गुजरात विधानसभा में 2002 दंगों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री के लिए बीबीसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

गुजरात विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के दौरान भाजपा विधायक विपुल पटेल ने कहा कि बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक वाली विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री विश्व स्तर पर भारत की छवि को ख़राब करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास के तहत 2002 की घटनाओं को ग़लत तरीके से प्रस्तुत करती है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/SFI)

गुजरात विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के दौरान भाजपा विधायक विपुल पटेल ने कहा कि बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक वाली विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री विश्व स्तर पर भारत की छवि को ख़राब करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास के तहत 2002 की घटनाओं को ग़लत तरीके से प्रस्तुत करती है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/SFI)

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा ने बीते शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से अनुरोध किया है कि वह 2002 के गुजरात दंगों पर अपनी डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने के लिए बीबीसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विपुल पटेल ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक वाली दो भाग की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री विश्व स्तर पर भारत की छवि को खराब करने के दुर्भावनापूर्ण और निम्नस्तरीय प्रयास के तहत 2002 की घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है.

पटेल ने विधानसभा में कहा, ‘अगर कोई इस तरह (बीबीसी) व्यवहार या कार्य करता है, तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. बीबीसी अपनी विश्वसनीयता खो रहा है और भारत और भारत सरकार के खिलाफ कुछ छिपे हुए एजेंडे के साथ काम कर रहा है. इसलिए यह सदन केंद्र सरकार से अनुरोध करता है कि वह बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में दिखाए गए निष्कर्षों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे.’

पटेल के प्रस्ताव का भाजपा विधायक मनीषा वकील, अमित ठाकर, धवलसिंह जाला और मंत्री हर्ष सांघवी ने समर्थन किया.

दिन में पहले सदन से निकाले गए कांग्रेस विधायकों की अनुपस्थिति में इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.

सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी ने कहा कि बीबीसी का प्रयास ‘निंदनीय’ है और इसकी ‘जोरदार निंदा’ की जाती है. सदन ने केंद्र को अपना संदेश भेजने के लिए प्रस्ताव पारित किया.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा, ‘यह डॉक्यूमेंट्री सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नहीं, बल्कि देश के 135 करोड़ नागरिकों के खिलाफ थी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया, विकास को अपना हथियार बनाकर देश विरोधी तत्वों को करारा जवाब दिया. उन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर लाने के लिए कड़ी मेहनत की है.’

इस डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगों के कुछ पहलुओं की जांच करने का दावा किया गया है, जो गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद हुआ था, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

मालूम हो कि बीते जनवरी माह में बीबीसी ने ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री जारी की थी. इसमें बताया गया था कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई है. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड, केंद्र में मोदी के सत्ता में आने के बाद – विशेष तौर पर 2019 में उनके दोबारा सत्ता में आने के बाद – मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उनकी सरकार द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों की बात करता है. इसमें मोदी को ‘बेहद विभाजनकारी’ बताया गया है.

इसके तुरंत बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, वहीं विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज कर कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.

हालांकि बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री के साथ खड़ा रहा और उसका कहना था कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है. चैनल ने यह भी कहा था कि उसने भारत सरकार से इस पर जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

देश के विभिन्न राज्यों के कैंपसों में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद भी हुआ था.

इतना ही नहीं इसी कड़ी में बीते फरवरी माह में बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित कार्यालयों पर आयकर विभाग द्वारा सर्वे की कार्रवाई की गई थी. इस पर बीबीसी ने एक बयान जारी कर हर सवाल का उचित जवाब देने की बात कही थी.