ऐसे किसी भी शासन के ख़िलाफ़ खड़ा होना चाहिए, जो पत्रकारों की आवाज़ दबाता है: मीडिया संगठन

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और एक लॉ फर्म के सहयोग से भारतीय पत्रकारों के लिए ‘अपने अधिकार जानें’ नामक मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें पत्रकारों को भारतीय क़ानून के तहत उपलब्ध अधिकारों और सुरक्षा उपायों की जानकारी प्रदान की गई है.

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(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और एक लॉ फर्म के सहयोग से भारतीय पत्रकारों के लिए ‘अपने अधिकार जानें’ नामक मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें पत्रकारों को भारतीय क़ानून के तहत उपलब्ध अधिकारों और सुरक्षा उपायों की जानकारी प्रदान की गई है.

इलस्ट्रेशन: विकिमीडिया कॉमंस

नई दिल्ली: पत्रकारों में भारतीय कानूनों के तहत उन्हें उपलब्ध अधिकारों और सुरक्षा उपायों के प्रति कामकाजी समझ बढ़ाने और उनके अधिकार क्या हैं, जैसे सवालों संबोधित करती एक मार्गदर्शिका का लोकार्पण राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में शनिवार को किया गया.

इन दौरान इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, डिजिटल पत्रकार डिफेंस क्लीनिक, नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया (इंडिया) एवं डिजीपब समेत राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न पत्रकार निकायों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की वैश्विक नि:शुल्क सेवा ‘ट्रस्टलॉ’ और एक लॉ फर्म ‘शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी’ के सहयोग से पत्रकारों के लिए यह विधिक मार्गदर्शिका ‘सीपीजे ट्रस्ट लॉ अपने अधिकारों को जानें’ जारी की है, जो भारत में कार्यरत पत्रकारों को उनके अधिकारों के बारे में बताती है.

इसे दो भाषाओं -हिंदी और अंग्रेजी- में जारी किया गया है.

जिन कुछ बिंदुओं पर इस 24 पृष्ठीय मार्गदर्शिका में जोर दिया गया है, वे इस प्रकार हैं:

भारत में एक पत्रकार के अधिकार क्या हैं? आपराधिक कार्रवाई का सामना करने पर पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करते हैं? एसएलएपीपी सूट (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमा) के मामले में एक पत्रकार क्या कर सकता है? ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करने पर एक पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करता है?

ऐसे प्रश्नों समेत मार्गदर्शिका में और भी काफी कुछ है. सीपीजे के मुताबिक, 35 से अधिक पत्रकारों को कैद किया गया है और वर्ष 2010 के बाद से 31 पत्रकारों को मार दिया गया है.

लोकार्पण समारोह में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने कहा, ‘पत्रकारिता और बोलने की आजादी खतरे में है. हमें ऐसे किसी भी शासन के खिलाफ खड़ा होना चाहिए, जो पत्रकारों की आवाज और उनके मौलिक अधिकारों को दबाती है.’

एशिया के लिए थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की कानूनी कार्यक्रम प्रबंधक जोनिता ब्रिटो मेनन ने कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना ऐसे समय में महत्वपूर्ण है, जब गलत सूचना समाज को परेशान कर रही है. हमें अधिक उपकरण और संसाधन विकसित करने की जरूरत है, जिनका उपयोग मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किया जा सकता है. यह मार्गदर्शिका उसी दिशा में एक कदम है.’

इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स की कोषाध्यक्ष अंजू ग्रोवर ने कहा, ‘ऐसे मामले हैं, जहां अधिकारियों ने पत्रकारों के खिलाफ कानून का इस्तेमाल करने की कोशिश की है. बड़ी कंपनियों द्वारा पत्रकारों को डराने-धमकाने की रणनीति का और भी ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. महिला पत्रकारों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार भी एक बड़ी चिंता का विषय है.’

डिजीपब के महासचिव अभिनंदन सेखरी ने कहा कि पत्रकारों के पास एक विश्वसनीय कानूनी स्रोत और सलाहकार होना चाहिए, जो उनकी अनुपस्थिति में भी निर्णय ले सके.

साथ ही उन्होंने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ दर्ज अधिकांश मामलों का उद्देश्य उन्हें दिवालियपन की ओर धकेलना होता है. इसलिए स्वतंत्र पत्रकारों के लिए एक कानूनी कोष का निर्माण करना महत्वपूर्ण हो जाता है.

नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया (इंडिया) की नेहा दीक्षित ने स्वतंत्र पत्रकारों की सहायता पर जोर देते हुए कहा, ‘स्वतंत्र पत्रकारों और उनके परिवारों को नैतिक एवं सामुदायिक समर्थन देने के लिए बयान जारी करना और पत्रकारों के खिलाफ मामलों का संज्ञान लेना जरूरी है.’