छात्रा तेलंगाना के वारंगल स्थित काकतीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही थीं. उनकी पहचान 26 वर्षीय डॉ. धारावत प्रीति के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि आत्महत्या से पहले उन्होंने खुद को एक इंजेक्शन लगाया था, जिसके बाद उनका इलाज हैदराबाद के निज़ाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में चल रहा था.
नई दिल्ली: कथित तौर पर वरिष्ठ साथियों की रैगिंग से परेशान होकर पांच दिन पहले जान देने की कोशिश करने वाली एक पोस्ट ग्रेजुएट प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा की बीते रविवार (26 फरवरी) देर रात तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में मौत हो गई.
छात्रा राज्य के वारंगल स्थित काकतीय मेडिकल कॉलेज (केएमसी) में पढ़ रही थीं. उनकी पहचान 26 वर्षीय धारावत प्रीति के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि आत्महत्या से पहले उन्होंने खुद को एक इंजेक्शन लगाया था.
तेलंगाना टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को हैदराबाद स्थित निजाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस/निम्स) के बाहर उस वक्त तनाव व्याप्त हो गया, जब बीते पांच दिनों से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहीं धारावत प्रीति ने दम तोड़ दिया.
किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, क्योंकि छात्रा के परिवार के लिए न्याय की मांग को लेकर अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे.
कुछ छात्र समूहों ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए गांधी मेडिकल अस्पताल ले जाने से रोकने की कोशिश की थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार ने शव को निम्स, हैदराबाद से पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाने और फिर अंतिम संस्कार के लिए अपने पैतृक गांव ले जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
कई लंबाडा आदिवासी संगठनों ने हैदराबाद में निम्स और वारंगल में काकतीय मेडिकल कॉलेज और एमजीएम अस्पताल के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया.
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सत्यनारायण द्वारा जारी एक बुलेटिन में कहा गया, ‘विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा लगातार प्रयासों के बावजूद मेडिकल छात्रा डॉ. धारावत प्रीति को बचाया नहीं जा सका और उन्हें 26 फरवरी, 2023 की रात 9:10 बजे मृत घोषित कर दिया गया.’
रिपोर्ट के अनुसार, बीते 23 फरवरी की रात डॉ. प्रीति को उनके छात्रावास में बेहोशी की हालत में पाए जाने के बाद वारंगल से हैदराबाद ले जाया गया था. उस रात एमजीएम अस्पताल में ड्यूटी पर रहीं प्रीति सिरदर्द और पेट दर्द की शिकायत के बाद वापस हॉस्टल लौट गई थीं.
स्थानीय तेलुगू समाचार पोर्टल्स ने बताया कि मृतक जूनियर डॉक्टर ने आत्महत्या का कदम उठाने से पहले अपनी मां को फोन पर बताया था कि दूसरे वर्ष के पोस्ट-ग्रेजुएट छात्र मोहम्मद अली सैफ द्वारा अन्य वरिष्ठों के साथ उन्हें परेशान किया जा रहा था.
उन्होंने अपनी मां को यह भी बताया था कि उत्पीड़न के खिलाफ उनके पिता द्वारा पुलिस में सैफ की शिकायत के बाद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकी थी. जूनियर डॉक्टर ने फोन पर यह भी जानकारी दी थी कि जब उन्होंने इस संबंध में प्रिसिंपल से शिकायत की तो उनके विभाग प्रमुख नागार्जुन रेड्डी ने उनसे चर्चा करने के बजाय मामले को उनके (प्रिंसिपल) संज्ञान में लाने के लिए उनकी (डॉ. प्रीति) खिंचाई की थी.
उनके इस फोन कॉल का ऑडियो इंटरनेट पर सामने आया है.
डॉ. प्रीति के पिता की शिकायत और फोन कॉल के लीक हुए ऑडियो क्लिप के आधार पर वारंगल पुलिस ने डॉ. सैफ को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बीते शुक्रवार (24 फरवरी) को गिरफ्तार किया है. साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में रैगिंग और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम से संबंधित धाराएं भी लगाई गई हैं.
डॉ. प्रीति बंजारा-लंबाडा समुदाय से हैं, जिसे तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
दक्षिण मध्य रेलवे के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत प्रीति के पिता डी. नरेंद्र ने कहा कि उनके समुदाय की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना दुर्लभ रहा है और उनकी बेटी हमेशा एक मेहनती छात्रा रही थीं.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने नरेंद्र के हवाले से कहा, ‘जब उसे कुछ साल पहले एमबीबीएस की सीट मिली, तो यह हमारे परिवार के लिए एक सपने के सच होने जैसा था. हमारे बंजारा-लंबाडा समुदाय में ऐसे बहुत कम बच्चे हैं और निश्चित रूप से हमारे परिवार में ऐसा कोई नहीं है, जो शिक्षा के उस स्तर तक पहुंचा है. ज्यादातर लड़कियां इतना बड़ा सपना भी नहीं देखती हैं, लेकिन प्रीति हमेशा से अपना लक्ष्य ऊंचा रखती थी. मैंने केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. मैंने और मेरी पत्नी ने अपने बच्चों को सब कुछ देने के लिए बहुत मेहनत की है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नलगोंडा के कामिनेनी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाली प्रीति ने केएमसी में पीजी सीट हासिल की थी और पिछले साल 20 नवंबर को ड्यूटी जॉइन की थी.
वारंगल के पुलिस कमिश्नर एवी रंगनाथ ने एनडीटीवी को बताया कि मेडिकल छात्रा और आरोपी के बीच हुए वॉट्सऐप चैट रैगिंग की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने कहा कि टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट आने के बाद आगे की जांच की जाएगी.
इस मुद्दे का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग ने तेलंगाना सरकार, एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक, प्रिंसिपल और एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के प्रमुख को नोटिस जारी किया.
इस बीच राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने अस्पताल में प्रीति से मुलाकात की थी. परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई है.
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