केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 4,000 आरक्षित पद ख़ाली: केंद्र

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.

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(फोटो साभार: एएनआई)

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.

(फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: केंद्र ने बीते सोमवार को संसद को सूचित किया कि देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांगों के लिए लगभग 4,000 पद खाली हैं. ऐसे 1,400 से अधिक उम्मीदवारों की भर्ती एक वर्ष में पहले ही की जा चुकी है.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य धर्मेंद्र कश्यप द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए ये जानकारी दी.

शिक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि समग्र आंकड़ों में 549 आरक्षित पद खाली हैं, क्योंकि विश्वविद्यालयों ने ‘पिछले पांच वर्षों के दौरान किसी को भी उपयुक्त नहीं पाया’ घोषित किया है. पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने खाली आरक्षित पदों के लिए यह कारण बताया है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और हैदराबाद विश्वविद्यालय शामिल हैं.

संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शिक्षकों के सबसे अधिक खाली पद हैं. सभी श्रेणियों में 576 खाली पदों में से दलितों के लिए 108, आदिवासी उम्मीदवारों के लिए 81, ओबीसी के लिए 311, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 53 और 23 पीडब्ल्यूडी (विशेष रूप से सक्षम) के लिए हैं.

इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में 526 आरक्षित श्रेणी के पद खाली हैं. इसमें एससी के लिए 123, एसटी के लिए 61, ओबीसी के लिए 212, ईडब्ल्यूएस के लिए 86 और पीडब्ल्यूडी के लिए 44 सीटें हैं.

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक रिक्तियां हैं.

मालूम हो कि बीते फरवरी महीने में सरकार ने बताया था कि देश भर के केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 58,000 से ज्यादा पद खाली हैं.

सरकार के अनुसार, केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 12,099 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,312 पद खाली हैं. इसी तरह जवाहर नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों के 3,271 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,756 पद खाली हैं.

उच्च शिक्षण संस्थानों में सर्वाधिक खाली पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हैं, जहां शिक्षकों के 6,180 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 15,798 पद अभी भरे जाने हैं.

लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में शिक्षकों के 4,425 और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 5,052 पद, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) तथा भारतीय आभियांत्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में शिक्षकों के 2,089 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 3,773 पद खाली हैं.

इसी तरह भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में रिक्त शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की संख्या 353 और 625 है. भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में 1,050 टीचिंग और गैर-शैक्षणिक पद खाली हैं.