यूपी: पत्रकार संघों ने मंत्री से सवाल पूछने पर पत्रकार की गिरफ़्तारी को बदले की कार्रवाई कहा

11 मार्च को यूपी की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी से संभल में हुए एक समारोह में स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने उनसे गांव में हुए विकास कार्यों को लेकर सवाल किए थे. इसके बाद राणा को भाजयुमो नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार कर लिया गया था.

मंत्री गुलाब देवी से सवाल पूछते पत्रकार संजय राणा. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर)

11 मार्च को यूपी की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी से संभल में हुए एक समारोह में स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने उनसे गांव में हुए विकास कार्यों को लेकर सवाल किए थे. इसके बाद राणा को भाजयुमो नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार कर लिया गया था.

मंत्री गुलाब देवी से सवाल पूछते पत्रकार संजय राणा. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: कई पत्रकार संघों ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा यूट्यूब रिपोर्टर संजय राणा की गिरफ्तारी की निंदा की है. 12 मार्च को एक समारोह में संजय ने माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी से अधूरे वादों के बारे में सवाल किए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने कहा है कि पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई एक रिपोर्टर की गिरफ्तारी ‘प्रतिशोध की बू आती है और सत्ता का दुरुपयोग’ दिखता है. यह राज्य के एक मंत्री से महत्वपूर्ण सवाल पूछने के लिए उसे अवैध रूप से दंडित करने की घटना है.

संघ ने गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि राणा के खिलाफ पुलिस कार्रवाई स्पष्ट रूप से तब हुई जब उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान विकास कार्यों के अधूरे वादों पर एक मंत्री से सवाल पूछा. राणा को अंततः जमानत मिल गई, लेकिन 30 घंटे से अधिक समय तक पुलिस हिरासत में रहना पड़ा.

संघ के बयान में कहा गया है, ‘वायरल हुए वीडियो में राणा केवल माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी को उनके द्वारा किए गए बड़े-बड़े वादों के बारे में याद दिला रहे थे, जैसे कि गांव में पक्की सड़क बनवाना, बारात घर, शौचालय, गांव के मंदिर के चारों ओर चारदीवारी का निर्माण आदि. मंत्री ने स्पष्ट रूप से शर्मिंदा होकर जवाब दिया कि वह पूरे समय उनकी ‘नजर’ देख रही थीं और उनके पास अभी भी काम पूरा करने का समय है.

संघ ने उल्लेख किया कि उस घटना के बाद से एक दिन भी नहीं बीता था जब भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) से जुड़े एक नेता की शिकायत के आधार पर संभल पुलिस ने राणा को गिरफ्तार किया.

संघ ने कहा, ‘पुलिस ने राणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमान करना),और 506 ( आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है. यह निस्संदेह राणा को रिपोर्टिंग और जवाबदेही मांगने का काम करने से रोकने के लिए उत्पीड़न और डराने का मामला है.’

संघ ने दावा किया कि भाजपा की अगुवाई वाली यूपी सरकार ‘पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कुख्यात हो गई है और उसे इस तरह ‘कानूनों के दुरुपयोग और इस तरह के कार्रवाई करने से बचना चाहिए.’

बयान में यह भी कहा गया है, ‘यह याद रखना चाहिए कि सरकार और उसके मंत्री जनता के प्रति जवाबदेह हैं.’

इसी तरह का बयान मुंबई प्रेस क्लब की ओर से भी आया है, जिसमें इसने सवाल किया है कि अगर पत्रकारों को मंत्रियों से प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं है तो प्रेस की स्वतंत्रता, जो एक संवैधानिक रूप से गारंटीकृत मौलिक अधिकार है- का क्या अर्थ है?

प्रेस क्लब ने आगे कहा, ‘मुंबई प्रेस क्लब कोतवाली पुलिस द्वारा संजय राणा को एक आम अपराधी की तरह रस्सियों से बांधकर और घसीटकर थाने ले जाने के तरीके पर हैरानी और क्षोभ व्यक्त करता है. यह स्पष्ट रूप से न केवल पत्रकार का अपमान करने, बल्कि मीडियाकर्मियों को चेतावनी देने का प्रयास भी था.’

इसने मांग की कि यूपी सरकार राणा के खिलाफ सभी आरोपों को तुरंत वापस ले और मंत्री और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच करवाए.

इसी तरह, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि राणा के खिलाफ यूपी पुलिस की कार्रवाई दिखाती है कि पत्रकारों को स्वतंत्र और पेशेवर रूप से काम करने से रोकने के लिए डर का माहौल बनाया गया है.

इसने मांग की कि सत्ता के इस तरह के दुरुपयोग को तुरंत रोका जाना चाहिए और सरकार को कथित रूप से झूठे मामलों के जरिये पत्रकारों को बदनाम करने से बचना चाहिए.

इससे पहले राणा की गिरफ्तारी को लेकर प्रेस काउंसिल ने भी यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था.

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