केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता फ़ौज़िया ख़ान के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों का ब्योरा मांगा था और सरकार से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे क़दमों पर प्रकाश डालने का आग्रह किया था.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को संसद को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों (2017 से 2021) में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के लगभग 98 लाख मामले दर्ज किए हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता फौजिया खान के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में ब्योरा मांगा था और सरकार से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर प्रकाश डालने का आग्रह किया था.
सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 2,81,578 केस (मुकदमे के लिए भेजे गए), 31,975 केस (दोषिसिद्धि संबंधी) और 13,15,839 केस (वर्ष के अंत में विचाराधीन रहे) दर्ज किए गए.
इसी तरह साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 2,83,739 केस (मुकदमे के लिए भेजे गए), 29,856 केस (दोषिसिद्धि संबंधी) और 14,50,536 केस (वर्ष के अंत में विचाराधीन रहे) सामने आए थे.
साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 2,95,579 केस (मुकदमे के लिए भेजे गए), 30,968 केस (दोषिसिद्धि संबंधी) और 15,82,313 केस (वर्ष के अंत में विचाराधीन रहे) रहे.
साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 2,91,303 केस (मुकदमे के लिए भेजे गए), 21,551 केस (दोषिसिद्धि संबंधी) और 17,89,601 केस (वर्ष के अंत में विचाराधीन रहे) रजिस्टर किए गए थे.
साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 3,32,083 केस (मुकदमे के लिए भेजे गए), 23,243 केस (दोषिसिद्धि संबंधी) और 20,15,427 केस (वर्ष के अंत में विचाराधीन रहे) रिकॉर्ड किए गए.
इस तरह से इन पांच सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 97,75,595 मामले दर्ज किए गए हैं.
अपने जवाब में केंद्रीय मंत्री मिश्रा ने बताया, ‘आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 में 2 महीने में बलात्कार के मामलों में जांच पूरी करने और आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिया गया है और ट्रायल भी 2 महीने (धारा 173 CrPC) में पूरा किया जाना है.’
उन्होंने बताया, ‘गृह मंत्रालय ने देश भर में यौन अपराधियों की जांच और ट्रैकिंग की सुविधा के लिए 20 सितंबर, 2018 को ‘यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डाटाबेस’ (एनडीएसओ) लॉन्च किया है. इसके अलावा आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अनुसार यौन उत्पीड़न के मामलों में समयबद्ध जांच की निगरानी और ट्रैक करने के लिए एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक टूल ‘यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम’ भी लॉन्च किया है.’
मिश्रा ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय और राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में डीएनए विश्लेषण इकाइयों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण इकाई की स्थापना शामिल है.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 389 यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अदालतों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना के लिए एक योजना केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत आने वाले पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी. 31 जनवरी, 2023 तक, 411 पॉक्सो अदालतों सहित 764 फास्ट ट्रैक अदालते 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यात्मक हैं.