केरल: ड्रग तस्करी केस में लड़की के इंटरव्यू के संबंध में पुलिस ने एशियानेट चैनल की तलाशी ली

यह तलाशी अभियान एक विधायक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित था. आरोप है कि एशियानेट समाचार चैनल द्वारा एक स्कूली छात्रा का साक्षात्कार, जिसे कथित तौर पर ड्रग कूरियर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था, फ़र्ज़ी ख़बर थी.

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बीते रविवार को केरल के कोझिकोड स्थित एशियानेट समाचार चैनल के दफ्तर में पुलिस ने तलाशी ली. (फोटो साभार: ट्विटर/@AsianetNewsML)

यह तलाशी अभियान एक विधायक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित था. आरोप है कि एशियानेट समाचार चैनल द्वारा एक स्कूली छात्रा का साक्षात्कार, जिसे कथित तौर पर ड्रग कूरियर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था, फ़र्ज़ी ख़बर थी.

बीते रविवार को केरल के कोझिकोड स्थित एशियानेट समाचार चैनल के दफ्तर में पुलिस ने तलाशी ली. (फोटो साभार: ट्विटर/@AsianetNewsML)

नई दिल्ली: केरल के कोझिकोड में राज्य पुलिस ने रविवार को मलयालम समाचार चैनल एशियानेट न्यूज के कार्यालय में तलाशी ली.

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस द्वारा दर्ज किया गया मामला एक राजनेता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चैनल द्वारा एक स्कूली छात्रा का साक्षात्कार, जिसे कथित तौर पर ड्रग कूरियर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था, फर्जी खबर थी.

द​ हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सहायक पुलिस आयुक्त पीवी सुरेश (जिला अपराध शाखा) के नेतृत्व में आठ पुलिसकर्मियों के दल ने रविवार को कोझिकोड में एशियानेट न्यूज चैनल के क्षेत्रीय कार्यालय की तलाशी ली.

यह तलाशी उत्तर केरल की एक लड़की के कथित ‘फर्जी’ साक्षात्कार के प्रसारण की जांच के संबंध में ली गई, जिसे कथित तौर पर नशीली दवाओं और यौन उत्पीड़न की शिकार के रूप में प्रस्तुत किया गया था.

समाचार चैनल के खिलाफ वेल्लयिल पुलिस स्टेशन में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) और भारतीय दंड संहिता आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज होने के बाद घंटों तक चली तलाशी ने रिपोर्टिंग टीम के कामकाज को बाधित किया.

चैनल के कार्यकारी संपादक सिंधु सूर्यकुमार, रेजिडेंट एडिटर शाहजहां और रिपोर्टर नौफल बिन यूसुफ उन लोगों में शामिल हैं, जिन पर झूठे दस्तावेज बनाने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.

आईटी विशेषज्ञों के साथ पुलिस दस्ते ने चैनल के स्टूडियो में रखी लगभग सभी फाइलों और फोल्डरों को खंगाला. कानूनी प्रक्रियाओं की देखरेख के लिए राजस्व विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.

हालांकि समाचार स्टूडियो में संपादन कार्य को व्यापक विरोध का सामना करते हुए बाधित किया गया था. चैनल ने अंत तक जांच के लाइव दृश्यों को प्रसारित करना जारी रखा.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘कोई दस्तावेज नहीं लिया गया है.’

इस घटना से दो-तीन दिन पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से संबद्ध छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ता समाचार चैनल के कोच्चि कार्यालय में कथित रूप से घुसकर कर्मचारियों को धमकी दी थी.

पुलिस तलाशी के बाद ‘एशियानेट न्यूज’ ने ट्वीट किया, ‘एसएफआई की अराजकता के कुछ दिन बाद पुलिस ने एशियानेट के कोझिकोड कार्यालय में तलाशी ली. इस पर ध्यान दिए बगैर एशियानेट अपने ध्येय वाक्य: सटीक… बेबाक… बेधड़क… खबरें देता रहेगा.’

तलाशी के दौरान मौके पर मौजूद पत्रकारों ने कहा कि कथित विवाद से संबंधित वीडियो के अलावा कंप्यूटर से सभी मीडिया फाइलों को खोलने का प्रयास काफी संदिग्ध कदम था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लंबे समय तक जांच ने न्यूज रूम के कामकाज को प्रभावित किया.

इस बीच, पुलिस सूत्रों ने कहा कि जांच विधायक पीवी अनवर द्वारा दायर शिकायत से संबंधित संदिग्ध वीडियो फुटेज को पुनर्प्राप्त करने के लिए शुरू की गई नियमित प्रक्रियाओं का हिस्सा थी.

इस बीच, पुलिस सूत्रों ने कहा कि जांच विधायक पीवी अनवर द्वारा दायर शिकायत से संबंधित संदिग्ध वीडियो फुटेज को पुनर्प्राप्त करने के लिए शुरू की गई नियमित प्रक्रियाओं का हिस्सा थी.

उन्होंने यह भी दावा किया कि चैनल द्वारा उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के हिस्से के रूप में पूरी कानूनी प्रक्रिया के लाइव प्रसारण को बाधित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

बहरहाल इस तलाशी की प्रदेश में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निंदा की है और इसे ‘असहिष्णुता का प्रतीक’ और ‘फासीवादी सोच’ करार दिया.

कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा कि पुलिस कार्रवाई ‘विरोध, आलोचना या सत्ता में बैठे लोगों से प्रश्न पूछने के खिलाफ असहिष्णुता का संकेत है’ और यह राज्य में बढ़ रहा है.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि एशियानेट कार्यालय की तलाशी मीडिया के प्रति राज्य सरकार की ‘फासीवाद सोच का उदाहरण’ है.

पत्रकार संगठनों ने घटना की निंदा की

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) के जिलास्तरीय पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस की कार्रवाई काफी संदिग्ध थी और इसने फासीवादी तरीके से मीडिया की स्वतंत्रता को चुनौती दी.

संगठन के जिलाध्यक्ष एम. फिरोज खान और सचिव पीएस रागेश ने कहा कि पुलिस ने प्रतिशोध के साथ समाचार चैनल के आसपास डरावना माहौल बनाने की कोशिश की और इस तरह की जल्दबाजी के कारणों की जांच की जानी चाहिए.

केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की.

इस बीच कोच्चि स्थित एशियानेट न्यूज के कार्यालय में एसएफआई के कार्यकर्ताओं के एक समूह के कथित रूप से घुसने और खबरों को लेकर चैनल स्टाफ को धमकाने की घटना की कई पत्रकार संगठनों ने निंदा की. संगठनों ने इसे मीडिया तथा पत्रकारों पर बढ़ते हमले का एक और उदाहरण करार दिया.

भारतीय प्रेस क्लब, इंडियन विमेंस प्रेस कोर, दिल्ली पत्रकार संघ और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने संयुक्त बयान में कहा, ‘मीडिया के कार्यालयों में घुसना ‘अवैध’ है और इसे प्रेस की आजादी पर हमला माना जाना चाहिए. हमें उम्मीद है कि केरल सरकार एशियानेट पर हमला करने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगी.’

केरल पुलिस के अनुसार, एक लड़की के साक्षात्कार को लेकर एसएफआई के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बीते शुक्रवार 3 मार्च को कोच्चि में मलयालम समाचार चैनल एशियानेट न्यूज के कार्यालय में कथित रूप से अनाधिकृत प्रवेश कर कर्मचारियों को धमकाया था.

इस संबंध में चैनल की ओर से की गई शिकायत पर एसएफआई के 30 कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

पत्रकार संगठनों ने कहा, ‘इस तरह के कार्यक्रम को नकली समाचार बताना, यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की पहचान की रक्षा के लिए समाचार संगठनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पेशेवर तरीकों के प्रति अज्ञानता को दर्शाता है.’