाल सकता है और वर्तमान रुझानों में दबाव बढ़ सकता है.

बीते 30 जनवरी को एलआईसी ने अपने पोर्टफोलियो में अडानी के शेयरों को लेकर मचे हो-हल्ले पर कहा था कि ‘अडानी समूह की कंपनियों में 31 दिसंबर 2022 तक इक्विटी और कर्ज के तहत इसकी कुल होल्डिंग 35,917.31 करोड़ रुपये’ थी.

पिछले महीने एलआईसी ने दावा किया था कि 27 जनवरी 2023 को बाजार बंद होने पर निवेश का बाजार मूल्य 56,142 करोड़ रुपये था, जो निवेश को लाभदायक बना रहा था.

एलआईसी ने कहा था कि एलआईसी द्वारा प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति 30 सितंबर 2022 तक 41.66 लाख करोड़ रुपये थी और अडानी समूह में एलआईसी का जोखिम 0.975 फीसदी जितना कम था.

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा आरोप लगाए जाने से भी पहले अडानी समूह के शेयर खरीदने का एलआईसी का फैसला बहस का विषय था, क्योंकि इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने ‘अत्यधिक कर्ज’ वाले अडानी समूह में निवेश करना चुना था.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अडानी के शेयरों में बड़े पैमाने पर बिकवाली देखी गई. वहीं, अडानी समूह ने अपनी सफाई में 413 पृष्ठ की एक रिपोर्ट पेश करते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.

वहीं, 8 फरवरी को एलआईसी के अध्यक्ष एमआर कुमार ने कहा था कि वह अडानी समूह में कंपनी के निवेश की समीक्षा करेंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार संचालित यह बीमा कंपनी अडानी समूह के प्रबंधन से पूछेगी कि बाजार में क्या हो रहा है और ‘क्या वह इस पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं.’

एलआईसी के अध्यक्ष ने कहा था कि हमें उन्हें कभी यह जानने के लिए बुलाएंगे कि वे क्या करने की योजना बना रहे हैं और वे सारी चीजों का प्रबंधन कैसे करेंगे.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.