जनवरी माह में पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में पेश हुए लेह-लद्दाख संबंधी एक शोध पत्र में पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक भारत की पहुंच खोने संबंधी बात सामने आई थी. संसद में इसी संबंध में गृह मंत्रालय से सवाल किया गया था, जिसे जवाब देने वाले प्रश्नों में से निकाल दिया गया.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 21 मार्च को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उत्तर दिए जाने वाले प्रश्नों की अंतिम सूची से लद्दाख में पेट्रोलिंग पॉइंट्स ‘गंवाने’ संबंधी सवालों को बाहर कर दिया.
इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के हवाले से अखबार ने कहा कि गृह मंत्रालय को सौंपी गई सवालों की सूची को 35 से घटाकर 24 कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता, जिनसे अखबार ने संपर्क किया था, ने भी इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि उक्त मुद्दे पर सवाल क्यों छोड़े गए.
विषयवस्तु के आधार पर सांसद संबंधित मंत्रालयों के पास अपने प्रश्न दर्ज कराते हैं. प्रश्नों के दाखिल होने के 15 दिनों के भीतर मंत्रालय से उनके जवाब देने की उम्मीद की जाती है. कुछ प्रश्नों- तारांकित के रूप में चिह्नित- का जवाब संसद में प्रश्नकाल के दौरान दिया जाता है, अन्य प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में दिए जाते हैं और उनकी प्रतियां सांसदों और मीडिया को वितरित की जाती हैं.
ताजा घटनाक्रम भारत-चीन सीमा विवाद पर मामले से संबंधित सवालों को अनुमति न देकर सांसदों द्वारा जानकारी प्राप्त करने के बार-बार किए जा रहे प्रयासों में सरकारी बाधा डालने के क्रम में आया है. विपक्ष पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक भारत की पहुंच ‘खोने’ पर सरकार से जवाब मांग रहा है.
लद्दाख में विशिष्ट स्थानों तक पहुंच खोने की बात तब सामने आई जब जनवरी के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में लेह-लद्दाख के अधीक्षक द्वारा लिखित एक शोध पत्र प्रस्तुत किया गया.
पेपर ने खुलासा किया कि भारतीय सुरक्षा बलों (आईएसएफ) द्वारा प्रतिबंधात्मक या कोई गश्त नहीं करने के परिणामस्वरूप भारत पूर्वी लद्दाख में 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (गश्ती बिंदुओं) में से 26 तक पहुंच ‘खो’ रहा है.
रिपोर्ट से केंद्र सरकार की हुई किरकिरी के बाद सम्मेलन में प्रस्तुत सभी कागजात वेबसाइट से हटा दिए गए थे. इसके बाद, कुछ सांसदों ने रिपोर्ट की गई घटना के बारे में जानने के लिए गृह मंत्रालय से इस मामले से संबंधित प्रश्न भी पूछे थे और जानना चाहा था कि क्यों इसे दबाकर रखा जा रहा है.
हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण इस मुद्दे पर जानकारी प्राप्त करने के प्रयास सरकार द्वारा अवरुद्ध कर दिए गए हैं.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने 2020 में चीनी घुसपैठ के बाद से संसद में इस मुद्दे पर कम से कम 57 सवाल दायर किए हैं, ईटी की रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है कि उन्होंने डीजीपी सम्मेलन में प्रस्तुत कागजात पर जवाब मांगा है.
ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए तिवारी ने ट्वीट किया कि चीन के मुद्दे पर यह उनका 57वां या उससे अधिक प्रश्न होगा, जिसे अस्वीकार किया गया.
My Question based upon SSP Leh Ladakh @pdnitya paper submitted to DGP/ IGP’s conference that India had lost access to 26 out of 65 Patrolling question has perhaps been disallowed on specious grounds again. This would be 57 th question or more disallowed on China.@rahultripathi pic.twitter.com/k2gHUGxyc7
— Manish Tewari (@ManishTewari) March 17, 2023
तिवारी ने इससे पहले कहा था कि भारत-चीन के मुद्दे के संबंध में सांसदों द्वारा उठाए गए कितने प्रश्नों को खारिज कर दिया गया, इस संबंध में लगाई गई आरटीआई पर संसदीय सचिवालय में जवाब देने से इनकार कर दिया. हालांकि, संसदीय विशेषाधिकार का हवाला देते हुए इनका जवाब नहीं दिया गया.
शोध पत्र पर सवाल
उक्त शोध पत्र पुलिस अधिकारियों द्वारा ‘बिना फेंसिंग (बाड़) वाली सीमा स्थित जमीन से संबंधित सुरक्षा मुद्दे’ विषय पर प्रस्तुत 15 शोध पत्रों में से एक था.
हालांकि, बैठक में पत्र पर चर्चा नहीं हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे.
पत्र में इस पर प्रकाश डाला गया था कि कैसे भारत के ‘सुरक्षात्मक’ दृष्टिकोण, जिसने अग्रिम क्षेत्रों में जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की आवाजाही को रोका, ने इन्हें अनौपचारिक ‘बफर’ क्षेत्रों में बदल दिया. इसमें कहा गया है कि इन बिंदुओं पर गश्त की कमी ने चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उन पर कब्जा करने का अवसर प्रदान किया था.