अस्पतालों में बढ़े सांस के मरीज़. लोगों से सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने और धूम्रपान न करने की सलाह. प्रदूषण की तुलना लंदन के ग्रेट स्मॉग से की गई.
नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण बीते बुधवार को ख़तरनाक स्तर तक पहुंच गया और स्थिति को भांपते हुए शहर के सभी स्कूलों को रविवार तक के लिए बंद कर दिया गया.
इसके अलावा निर्माण कार्यों और शहर में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई. इस दौरान बुधवार को दिनभर शहर पर धुंध की चादर पसरी रही और लोग दमघोंटू धुएं से बचने के लिए मशक्कत करते रहे.
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने ये कदम उठाने संबंधी पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के फैसले को स्वीकृति प्रदान की. जिस बैठक में बैजल ने इस फैसले को मंजूरी प्रदान की उसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए.
ईपीसीए ने एक बयान में कहा कि आॅड-ईवेन योजना के क्रियान्वयन को लेकर फैसला बृहस्पतिवार को किया जाएगा.
दिल्ली में आपात स्थिति से निपटने के लिए शहर में प्रशासन ने मोर्चा संभाला तो दूसरी तरफ अस्पतालों में आने वाले सांस संबंधी मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस स्थिति को 1952 में लंदन के ग्रेट स्मॉग की तरह माना जा रहा है.
पिछले साल दिवाली के बाद दिल्ली ने इसी तरह के धुंध की स्थिति का सामना किया था और यह हालत करीब एक सप्ताह तक रही थी.
शहर में धुंध की चादर हर तरफ पसरी रही और कई स्थानों पर तो दृश्यता शून्य के करीब पहुंच गई. शहर में हवा की गुणवत्ता और भी ख़राब हो गई.
दिल्ली सरकार ने ऐलान किया कि असहनीय वायु प्रदूषण की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में सभी स्कूल रविवार तक बंद रहेंगे.
मेट्रो और दिल्ली नगर निगम ने निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए ट्रेनों और बसों के फेरे बढ़ाने का फैसला किया है.
उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त ईपीसीए की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा कि स्कूलों को बंद करने जैसे अस्थायी कदमों से बहुत उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.
उन्होंने कड़े फैसलों के क्रियान्वयन में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की आलोचना की.
उपराज्यपाल ने नगर निगमों और दिल्ली मेट्रो जैसी एजेंसियों को निर्देश दिया कि ईपीसीए की ओर से किए फैसलों को सख़्ती से लागू किया जाए. ईपीसीए ने पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ाने के लिए कहा है.
बहरहाल, यह फैसला किया गया कि मेट्रो किराये में अस्थायी तौर पर कटौती नहीं करेगी क्योंकि व्यस्त और कम व्यस्त अवधि के लिए किराये की अलग-अलग दर है.
ज़हरीले धुएं के प्रभाव को कम करने के इरादे से दिल्ली सरकार ने एक स्वास्थ्य हिदायत जारी कर दिल्लीवासियों से एक-दूसरे की कार का साझा इस्तेमाल करने, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने, अपने-अपने घरों में ही रहने और धूम्रपान नहीं करने को कहा.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 अंकों के स्तर में 487 तक पहुंच गया. यह इस बात का संकेत है कि प्रदूषण की स्थिति गंभीर है जो सेहतमंद लोगों को भी प्रभावित कर सकती है तथा बीमार लोगों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है.
अगर वायु गुणवत्ता 500 के स्तर तक पहुंच जाती है तो फिर ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत आॅड-ईवेन और निर्माण कार्यों पर रोक संबंधी कदम तत्काल उठाए जा सकते हैं.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा कि सरकार आॅड-ईवेन योजना को फिर से लागू करने की तैयारी में है तथा शहर की सड़कों पर और बसें उतारने के इंतज़ाम किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, अगर हवा की गुणवत्ता अत्यधिक गंभीर होती है तो दिल्ली में हम आॅड-ईवेन योजना लागू करेंगे. मैंने डीटीसी को निर्देश दिया कि मार्च तक के लिए 500 और बसों का इंतज़ाम किया जाए.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने कहा कि 186 अतिरिक्त फेरे लगाए जाएंगे, लेकिन उसने किराये कम करने के संदर्भ में कुछ नहीं कहा.
ईपीसीए ने स्पष्ट किया था कि उसके आदेश कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की ओर से जारी किए जाने के बाद ये प्रभावी हो जाएंगे.
पर्यावरण मंत्रालय ने जनवरी में राजपत्र अधिसूचना के ज़रिये ईपीसीए को अधिकार दिया था कि वह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान को लागू करा सकती है.
भू-विज्ञान मंत्रालय में सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि दिल्ली में धुंध स्थानीय मामला नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण क्षेत्र में फैल गई है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी अगले दो-तीन दिन तक रहेगी.
प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए शहर में बहुत सारे लोग मॉस्क का इस्तेमाल कर रहे हैं.
धुंध की वजह से दिल्ली यातायात पुलिस ने वाहन चालकों से कहा है कि वे तेज गति से वाहन नहीं चलाएं और ड्राइविंग के समय अपने मोबाइल फोन बंद कर लें.
यातायात पुलिस ने अपने परामर्श में कहा कि लोग वाहन से निकलने से पहले मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें तथा घनी धुंध की स्थिति में अपनी यात्रा विलंब से शुरू करें.
दिल्ली के अस्पताल में सांस के मरीज़ों की संख्या बढ़ी
दिल्ली में प्रदूषण ख़तरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ सांस संबंधी समस्याओं के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
चिकित्सकों का कहना है कि कई लोगों में सांस संबंधी समस्या जानलेवा स्थिति में भी पहुंच सकती है.
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, छींकने, सीने में जकड़न और एलर्जी एवं दम फूलने की शिकायतों के साथ मरीज ओपीडी में आ रहे हैं.
सांस और हृदय संबंधी समस्याओं का उपचार कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.
बहरहाल, उन्होंने कहा कि एन 95 मॉस्क और एयर प्यूरीफायर से पूर्णकालिक राहत नहीं मिलने वाली है और इस बात पर जोर दिया कि इस संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक कदम उठाए जाने की ज़रूरत है.
गुलेरिया ने दिल्ली में धुंध की स्थिति की तुलना लंदन में 1952 के ग्रेट स्मॉग से की. लंदन में उस समय वायु प्रदूषण के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
सफदरजंग अस्पताल में सन संबंधी औषधि विभाग के प्रमुख जेसी सूरी ने कहा कि पिछले दो दिनों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि धुंध का तत्काल प्रभाव खांसी, गले में संक्रमण और निमोनिया है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव बहुत ख़तरनाक हो सकते हैं और इससे फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है.
धुंध के मद्देनज़र मेट्रो के फेरे बढ़ाए गए
दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण जनित धुंध के कारण प्रभावित हुयी परिवहन सेवाओं से बढ़ी परेशानी को देखते हुये मेट्रो रेल के फेरों में बढ़ोतरी की गई है.
केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के निर्देश पर दिल्ली मेट्रो प्रबंधन ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए बुधवार को यह फैसला किया.
पुरी ने दिल्ली में प्रदूषण के कारण छायी धुंध से हो रही परेशानी के मद्देनज़र मौजूदा परिस्थिति में मेट्रो को सार्वजनिक परिवहन का सर्वाधिक मुफीद साधन बताते हुए इसके फेरे बढ़ाने को कहा था.
मेट्रो प्रबंधन की ओर से बुधवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक मेट्रो के फेरों में 186 का इज़ाफ़ा किया गया है.
इसके तहत दिलशाद गार्डन से रिठाला और एयरपोर्ट लाइन को छोड़कर शेष चारों रूट पर मेट्रो के फेरे बढ़ाए गए हैं. अस्थायी तौर पर बदली गई यह व्यवस्था बृहस्पतिवार से लागू होगी.
इसमें इंद्रलोक से मुंडका लाइन पर फेरों की संख्या में सर्वाधिक 108 की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा कश्मीरी गेट से एस्कॉर्ट मुजेसर लाइन पर 36, द्वारका से नोएडा एवं वैशाली लाइन पर 20 और समयपुर बादली से हुडा सिटी सेंटर लाइन पर मेट्रो के 22 फेरे अतिरिक्त लगाए जाएंगे.
मेट्रो अभी सभी रूट पर प्रतिदिन कुल 3131 फेरे लगाती है. मेट्रो प्रबंधन की ओर से बताया गया कि इस बीच प्रदूषण की समस्या को देखते हुये बुधवार को भी सभी रूट पर भीड़ के दबाव के मुताबिक मेट्रो ने 80 से 90 अतिरिक्त फेरे लगाए.
दिल्ली का प्रदूषण 1952 के लंदन में छाए ग्रेट स्मॉग जैसा
दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति को 1952 में लंदन के ग्रेट स्मॉग की तरह माना जा रहा है.
शहर में धुंध की चादर हर तरफ पसरी रही और कई स्थानों पर तो दृश्यता शून्य के करीब पहुंच गई. शहर में हवा की गुणवत्ता और भी ख़राब हो गई.
1952 में लंदन को धुंध की घनी चादर ने पांच दिसंबर से नौ दिसंबर तक घेरे रखा था. ठंड के मौसम में हवा न चलने की वजह से ख़तरनाक प्रदूषण कणों को जमा दिया था. यह प्रदूषण अधिकांश कोयले की वजह से पैदा हुआ था.
उस साल आठ दिसंबर तक 4000 हज़ार लोगों की मौत प्रदूषण की वजह हुई थी. इसके अलावा एक लाख से ज़्यादा लोग बीमार पड़े थे.
दिल्ली में निर्माण क्यों नहीं रोका गया: एनजीटी
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने वायु की गुणवत्ता ख़राब होने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां बंद करने के वास्ते आदेश नहीं जारी करने के लिए बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की खिंचाई की.
एनजीटी ने इसके साथ ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे बताएं कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि वह शहर के विभिन्न हिस्सों से वायु गुणवत्ता के नमूने एकत्रित करे और एक विश्लेषण प्रस्तुत करे जिसमें पीएम 2.5 और 10 सहित विभिन्न प्रदूषकों की विस्तृत जानकारी हो.
एनजीटी ने तीखी टिप्पणी करते हुए दिल्ली के प्राधिकारियों को यह समझाने के लिए कहा कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी में उत्सर्जन करने वाली निर्माण एवं औद्योगिक गतिविधियां रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए.
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा, आप निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां एक महीने रोकने के लिए निर्देश जारी क्यों नहीं करते? आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? क्या अदालतें आपकी स्थानीय संरक्षक हैं? आप बच्चों के साथ क्या कर रहे हैं? वृद्ध व्यक्ति चल फिर नहीं पा रहे हैं.
एनजीटी ने कहा कि लोगों से जहां कहा जा रहा है कि वे बाहर अधिक नहीं निकलें, क्या किसी प्रदूषण निगरानी इकाइयों ने घर के भीतर की वायु की गुणवत्ता की जांच की है.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए पेश होने वाले अधिवक्ता नगींदर बेनीपाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली में कई अवैध उद्योग संचालित हो रहे हैं जो प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं.
बेनीपाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और एनजीटी के बार-बार के आदेशों के बावजूद दिल्ली सरकार ने निर्देश लागू नहीं किए और अधिकरण को एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए.
एनजीटी दिल्ली-एनसीआर में ख़राब होती वायु की गुणवत्ता के ख़िलाफ़ तत्काल कदम उठाने की मांग को लेकर दायर एक अर्जी पर सुनवाई कर रहा था.
अर्जी में कहा गया था कि यह एक पर्यावरणीय आपात स्थिति है जो सबसे अधिक बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को प्रभावित कर रही है.
अर्जी में कहा गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली में 17, 18 और 19 अक्टूबर को वायु की गुणवत्ता बहुत ख़राब पायी गई.
अर्जी में कहा गया कि पिछले वर्ष एनजीटी के विस्तृत आदेशों के बावजूद अधिकारी सोते रहे.
पर्यावरण कार्यकर्ता की ओर से दायर अर्जी में शहर में बढ़ती कारों की संख्या को रेखांकित करते हुए कहा गया कि यह अनिवार्य है कि सरकार वायु प्रदूषण कम करने के लिए वाहनों की संख्या सीमित करने के संबंध में एक रुख़ अपनाए.
आॅड-ईवेन योजना के लिए तैयार: सरकार
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि अगले 48 घंटे में वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर श्रेणी में बना रहता है तो दिल्ली सरकार आॅड-ईवेन योजना को लागू करने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि यदि यह व्यवस्था लागू होती है तो इससे दोपहिया वाहनों को छूट दी जाएगी.
गहलोत ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा को बताया कि उन्होंने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को अल्पकालिक आधार पर 500 बसों को किराये पर लेने के निर्देश दिए थे और दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को आॅड-ईवेन योजना की शुरुआत होने पर भीड़ को संभालने के लिए 300 बसें खरीदने के लिए कहा है.
आप सरकार ने आईजीएल से सीएनजी संचालित वाहनों के लिए 1.5 लाख स्टीकर तैयार करने के लिए कहा है जिन्हें आॅड-ईवेन योजना के दौरान छूट भी दी जाएगी.
गहलोत ने परिवहन विभाग, डीएमआरसी, डीटीसी, दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (डीआईएमटीएस) के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक की.
मंत्री ने कहा, डीटीसी को सार्वजनिक परिवहन की सुविधा के लिए 500 बसों को मार्च तक किराये पर लेने के लिए अल्पकालिक निविदा निकालने के आदेश दिए गए हैं.
दिल्ली मेट्रो से आॅड-ईवेन योजना शुरू होने पर भीड़ को संभालने के लिए 10-15 दिनों के लिए 300 बसों को किराये पर लेने के लिए कहा गया है.
गहलोत ने कहा कि आॅड-ईवेन योजना के पिछले दो चरणों की तरह दोपहिया वाहनों को इससे छूट दी जाएगी. उन्होंने कहा, लेकिन इस बार छूट दी जाने वाली श्रेणियों की संख्या बहुत सीमित रहेगी. लगभग पांच हजार स्वयंसेवियों को वाहनों का प्रबंधन करने के लिए तैनात किया जाएगा. यदि आॅड-ईवेन योजना शुरू की जाती है तो योजना को लागू कराने के लिए लगभग 400 पूर्व सैन्यकर्मियों की सेवाएं ली जाएंगी.
यह योजना वाहनों की पंजीकरण संख्या के अंतिम अंक पर आधारित होती है. इस योजना को वर्ष 2016 में दो बार एक जनवरी से 15 जनवरी और 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लागू किया गया था. योजना के तहत आॅड-ईवेन संख्या वाले वाहनों का संचालन वैकल्पिक दिनों पर हुआ था.
एयर प्यूरीफायर की बिक्री में बढ़ोतरी
दिवाली के बाद वायु की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होने के बाद एयर प्यूरीफायर का बाजार गरमा गया है. एयर प्यूरीफायर कंपनियां इस मौके का लाभ उठाते हुए अपनी बिक्री में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही हैं.
प्रमुख एयर प्यूरीफायर कंपनियां ब्लू एयर, यूरेका फोर्ब्स, पैनासोनिक इंडिया और शार्प को उम्मीद है कि उनकी बिक्री में बढ़ोतरी होगी.
ब्लूएयर के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि वायु की गुणवत्ता ख़राब होने से पिछले दो-तीन दिन से यह लगातार चर्चा में है.
पिछले सप्ताह की तुलना में ब्लू एयर की बिक्री में 50 गुना का इज़ाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि पिछले महीने की तुलना में नवंबर में हम बिक्री तीन गुना रहने की उम्मीद कर रहे है. पिछले साल के समान महीने की तुलना में हमें बिक्री में 100 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है.
पैनासोनिक इंडिया के कारोबार प्रमुख (प्यूरीफायर) एसएचए सैयद मूनीस अल्वी ने कहा कि प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. कंपनी इस अवधि में 10 से 15 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद कर रही है.
यूरेका फोर्ब्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्जिन आर. श्रॉफ ने कहा कि देश में वायु की गुणवत्ता ख़राब होने से एयर प्यूरीफायर की मांग काफी बढ़ी है. पिछले एक महीने में यूरेका फोर्ब्स की एयर प्यूरीफायर बिक्री करीब 80 प्रतिशत बढ़ी है.
शॉर्प बिजनेस सिस्टम्स के अध्यक्ष (उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स) खंड किश्लय रे ने कहा कि पिछले साल नवंबर में हमने 7,000 एयर प्यूरीफायर बेचे थे. चालू साल के इस सीजन में हम शुरुआत से ही काफी मजबूत मांग देख रहे हैं.
प्रधानाध्यापकों ने कहा स्कूलों को बंद करना समाधान नहीं
असहनीय वायु प्रदूषण के मद्देनज़र रविवार तक सभी स्कूलों को बंद करने के दिल्ली सरकार के आदेश पर कुछ प्रधानाध्यापकों ने कहा कि यह समाधान नहीं है.
इंडियन स्कूल की प्रधानाध्यापक तान्या जोशी ने सहमति जतायी कि फिलहाल बहुत विकल्प नहीं है लेकिन छात्रों को नुकसान की बजाए सरकार को तैयार रहने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, चूंकि अब उन्होंने स्कूल बंद करने का आदेश दिया है इससे कुछ महीने बाद होने वाली परीक्षा को देखते हुए शैक्षणिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा .
एक और निजी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने पहचान नहीं बताने का अनुरोध करते हुए कहा कि आदेश स्कूलों पर बाध्यकारी नहीं होना चाहिए क्योंकि उनमें से कुछ के पास इस स्थिति से निपटने के लिए आधारभूत संरचना है.
उन्होंने कहा, हर स्कूल में अलग आधारभूत संरचना है. हमारी सभी कक्षाओं के साथ ही हमारी बसों में एयर प्यूरीफायर है. हम वायु गुणवत्ता की लगातार निगरानी करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर बाहरी गतिविधियां रोक देते हैं. इसलिए हमारे बच्चों को क्यों रोका जाना चाहिए.
बहरहाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ट्विटर हैंडल पर सरकार के निर्देश के बावजूद कुछ स्कूलों के खुले रहने को लेकर अभिभावकों से शिकायतें मिली.
दिल्ली में रहें या जाएं, इस उधेड़-बुन में फंसे अप्रवासी
दिल्ली में बद्तर होती हवा की गुणवत्ता ने आप्रवासियों को कशमकश में डाल दिया है कि दिल्ली में ही रहें या अपने-अपने देशों के लिए रवाना हो जाए.
ब्रिटेन से काम के लिए यहां आई एमिली बिल्ड ने कहा कि उनका परिवार जिसमें दो छोटे बच्चे हैं, दिल्ली में रहने का अभ्यस्त हो रहा है लेकिन अभी असमंजस में हैं कि दिल्ली को छोड़ें या यहीं रहें.
उन्होंने कहा, हमारे घर में तीन एयर प्यूरीफायर हैं. हमने अब घर में हवा की गुणवत्ता मापने वाला यंत्र लगवाया है और मेरा दो साल का बेटा तथा तीन साल की बेटी मास्क लगाकर घूम रहे हैं.
उन्होंने कहा, लेकिन अगर हवा की गुणवत्ता ऐसी ही बनी रही, तो मुझे नहीं लगता कि हमारे पास वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प होगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की छात्र ग्रेसी थियो ने कहा, मैं बाहर नहीं जा रही और घर के अंदर ही रह रही हूं. मैं जब बाहर निकली तो मेरा जी घबरा रहा था लेकिन मैं अपना कोर्स बीच में नहीं छोड़ सकती. ऐसे में किसी तरह इस स्थिति से निपटना होगा.
यहां काम कर रही एक विदेशी संवाददाता किरन स्टेसी ने भी कुछ ऐसी बात ही कही.
उन्होंने कहा, यह बेहद बुरा अनुभव है. यह ऐसे किसी भी शख़्स के लिए नुकसान है जो इस प्रदूषित हवा में बाहर जाता है. मैं वापस जाना ही पसंद करूंगी या फिर कम से कम घर के अंदर ही रहना चाहती थी लेकिन मुझे नोटबंदी की वर्षगांठ पर रिपोर्ट भेजनी थी ऐसे में बुधवार मुझे बाहर ही रहना पड़ा.
नॉर्वे के कार्यवाहक राजदूत हैन्नी मेल्डगार्ड ने कहा, हमारे यहां हवा को शुद्ध करने की प्रणाली है और हम जितना संभव हो अंदर रहने की कोशिश कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)