एक और हत्या के बाद कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से ट्रांसफर करने की मांग दोहराई

बीते सोमवार को प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले प्रदर्शनकारी जम्मू में राहत आयुक्त के कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और 26 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन इलाके में कश्मीरी पंडित संजय कुमार शर्मा की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया.

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कश्मीर में तैनात कर्मचारियों का उन्हें जम्मू भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

बीते सोमवार को प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले प्रदर्शनकारी जम्मू में राहत आयुक्त के कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और 26 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन इलाके में कश्मीरी पंडित संजय कुमार शर्मा की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया.

कश्मीर में तैनात कर्मचारियों का उन्हें जम्मू भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू: प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने सोमवार को घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की अपनी मांग को दोहराया और कहा कि पुलवामा में समुदाय के एक सदस्य की ताजा हत्या से उनका सबसे बुरा डर सच हो गया है.

प्रदर्शनकारी जम्मू में राहत आयुक्त के कार्यालय के बाहर इकट्ठे हुए और रविवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के अचन इलाके में आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर बैंक के एटीएम गार्ड 45 वर्षीय संजय कुमार शर्मा की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एक प्रदर्शनकारियों ने योगेश पंडिता ने कहा, ‘हम इस तरह के घटनाओं के बारे में आशंकित थे, जमीनी हकीकत से पूरी तरह वाकिफ थे. ताजा हत्या ने हमारे आत्मविश्वास को गहरा झटका दिया है और घाटी में हमारे समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर हमारी चिंता को और बढ़ा दिया है.’

घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की उनकी मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ड्यूटी पर लौटने के लिए सुरक्षित माहौल का सरकार का दावा बेनकाब हो गया है.

पंडिता ने कहा, ‘प्रशासन ने हमारे वेतन को रोककर हमें अपने कर्तव्यों पर फिर से काम करने के लिए मजबूर करने के लिए आर्थिक रूप से दबाव डाल रहा है. हम लगातार निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं को देखते हुए वहां काम करने से डरते हैं.’

प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के सैकड़ों कर्मचारी पिछले साल मई को आतंकवादियों द्वारा अपने सहयोगियों राहुल भट और रजनी बाला की हत्या के बाद जम्मू चले गए थे.

भट की 12 मई 2022 को मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में उनके कार्यालय के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि स्कूल शिक्षक बाला की पिछले साल 31 मई 2022 को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

एक अन्य प्रदर्शनकारी रूबन सप्रू ने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के नेतृत्व वाले केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को घाटी में अपने कर्तव्यों को फिर से निभाने के लिए मजबूर करने के बजाय उनसे बातचीत करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद कि उसने समुदाय की सुरक्षा के लिए एक योजना तैयार की है, एक और कश्मीरी पंडित ने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. हम उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में प्रशासन के प्रयासों को स्वीकार करते हैं, लेकिन जरूरत हमारे डगमगाए विश्वास और भरोसे को बहाल करने की है.’

सप्रू ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से संजय कुमार शर्मा की हत्या के बाद उन्हें घाटी में अपनी नौकरी फिर से शुरू करने के लिए मजबूर नहीं करने और कहीं और ट्रांसफर करने की उनकी मांग को स्वीकार करने की अपील की.

एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम अपनी ड्यूटी तभी कर सकते हैं, जब हम जीवित हों. सरकार जम्मू में भी हमारी सेवाओं का उपयोग कर सकती है.’ उन्होंने कहा कि वे घाटी में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं.

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना डोगरा फ्रंट और राष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इन हत्याओं के खिलाफ अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किया और कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की मांग की.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की माइग्रेंट इकाई ने भी संजय कुमार शर्मा की हत्या की निंदा की और निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं को समाप्त करने की मांग की.

इसने एक बयान में कहा, ‘अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की लक्षित हत्याओं के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.’

बता दें कि पिछले कुछ समय से आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर लगातार की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killings) के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं.

मई 2022 में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले लगभग छह महीनों में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित तबादले की मांग को लेकर जम्मू में पुनर्वास आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने कहा था कि कश्मीर घाटी में साल 2020 से अब तक 9 कश्मीरी पंडित मारे गए हैं, जिनमें से एक कश्मीरी राजपूत समुदाय से थे.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 के बाद से कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के लगभग दो दर्जन सदस्य मारे गए हैं. इनमें से तीन कश्मीरी पंडित सहित कम से कम 14 लोगों की पिछले साल आतंकियों द्वारा हत्या की गई है.

सितंबर 2022 में सरकार ने संसद को सूचित किया था कि जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे.

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